'जितना इस मिट्टी पर हमारा अधिकार, उतना ही बांग्लादेश-पाकिस्तान से आए हिंदुओं का', बोले अमित शाह
Jagran Sahitya Srijan Samman live: दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक और लेखक नरेन्द्र मोहन जी की जयंती के अवसर पर 10 अक्टूबर, 2025 को उनकी स्मृति में जागरण साहित्य सृजन सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है। गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने चयनित लेखक को सम्मानित किया।

जागरण साहित्य सृजन सम्मान कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह पहुंच चुके हैं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Narendra Mohan Smriti Vyakhyan: दैनिक जागरण के पूर्व प्रधान संपादक और लेखक नरेन्द्र मोहन जी की जयंती के अवसर पर 10 अक्टूबर, 2025 को उनकी स्मृति में जागरण साहित्य सृजन सम्मान समारोह का आयोजन किया जा रहा है।
गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने चयनित लेखक को सम्मानित किया। गृह मंत्री ने कहा कि आपातकाल के समय नरेंद्र मोहन जी के नेतृत्व में दैनिक जागरण ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
देश का विभाजन धर्म के नाम पर करना बहुत बड़ी गलती : अमित शाह
गृहमंत्री ने कहा कि इस देश का विभाजन धर्म के नाम पर करना बहुत बड़ी गलती थी; आपने भारत माता की भुजाओं को काटकर अंग्रेजों के षड्यंत्र को सफल बना दिया। मैं देश के सभी नागरिकों से पूछना चाहता हूँ। देश के प्रधानमंत्री कौन होंगे, मुख्यमंत्री कौन होंगे, इसका फैसला देश के नागरिकों के अलावा किसी और को करने का अधिकार होना चाहिए क्या? भाजपा ने डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट के सूत्र को 1950 के दशक से स्वीकार किया है। हम घुसपैठियों को डिटेक्ट भी करेंगे, मतदाता सूची से डिलीट भी करेंगे, और इस देश से डिपोर्ट भी करेंगे।
कुछ पार्टियों ने वोटबैंक देखना शुरू कर दिया : अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि असम में 2011 की जनगणना में मुस्लिमों की आबादी की दशकीय वृद्धि दर 29.6% थी। यह घुसपैठ के बिना संभव नहीं है। पश्चिम बंगाल के कई जिलों में यह वृद्धि दर 40% है, और कई सीमावर्ती क्षेत्रों में 70% तक पहुँच गई है। यह स्पष्ट प्रमाण है कि घुसपैठ अतीत में हुई है। घुसपैठ में कुछ पार्टियों ने वोट बैंक देखना शुरू कर दिया है, इसलिए उन्होंने घुसपैठियों को प्रश्रय दिया है। हमारे गुजरात में भी सीमा है, राजस्थान में भी है, लेकिन वहाँ घुसपैठ नहीं होती।
पाकिस्तान–बांग्लादेश के हिन्दुओं का अधिकार इस देश की मिट्टी पर : गृह मंत्री
अमित शाह ने कहा कि घुसपैठिये कौन हैं? जिन पर धार्मिक प्रताड़ना नहीं हुई और आर्थिक कारणों या अन्य कारणों से अवैध तरीके से भारत आना चाहते हैं, वे घुसपैठिये हैं। दुनिया में जो कोई भी यहाँ आना चाहे, अगर उसे आना दे दिया गया तो हमारा देश धर्मशाला बन जाएगा। उन्होंने कहा कि जितना मेरा अधिकार इस देश की मिट्टी पर है, उतना ही पाकिस्तान–बांग्लादेश के हिन्दुओं का अधिकार इस देश की मिट्टी पर है। यह बात मैं देश के गृह मंत्री के रूप में कहता हूँ।
2014 तक की गलतियों का तर्पण किया : अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि 1951 से लेकर 2014 तक जो गलतियाँ हुई थीं, उनका एक प्रकार से तर्पण करने का काम मोदी जी ने किया था। नेहरू जी का वादा था शरणार्थियों को नागरिकता देने का, जिससे वे मुकर गए थे
