कहीं ले न डूबे बिटकॉइन, सरकार नहीं कर पाएगी कोई मदद
अगर किसी वजह से आभासी मुद्रा बिटकॉइन में कोई गड़बड़ी होती है तो सरकार कोई मदद नहीं कर पाएगी, क्योंकि इसका कारोबार किसी भी नियामक के नियंत्रण से बाहर हो रहा है
अभिषेक कुमार
हाल में वचरुअल करेंसी बिटकॉइन में काफी तेजी दिखाई दी है। एक बिटकॉइन पहले तो 29 नवंबर, 2017 को 10 हजार अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा, फिर अगली ही रात में 11 हजार डॉलर पार कर गया (यह कीमत प्रति बिटकॉइन है) दावा किया गया कि यदि किसी व्यक्ति ने साल 2009 में एक लाख रुपये भी बिटकॉइन में लगाए होते तो उसके पास आज 860 अरब रुपये होते। यह दावा एकदम हवाई नहीं है क्योंकि मार्क जुकरबर्ग पर फेसबुक का आइडिया चुराने का आरोप लगाने वाले जुड़वां भाइयों टेलर विंकलेवोस और कैमरन विंकलेवोस ने चार साल पहले 1.1 करोड़ डॉलर का निवेश बिटकॉइन में किया था, आज उनका यह निवेश बढ़कर एक अरब डॉलर हो गया है।
माना जा रहा है कि दुनिया में अब तक किसी भी मुद्रा या चीज में निवेश इतनी तेजी से नहीं बढ़ा, जितना इस वचरुअल करेंसी- बिटकॉइन में बढ़ा है। ऐसे में, जब भारत समेत पूरी दुनिया में बिटकॉइन को लेकर सनसनी मची है, सवाल है कि कहीं बिटकॉइन में निवेश करने वाले लोग किसी धोखाधड़ी या फर्जीवाड़े में तो नहीं फंस जाएंगे। जहां तक भारत की बात है, तो अभी हमारे देश इस करेंसी को कोई कानूनी मान्यता हासिल नहीं है फिर भी लोग इसमें निवेश कर रहे हैं। माना जा रहा है कि हर महीने 200-250 करोड़ रुपये का कारोबार देश में इसके जरिए हो रहा है। हालांकि इस बारे में भारत सरकार का कहना है कि फिलहाल उसका इरादा बिटकॉइन को मान्यता देने का नहीं है।
सरकार के इस रुख के पीछे वित्त मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में इस संबंध में बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट है, जिसमें बिटकॉइन को मान्यता नहीं देने का सुझाव दिया गया था। हालांकि इसी कमेटी ने इस आभासी मुद्रा पर रोक लगाने से यह कहते हुए इन्कार किया है कि ऐसा करने से बड़ा नुकसान हो सकता है, लोगों का निवेश प्रभावित हो सकता है। कुछ समय पहले ऐसी खबरें आई थीं कि बिटकॉइन को लेकर देश में एक फ्रेमवर्क तैयार किया जा सकता है। कुछ समय पहले सरकार ने बिटकॉइन की ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को समझने के लिए आइटी कंपनियों के साथ बैठक भी की है। बिटकॉइन की खरीद-फरोख्त की सुरक्षा के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। सरकार के साथ बैठक करने वाली कंपनियों का ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में भारी निवेश है। इससे लगा था कि बिटकॉइन जैसी वचरुअल करंसी को कानूनी दर्जा मिल सकता है।
