आ रहे हैं 12 लोगों के कातिल छेदीलाल और मुस्तफा, रहें सावधान !
दोनों आदमखोर बाघ छेदीलाल और मुस्तफा पहली बार दर्शकों के सामने आएंगे। मकर संक्रांति के छेदीलाल को बाड़े में छोड़ा जाएगा। ...और पढ़ें

नई दिल्ली [ स्पेशल डेस्क ]। एक की उम्र 11 वर्ष और दूसरे की उम्र चार वर्ष है। लेकिन इनके इरादे बहुत ही खतरनाक। हमेशा किसी न किसी को शिकार बनाने की फिराक में रहते थे। ये दोनों अपने इरादों को अमलीजामा भी पहना चुके हैं। मौका लगते ही वो लोगों को निवाला बना लेते हैं। लेकिन उनके मंसूबों पर लगाम लगाने की कोशिश की जा रही है। अब वो सिर्फ भड़केंगे,दहाड़ेंगे लेकिन चिड़ियाघर की चारदीवारी उनके पैरों पर बंधन लगाने का काम करेगी। चलिए,अब सस्पेंस से पर्दा उठाते हैं। छेदीलाल और मुस्तफा नाम के आदमखोर बाघ मैलानी खीरी और पीलीभीत के लोगों के लिए आतंक का पर्याय बन चुके थे। जहां एक तरफ अब तक छेदीलाल 6 लोगों को अपना निशाना बना चुका है, वहीं चार वर्ष का मुस्तफा भी छेदीलाल से कम नहीं निकला। मुस्तफा ने भी 6 लोगों का शिकार किया है।
नवाब वाजिद अली शाह जू में बाघों की दहाड़
बहुत जल्द नवाब वाजिद अली शाह जू में एक साथ तीन खूंखार बाघों की दहाड़ सुनाई देगी। जू के अस्पताल में रह रहे दो बाघ मुस्तफा और छेदीलाल को भी दर्शकों के सामने लाए जाने की तैयारी चल रही है। 12 लोगों की जान ले चुके छेदीलाल और मुस्तफा को दर्शक अब बाड़ों में देख सकेंगे। मकर संक्रांति के बाद छेदीलाल व फरवरी माह में मुस्तफा को बाड़ों में छोड़ा जाएगा। वहीं में पहले से ही आदमखोर बाघ किशन रह रहा है।

आतंक का पहला नाम छेदीलाल
करीब 11 वर्ष की उम्र का आदखोर बाघ छेदीलाल अगस्त 2016 में मैलानी खीरी के छेदीपुर गांव से रेस्क्यू करके लाया गया था। 225 किलो वजनी ये बाघ तब तक जंगलों में छह लोगों को मार चुका है। आंख में चोट और एक कैनाइन दांत टूटने के चलते ये नरभक्षी बना था।
आतंक का दूसरा नाम मुस्तफा
पीलीभीत के मुस्तफाबाद से फरवरी 2017 में रेस्क्यू कर लाया गया मुस्तफा लगभग 150 किलो का है। लगभग चार साल के इस नरभक्षी बाघ ने पकड़े जाने से पहले जंगलों में रहकर छह लोगों का शिकार किया था।
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2001 में आए आदमखोर बाघ किशन को तीन साल पहले ही बाड़े में उतारा गया था। 2016 में पशु चिकित्सक उत्कर्ष शुक्ला, आदमखोर बाघ छेदीलाल को खीरी से और 2017 में मुस्तफा को पीलीभीत से रेस्क्यू कर लाए थे। दोनों ही जंगलों में रहने के दौरान 12 लोगों की जान ले चुके थे। वह जू के अस्पताल की क्वारेनटाइन बैरक में रहने के बाद उनके उग्र स्वभाव में बदलाव और आर्यन व प्रिंस की मौत के बाद इन दोनों बाघों को बाड़े में छोड़ने का फैसला लिया है।
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जू के निदेशक आरके सिंह ने बताया कि छेदीलाल को सफेद टाइगर आर्यन के बाड़े में रखा जाएगा। आर्यन के बाड़े में थोड़े बदलाव के बाद अगले सप्ताह में छेदीलाल को छोड़ दिया जाएगा। वहीं मुस्तफा को पार्क रोड गेट के पास स्थित वानर वाटिका, जिसमें भेड़िया रहा करते थे व प्रिंस का बाड़ा, दोनों में से किसी एक को चुना जाएगा। हमारी प्राथमिकता है कि वानर वाटिका बाड़ा है, इसके लिए बाड़े को अपग्रेड करने की तैयारी चल रही है।
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