चीन ने रोकी नाथुला रास्ते से कैलाश मानसरोवर यात्रा, वापस आएंगे तीर्थ यात्री!
भारत ने नाथुला के रास्ते कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थ यात्रियों की यात्रा को रद कर दिया है। इसके बाद इन सभी यात्रियों को दिल्ली वापस लाया जाएगा।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। भारत ने नाथुला के रास्ते कैलाश मानसरोवर जाने वाले तीर्थ यात्रियों की यात्रा को फिलहाल रोक दिया गया है। इसके बाद इन सभी यात्रियों को दिल्ली वापस लाया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक यह फैसला चीन के अडि़यल रवैये को देखते हुए लिया गया है। कैलाश मानसरोवर यात्रा समिति के चेयरमैन कमल बंसल ने दैनिक जागरण की स्पेशल डेस्क से बात करते हुए इस बात की जानकारी दी है। उनके मुताबिक गैंगटोक से सभी यात्रियों को कल वापस दिल्ली आ जाएंगे। आपको बता दें कि चीन ने नाथुला से कैलाश मानसरोवर जाने वाले यात्रियों के लिए अपने गेट नहीं खोले थे, जिसके बाद करीब 90 यात्रियों को वापस गैंगटोक बुला लिया गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसका कारण तिब्बत में मानसरोवर की यात्रा के रास्ते में भूस्खलन का होना बताया जा रहा है।
इस मसले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने चीन से बात भी की, लेकिन उसका कोई हल नहीं नहीं निकला। चीन के इस अडियल रवैये के बाद ही इस यात्रा को रद कर देने की भी जानकारी मिली है। इससे वहां जाने वाले यात्रियों में काफी निराशा है। इस बीच तीसरे जत्थे के तीर्थयात्रियों दिल्ली पहुंच चुके हैं। इनको मेडिकल चेकअप के बाद फिटनेस सर्टिफिकेट मिलने के बाद 27 जून को नाथूला भेजा जाना था।
कमल के मुताबिक नाथुला के रास्ते जाने वाले तीर्थयात्रियों में ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक हैं। उनके मुताबिक नाथुला के रास्ते से कैलाश तक का रास्ता सड़क मार्ग से बसों के द्वारा पूरा किया जाता है। इसके बाद केवल लगभग कैलाश की 38 किमी की परिक्रमा ही शेष रह जाती है। उन्होंने यह भी बताया है कि नाथुला से वापस बुलाए गए तीर्थ यात्रियों को उत्तराखंड के रास्ते यात्रा पर भेजा जाना फिलहाल मुमकिन नहीं है क्योंकि यहां पर पहले से ही काफी वेटिंग चल रही है।
उनके मुताबिक दिल्ली से दो अलग-अलग दिन करीब 90 तीर्थ यात्रियों का जत्था नाथुला के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए भेजा गया था। 15 जून को भेजे गए पहले जत्थे में करीब 47 तीर्थ यात्री थे जो गैंगटोक के रास्ते नाथुला बॉर्डर पहुंचे थे। लेकिन दो दिन वहां पर रहने के बाद भी चीन की तरफ से बॉर्डर खोलने से साफ इंकार कर दिया गया। इसके बाद इसकी जानकारी भारतीय विदेश मंत्रालय को भी दी गई थी। एमईए ने इस संबंध में चीन के अधिकारियों से बात भी की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इस बीच 20 जून को दिल्ली से इस यात्रा के लिए भेजा गया दूसरा जत्था भी वहां पहुंच गया, लेकिन चीन के साथ मामले को सुलझाया नहीं जा सका। लिहाजा सभी तीर्थ यात्रियों को वापस गैंगटोक लाया गया है।
इसके बाद ही भारत ने इस मार्ग से तीर्थ यात्रा को रद किया है। बकौल कमल यात्रा को रद करने की जानकारी विदेश मंत्रालय के अधिकारी अवर सचिव जॉर्ज ने दी है। इस बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि तीर्थ यात्रा के रद होने से यात्रियों में काफी निराशा है। उनके मुताबिक वहां जाने वालों में देश भर से आए श्रद्धालु हैं, जिनमें से कुछ अपने मुताबिक अपने घर वापस जा रहे हैं तो कुछ दिल्ली वापस आ रहे हैं। इस यात्रा के बाबत चीन द्वारा अड़ंगा लगाए जाने के बाद कमल के पास अपने परिजनों की खैर-खबर लेने के लिए लोगों के लगातार फोन आ रहे हैं।
गौरतलब है कि वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर नाथुला के रास्ते कैलाश मानसरोवर की यात्रा को दोनों तरफ से हरी झंडी दी गई थी। उस वक्त करीब 250 यात्रियों ने इस रास्ते से अपनी यात्रा पूरी की थी। इसके बाद वर्ष 2016 में करीब 7 अलग अलग ग्रुप में करीब 125 लोगों ने यह यात्रा की थी। इस बार चीन ने पहले 50 तीर्थयात्रियों के आठ ग्रुप को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भेजे जाने की अनुमति दी थी जिसको बाद में सात ग्रुप कर दिया गया था। इसमें भी अब चीन ने वहां पहुंचे यात्रियों के लिए अपने द्वार नहीं खोले। कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए केंद्र सरकार से यहां भेजे जाने वाले यात्रियों की लिस्ट कैलाश मानसरोवर यात्रा समिति को भेजी जाती है। यह समिति दिल्ली सरकार के सहयोग से यहां पर यात्रियों के ठहराने और उनके निशुल्क खान पान की जिम्मेदारी वहन करती है।
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