यह भी कहा गया था कि भारती रिजर्व बैंक वचरुअल करंसी में निवेश और लेनदेन पर विस्तृत गाइडलाइन तैयार करेगा, लेकिन फिलहाल यह मामला लंबित है। संभवत: इसके पीछे यह सोच काम कर रही है कि कहीं बिटकॉइन महज एक हवाई किला साबित न हो क्योंकि अभी दुनिया के किसी देश में इसे एक परिपक्व मुद्रा के तौर पर स्वीकार नहीं किया है। ऐसे में इसका सारा कारोबार एक समांनातर मुद्रा के रूप में ही चल रहा है। बिटकॉइन पर भले ही सरकार अभी अपना रुख साफ न कर पाई हो, लेकिन कंप्यूटर पर बनाए जाने के आधार पर क्रिप्टोकरेंसी कहलाने वाली इस मुद्रा का कारोबार काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसकी अहम वजह सरकारों व सरकारी बैंकों के कायदे-कानून व नियंत्रण से इसका बाहर होना है। असल में बिटकॉइन एक ऑनलाइन वचरुअल करेंसी है। इस पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है। इसे किसी भी सरकारी बैंक ने जारी नहीं किया है।
आज की तारीख में यह किसी एक देश की मुद्रा नहीं है, इसलिए इस पर कोई टैक्स भी नहीं लगता है। यही नहीं, कंप्यूटर के जरिए कोड में इसका लेनदेन होता है, इसलिए यह एक गुप्त करेंसी की तरह काम करती है। पहले जटिल गणितीय पहेली हल करने पर ही इसकी माइनिंग (खुदाई) होती है जो इसे हासिल करने की एक कठिन प्रक्रिया थी, लेकिन अब कई वॉलेट कंपनियां अपने एप के जरिए इसकी खरीद-फरोख्त कराती हैं और इसके बदले कमीशन लेती हैं। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में डिजिटल यानी वचरुअल करेंसी के रूप में पहली बार बिटकॉइन अस्तित्व में आए थे। दावा किया गया था कि इसे सातोशी नाकामोतो नामक व्यक्ति ने बनाया है। हालांकि सातोशी एक छद्म नाम था क्योंकि 2015 में एक ऑस्ट्रेलियाई व्यवसायी क्रेग राइट ने दावा किया कि वे ही असल में बिटकॉइन के आविष्कारक हैं।
राइट के बारे में यह दावा एक मैगजीन ‘वायर्ड’ ने किया था, उसके बाद क्रेग राइट ने इसे सही बताया। बिटकॉइन की चर्चा दो वजहों से है। एक तो इसमें हाल में आई तेजी और दूसरे, अवैध धंधों में इसका बढ़ता इस्तेमाल। वैसे तो 2009 में ईजाद किए जाने के बाद से ही बिटकॉइन की कीमतें बढ़ती रही हैं, लेकिन इस साल इसमें कुछ ज्यादा ही तेज बढ़ोतरी हुई है। इसके पीछे एक खास कारण है। दिसंबर, 2010 में एक बिटकॉइन की कीमत करीब 22 सेंट के बराबर थी, लेकिन इस साल यानी 29 नवंबर, 2017 को यह कीमत प्रति बिटकॉइन 10 हजार डॉलर पहुंच गई और फिर एक ही रात में इसमें हजार डॉलर की बढ़ोतरी हुई, यानी इसने 30 नवंबर को 11 हजार डॉलर का आंकड़ा छू लिया। अभी भी कहा जा रहा है कि अगले छह महीने में प्रति बिटकॉइन कीमत 20 हजार डॉलर हो सकती है।
बहरहाल हवाला, हैकिंग और काले धन को सफेद धन में बदलने में हो रहे इसके इस्तेमाल के कारण चिंता यह है कि कहीं सरकारें इसके लेनदेन पर पाबंदी न लगा दें, जिससे इसकी कीमत आसमान से गिरकर जमीन पर पहुंच सकती हैं। बेशक, आज बिटकॉइन ने अपनी कीमतों को लेकर दुनिया में सनसनी मचा रखी है, लेकिन इससे जुड़े कारोबार में सरकारी नियम-कायदों का अभाव इसे लेकर सतर्कता की मांग करता है। भले ही दुनिया भर में बिजनेस करने वाले व्यापारियों को बिटकॉइन में लेनदेन करना आसान लग रहा हो, लेकिन यह मुमकिन है कि किसी दिन इसमें भारी गिरावट आ जाए और इसके निवेशक हाथ मलते रह जाएं। बिटकॉइन के मामले में सरकारी एजेंसियां कोई मदद नहीं कर पाएंगी, क्योंकि इसका तो सारा हिसाब-किताब ही सरकारी नियंत्रण से बाहर के निजाम में हो रहा है।
(लेखक आइटी कंपनी एएफआइएस ग्लोबस से संबद्ध हैं)
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।