कांग्रेस की सरकारों ने शरणार्थी बना दिया : अमित शाह
गृह मंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद भारत के नेताओं ने पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों से वादा किया था कि अभी दंगे हो रहे हैं, इसलिए अभी मत आओ; बाद में हम आपको नागरिकता देंगे। यह नेहरू-लियाकत पैक्ट का हिस्सा था। लेकिन कांग्रेस की सरकारों ने उन्हें नागरिकता नहीं दी, उन्हें शरणार्थी बना दिया। जब मोदी जी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी, तब हमने उन्हें नागरिकता दी
बहुत से मुसलमानों ने घुसपैठ की : अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि आज़ादी के बाद पाकिस्तान में हिंदू 13% और अन्य अल्पसंख्यक 1.2% थे। अब वहाँ हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक केवल 1.73% रह गए हैं। बांग्लादेश में हिंदू 22% थे, अब मात्र 7.9% रह गए हैं। ये सभी हिंदू जो वहाँ कम हुए, वे धर्मांतरण नहीं हुए, उनमें से बहुतों ने प्रताड़ना के कारण भारत में शरण ली। और भारत में जो मुसलमानों की संख्या बढ़ी, उसका कारण यह है कि बहुत से मुसलमानों ने घुसपैठ की।
दैनिक जागरण ने सिखाई हिंदीः गृह मंत्री
गृह मंत्री ने कहा कि जब राष्ट्रीय राजनीति में आया तो मुझे गुजराती आती थी लेकिन कांग्रेस ने मुझे एक केस में फंसा दिया था जिसके कारण मुझे दिल्ली में गुजरात भवन में रहना पड़ता था। उस वक्त मेरे पास काम नहीं था और ज्यादा लोग बुलाते नहीं थे। ऐसे में मैं हर रोज दैनिक जागरण के प्रथम पेज का अनुवाद गुजराती में करता था, ताकि मेरी हिंदी अच्छी हो सके। मेरी हिंदी अच्छी करने का श्रेय दैनिक जागरण को जाता है।
भारत में मुस्लिम आबादी 24.6% की दर से बढ़ी : अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज़ादी के बाद हुई जनगणनाओं में 1951 में हिंदू 84%, मुस्लिम 9.8%, 1971 में हिंदू 82%, मुस्लिम 11%, 1991 में हिंदू 81%, मुस्लिम 12.21%, 2011 में हिंदू 79%, मुस्लिम 14.2% रही। भारत में मुस्लिम आबादी 24.6% की दर से बढ़ी। यह वृद्धि घुसपैठ के कारण हुई।
'पत्रकारों पर कोई बंधन नहीं रखा'
अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोहन जी जब भाजपा की टिकट पर राज्यसभा सदस्य बने, तब उनसे पत्रकारिता की इंटिग्रिटी पर सवाल पूछने वाले पत्रकारों से उन्होंने कहा कि “मेरे पास केवल एडिटोरियल है, बाकी सारा पेज आपके पास है। आपको जो लिखना है, लिखें।” उन्होंने कभी भी पत्रकारों पर कोई बंधन नहीं रखा था
आपातकाल में दैनिक जागरण ने लड़ी थी जनता की लड़ाई : अमित शाह
अमित शाह ने कहा कि जब आपातकाल लगा, तब हमारे देश के लोकतंत्र की और पत्रकारिता की परीक्षा थी। नरेंद्र मोहन जी के नेतृत्व में दैनिक जागरण ने उसके खिलाफ लड़ाई लड़ी, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था
महेंद्र मधुकर को मिला सम्मान
महेंद्र मधुकर को उपन्यास वक्रतुंड के लिए जागरण सृजन साहित्य सम्मान दिया गया
मेजर (डॉ.) परशुराम गुप्त को भी मिला सम्मान
लेखक : मेजर (डॉ.) परशुराम गुप्त
उपन्यासः भारतवर्ष के आक्रांताओं की कलंक कथाएं
विक्रम सम्पत को सम्मानित किया गया
अनुवाद श्रेणी में सावरकर: एक भूले-बिसरे अतीत की गूँज 1883-1924 के लिए विक्रम सम्पत को सम्मानित किया गया।
कैलाश मंजू विश्नोई को मिला सम्मान
कैलाश मंजू विश्नोई को UPSC वाला लव कलेक्टर साहिबा उपन्यास के लिए मिला सम्मान
साहित्य हमेशा कुआं ही रहेगा और पाठक हमेशा प्यासा ही रहेगा : प्रसून जोशी
