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ऐसा ही हम सब करें तो भारत की तस्वीर ही बदल जाएगी

देशभर में स्वच्छता के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है। स्वच्छता की मिसाल बने एक विश्वविद्यालय के बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं।

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 26 Sep 2017 12:40 PM (IST)Updated: Tue, 26 Sep 2017 01:34 PM (IST)
ऐसा ही हम सब करें तो भारत की तस्वीर ही बदल जाएगी
ऐसा ही हम सब करें तो भारत की तस्वीर ही बदल जाएगी

कहते हैं जहां स्वच्छता होती है वहां भगवान का वास होता है। शायद यही कारण है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वच्छता पर जोर दे रहे हैं। 'स्वच्छ भारत अभियान' चलाकर उन्होंने देश के लोगों को सफाई के प्रति प्रेरित किया है। आगामी 2 अक्टूबर तक देशभर में 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान चलाया जा रहा है। अब देशभर में स्वच्छता के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है। स्वच्छता की मिसाल बने एक विश्वविद्यालय के बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं।

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सोलन, हिमाचल प्रदेश स्थित चितकारा यूनिवर्सिटी ने देश के स्वच्छतम शिक्षण संस्थानों की रैंकिंग में शीर्ष तीन में स्थान बनाया है। विवि परिसर में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के लिए उच्च मानक अपनाए गए हैं। आइए जानें कैसे बना यह संस्थान देश का स्वच्छतम उच्च शिक्षण संस्थान...

तस्वीर स्वच्छता की

- सफाई मानकों की रोजाना बनती है रिपोर्ट

- हॉस्टल, कमरे व शौचालय की सफाई करने के बाद उपयोगकर्ता छात्र से हस्ताक्षर लेना सफाईकर्मी के लिए अनिवार्य है।

- छात्र अगर सफाई से संतुष्ट नहीं है तो दोबारा सफाई करनी होगी।

- रसोई में आटा गूंथने की आधुनिक मशीन उपलब्ध हैं।

- खाद्य वस्तुएं खराब न हो, इसके लिए कोल्ड स्टोरेज के लिए कमरा है।

- खाना छात्रों की पसंद के अनुरूप ही बनाया जाता है ताकि इसकी बर्बादी न हो।

- क्या खाना बनाया जाए, इस पर संयुक्त रूप से फैसला लेने के बाद रिपोर्ट कैंटीन को भेजी जाती है।

- पेयजल के लिए हर जगह वाटर प्युरीफायर लगे हुए हैं।

- पानी की गुणवत्ता जांची जाती है।

- उपयोग किए हुए पानी का शोधन करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है।

- शोधित पानी शौचालयों में फ्लशिंग, पौधों और फाउंटेन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

- परिसर में वर्मी कंपोस्ट प्लांट लगाया गया है। सूखे-गीले कूड़े को अलग कर ट्रीट किया जाता है।

- प्रयोग किए गए कागजों को रीसाइकल कर फाइल कवर, प्रिंटिंग लैटर, हैंड बैग व अन्य उपयोगी वस्तुएं तैयार की जाती हैं।

आंखों देखी

चितकारा यूनिवर्सिटी में करीब 2200 छात्र अध्ययनरत हैं। साथ ही करीब 500 कर्मचारियों का एक बड़ा स्टाफ है। यह सभी सदस्य स्वच्छता मानकों का स्वयं ध्यान रखते हैं। परिसर में गंदगी का नामोनिशान नहीं मिलता है। पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से हरियाली, कचरा प्रबंधन जैसी बुनियादी बातों का पूरा बंदोबस्त यहां दिखाई देता है।

अच्छी वाली आदत

विवि के एक छात्र कार्तिक ने बताया कि वह हॉस्टल में रहते हैं। सभी छात्र साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं। गंदगी फैलाने वाले छात्रों की शिकायत करने के भी निर्देश मैनेजमेंट की तरफ से दिए गए हैं। एक अन्य छात्रा सान्या कहती हैं कि हम सभी सफाई के साथ-साथ पर्यावरण को हरा भरा बनाने के लिए भी प्रयासरत हैं। यूनिवर्सिटी में ही उन्हें इसके लिए प्रेरित किया जाता है। समय-समय पर क्षेत्र के लोगों को भी जागरुक करने के लिए शिविर लगाते हैं।

एक कदम स्वच्छता की ओर

यूनिवर्सिटी ने कुछ गांवों को भी गोद लिया है। जिनकी सफाई-व्यवस्था के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली जैसी मूलभूत व्यवस्थाओं में सहयोग किया जाता है। छात्रों का दल इन गांवों में जाकर ग्रामीणों को विभिन्न विषयों पर जागरुक करता है।

संकल्प से सिद्धि

विवि के रजिस्ट्रार वीरेंद्र सिंह कंवर कहते हैं कि अच्छी शिक्षा के लिए अच्छा स्वास्थ्य और अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वच्छता बेहद जरूरी है। सफाई से वातारवरण में ताजगी और ऊर्जा बनी रहती है। यही कारण है कि हमने यहां सफाई और हरियाली का पुख्ता इंतजाम किया है। इसकी प्रतिदिन मॉनिटरिंग होती है। यूनिवर्सिटी 2008 से स्थापित है। हम हर साल सैकड़ों पौधे लगाते हैं ताकि पर्यावरण स्वस्थ रहे।

- सुनील शर्मा


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