हज सब्सिडी पर मोदी सरकार का प्रहार, यहां पर खर्च होंगे 700 करोड़ रुपये
मोदी सरकार ने 700 करोड़ की हज सब्सिडी खत्म करने का फैसला किया है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार करीब पौने दो लाख मुसलमान बिना सब्सिडी के हज करेंगे। 2017 में 1.25 लाख लोग हज गए थे। उन्होंने कहा कि सब्सिडी हटाने के फैसले से सरकार के 700 करोड़ रुपये बचेंगे और ये पैसा अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षा विशेषतौर पर लड़कियों की शिक्षा पर खर्च किया जाएगा। हर वर्ष भारत से हजारों मुसलमान सऊदी अरब हज के लिए जाते हैं। हाजियों की यात्रा के खर्च का कुछ हिस्सा सरकार सब्सिडी के रूप में मुहैया कराती है। सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक फिलहाल प्रत्येक हाजी को अपनी यात्रा के लिए एक निर्धारित रकम देनी होती है। हवाई यात्रा का बाकि खर्च सरकार उठाती है।हाजियों को ले जाने का कार्यभार भारत के विदेश मंत्रालय का है।
राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गठित हज कमेटियां हाजियों के आवेदन से लेकर यात्रा से संबंधित जानकारी देने जैसे काम देखती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार द्वारा हज यात्रा के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की आलोचना की थी और इसे खत्म करने को कहा था। कोर्ट ने इसे 10 साल की समय सीमा में धीरे-धीरे खत्म करने का आदेश दिया था। 2006 से ही विदेश मंत्रालय और परिवहन और पर्यटन पर बनी एक संसदीय समिति ने हज सब्सिडी को एक समय सीमा के भीतर खत्म करने के सुझाव दिए थे।
मुस्लिम समुदाय की मांग
मुस्लिम समाज के मुताबिक सरकार से मिलने वाली सब्सिडी का फायदा सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया को होता है। अक्सर घाटे में चल रही एयर इंडिया को एक साथ एक लाख से अधिक यात्री मिल जाते हैं। लंबे अर्से से मुसलमानों का एक बड़ा तबका, धार्मिक संस्थाएं और कई सांसद इसे खत्म करने की मांग करते रहे हैं। उनकी मांग रही है कि हज के लिए यात्रियों को अपनी सुविधा के अनुसार जाने की इजाज़त होनी चाहिए। हज सब्सिडी खत्म करने के फैसले के कुछ दिन पहले ही सरकार ने 45 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को बिना पुरुष अभिभावक के कम से कम चार लोगों के समूह में हज यात्रा करने की इजाजत दी थी। अल्पसंख्यक मामलों के विभाग ने पिछले साल नई हज नीति पर सुझाव देने के लिए कमिटी गठित की थी। इस कमिटी के गठन के बाद मजलिस एत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि हज सब्सिडी हटा दीजिए और मुस्लिम लड़कियों की पढ़ाई के लिए खर्च कीजिए।
सुप्रीम कोर्ट और हज सब्सिडी
2012 में ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को साल 2022 तक चरणबद्ध तरीके से हज सब्सिडी खत्म करने का निर्देश दिया था। केंद्र सरकार का कहना है कि हज यात्रा का खर्च बढ़ने की संभावना के मद्देनज़र मुसलमानों को पानी के जहाज से मक्का जाने का विकल्प दिया जाएगा। मुस्लिम समुदाय के अधिकतर लोगों का मानना है कि हज सब्सिडी के नाम पर दर असल मुसलमानों को बेवकूफ बनाया जाता है। उनके मुताबिक हज एक लंबी प्रक्रिया है और सब्सिडी तो सिर्फ हवाई यात्रा के किराए में मिलती है।
हज से सऊदी अरब की कमाई
ये सवाल आता है कि हज और अल-उमरा जाने वाले मुसलमानों से सऊदी अरब को कितनी आमदनी होती है। सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था में इस आमदनी का कितना हिस्सा है। 2017 में दुनिया के अलग अलग हिस्सों से 83 लाख लोग हज के लिए सऊदी अरब आए थे। इनमें से साठ लाख से ज्यादा लोग सउदी अरब के धार्मिक केंद्र अल-उमरा भी गए। पिछले दशक में औसतन हर बरस 25 लाख मुसलमानों ने हज किया। इससे जुड़ी दो बातें हैं एक तो ये कि साल के एक निश्चित समय में ही हज यात्रा की जाती है और दूसरी बात ये सऊदी अरब ने हज आने वाले लोगों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए हरेक देश का एक कोटा तय कर रखा है।
2017 में सऊदी को 12 अरब डॉलर की कमाई
2017 में सऊदी अरब को हज से 12 अरब डॉलर की आमदनी हुई थी। भारतीय करेंसी में ये रकम 76 हजार पांच सौ करोड़ रुपये के करीब है। सऊदी अरब जाने वाले 80,330,000 तीर्थयात्रियों ने कुल 23 अरब डॉलर की रकम वहां पर खर्च की थी। हज के लिए सऊदी जाने वाले मुसलमान जो डॉलर वहां खर्च करते हैं कि वह उनकी अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन जाता है। ये सऊदी अरब की आमदनी नहीं है लेकिन इससे उनकी अर्थव्यस्था को बहुत बड़ा सहारा मिलता है।
पिछले दस सालों में सऊदी अरब के अंदर से हज करने वाले मुसलमानों की संख्या दूसरे देशों से आने वाले तीर्थयात्रियों की तुलना में तकरीबन आधी रहती है।दुनिया भर में मुसलमानों की जितनी आबादी है उसका महज दो फीसदी ही सऊदी अरब में रहते हैं। लेकिन पिछले दस साल से हाजी मुसलमानों का एक तिहाई इस मुल्क में रहता है। इसकी वजहें भी हैं, यहां से मक्का करीब है, लोग अपनी धार्मिक जिम्मेदारी समझते हैं और यहां के लोगों के लिए हज करना सस्ता पड़ता है।
मुसलमान सालों भर उमरा जाते रहते हैं। पिछले साल साठ लाख से ज्यादा लोगों ने उमरा की यात्रा की। सऊदी अरब जाने वाले मुसलमानों में 80 फीसदी से ज्यादा लोग उमरा गए थे। सात साल पहले उमरा जाने वालों की संख्या 40 लाख थी। सऊदी अरब को उम्मीद है कि आने वाले चार सालों में ये संख्या बढ़कर एक करोड़ 20 लाख हो जाएगी।
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