प्रसून जोशी ने कहा कि वर्तमान समय में हिंदी में निर्भरता में लोग अपनी बात कह रहे हैं। यह इससे पहले कभी नहीं था। दैनिक का यह बहुत महत्वपूर्ण सम्मान है। किसी भी समाज में जब कुएं प्यासे के पास जाने लगे तो चिंता करनी चाहिए। साहित्य हमेशा कुआं ही रहेगा और पाठक हमेशा प्यासा ही रहेगा।
'पत्रकारिता का उद्देश्य राष्ट्र और समाज का हित चिंतन'
दैनिक जागरण समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य राष्ट्र और समाज का हित चिंतन है। साहित्यकारिता का भी यही उद्देश्य होता है। लेकिन साहित्यकारिता में हितचिंतन है, उसमें कई बार काल बोध का अंतर होता है। लेकिन पत्रकारिता में सूचना का आदान-प्रदान होता है। इसी कारण उसमें तात्कालिक हितचिंतन अधिक होता है। किंतु नरेंद्र मोहन जी ने अपनी लेखनी से पत्रकारिता और साहित्यकारिता अद्वैतीकरण किया। इस दौरान उन्होंने वर्तमान और भविष्य दोनों ही हित चिंतन को समाहित किया। यही उनकी विशेषता थी। जहां तक हिंदी के प्रति उनका आग्रह है, वह उनको विरासत में मिला।
दैनिक जागरण समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु त्रिपाठी कर रहे संबोधित
दैनिक जागरण समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता और साहित्यकारिता इनमें क्या संबंध है। कितना आत्मिक संबंध है और बाहृय संबंध है। यदि संबंध है तो कितना प्रगाढ़ है और यदि दूरी है, बीच की लक्ष्मण रेखा कितनी महीन है और कितनी गूढ़ है। इस विषय पर सबके अपने अभिमत हो सकते हैं, निष्कर्ष हो सकते हैं। लेकिन जब यशस्वी संपादक और मनस्वी साहित्यकार के रूप में नरेंद्र मोहन जी के कृतित्व का आकलन करते हैं तो हम पाते हैं कि उन्होंने पत्रकारिता और साहित्यकारिता के बीच सीमा रेखा को न्यून किया। उन्होंने पत्रकारिता और साहित्यकारिता के द्वैतीकरण का अद्वैतीकरण किया।
दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत की
नरेन्द्र मोहन जी की स्मृति में आयोजित जागरण साहित्य सृजन सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि गृह मंत्री अमित शाह कार्यक्रम में पहुंच चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत कर दी है।
साहित्य समारोह में पहुंचे प्रसून जोशी
दैनिक जागरण के प्रधान संपादक संजय गुप्त के द्वारा अतिथियों का स्वागत किया जा रहा है। प्रसिद्ध गीतकार और कवि प्रसून जोशी भी समारोह में पहुच चुके हैं।
डॉ. सच्चिदानंद जोशी - जागरण साहित्य सृजन सम्मान चयन समिति के सदस्य
पत्रकारिता एवं जनसंचार शिक्षा के क्षेत्र में गहन अनुभव के साथ-साथ डॉ. सच्चिदानंद जोशी दो विश्वविद्यालयों के कुलपति रह चुके हैं। कलात्मक क्षेत्र में अभिरुचि के कारण वह रंगमंच, टीवी तथा साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय रहते हैं। वह कविता, कहानी, टीवी धारावाहिक, यात्रा-वृत्तांत, कला आदि विधाओं में लेखन करते हैं। उनका एक कविता संग्रह मध्यांतर बहुत चर्चित हुआ था। पत्रकारिता के इतिहास पर भी वह दो पुस्तकें लिख चुके हैं।
डॉ. जोशी वर्तमान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली के सदस्य सचिव हैं। डा. जोशी भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्धन के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने कई विचारोत्तेजक पुस्तकें लिखी हैं। शिखर सम्मान, भारत गौरव पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित डा. जोशी का योगदान साहित्य से परे कला, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्रों तक फैला हुआ है। वह भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं।
डॉ. शरण कुमार लिंबाले - जागरण साहित्य सृजन सम्मान चयन समिति के सदस्य
डॉ. शरण कुमार लिंबाले वरिष्ठ साहित्यकार हैं, जिन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं। मराठी दलित साहित्य और अमेरिकन ब्लैक साहित्य पर उनका विशेष अध्ययन है। उपन्यास ‘सनातन’ के लिए डा. शरण कुमार लिंबाले को सरस्वती सम्मान मिल चुका है। शरण कुमार लिंबाले की जिस कृति ने उनको हिंदी साहित्य में विशेष पहचान दी वह है उनकी आत्मकथा अक्करमाशी।अक्करमाशी का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
हालांकि, अंग्रेजी के अनुवाद आउटकास्ट ने उनकी ख्याति को सरहदों के पार पहुंचाया। इसने संभवतः पहली बार दलित जीवन के उस गंभीर संकट को सामने रखा जिसे लोग ठीक से समझ तक नहीं सकते। शरण कुमार लिंबाले के लेखन ने मराठी के साथ-साथ हिंदी में भी दलित लेखन को बल प्रदान किया। एक उपन्यासकार के रूप में उनकी ख्याति बड़ी है। उन्होंने दर्जनों पुस्तकों का लेखन किया है।
प्रसून जोशी - जागरण साहित्य सृजन सम्मान चयन समिति के सदस्य
प्रसून जोशी की ख्याति एक समर्थ गीतकार और कवि के रूप में है। उनकी लिखी पंक्ति ‘ये देश नहीं झुकने दूंगा’ बेहद लोकप्रिय हुई। उनकी कविताओं में राष्ट्रीय स्वर प्रमुख रहता है। विज्ञान और मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बावजूद प्रसून जोशी हिंदी को बेहद प्यार करते हैं। जब वह विज्ञापन की दुनिया में थे तो वहां भी उन्होंने हिंदी के शब्दों की महत्ता को स्थापित किया। प्रसून मूल रूप से कवि हैं, लेकिन उन्होंने कई फिल्मों में गीत लिखे हैं, जो बेहद हिट रहे हैं। प्रसून जोशी बालीवुड के उन गीतकारों में से हैं जिन्होंने अपने गीतों के माध्यम से लोगों के दिल को छुआ है। कवि, लेखक, गीतकार और विचारक होने के साथ विज्ञापन जगत में भी वह अपनी अलग पहचान बना चुके हैं। गहरी संवेदनशीलता और प्रभावशाली लेखन शैली के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुके हैं। उन्हें 2015 में पद्मश्री से अलंकृत किया जा चुका है। इन दिनों वह केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के चेयरमैन हैं।
थोड़ी ही देर में पहुंचेंगे मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
जागरण साहित्य सृजन सम्मान कार्यक्रम के लिए मंच तैयार है। अतिथियों के आने का सिलसिला जारी है। दैनिक जागरण समूह के कार्यकारी संपादक विष्णु त्रिपाठी, बॉलीवुड अभिनेता व गयक पीयूष मिश्रा, लेखक नवीन चौधरी समेत कई हस्तियों का कार्यक्रम स्थल पर आगमन हो चुका है। थोड़ी देर में मुख्य अतिथि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहुंचने वाले हैं।
अमित शाह देंगे व्याख्यान
जागरण साहित्य सृजन सम्मान प्रदान करने के बाद नरेन्द्र मोहन स्मृति व्याख्यान का भी आयोजन किया गया है। इसका विषय है 'घुसपैठ, जनसांख्यिकी परिवर्तन व लोकतंत्र' । गृह मंत्री अमित शाह इस विषय पर अपना व्याख्यान देंगे। आज राष्ट्र के समक्ष घुसपैठिया एक बड़ी समस्या है।
1996 से 2002 तक सांसद रहे
नरेन्द्र मोहन जी वर्ष 1996 में वह भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा के सदस्य चुने गए और 2002 तक सांसद रहे।
नरेन्द्र मोहन जी की भारत और भारतीय संस्कृति में थी गहरी आस्था
नरेन्द्र मोहन जी की भारत और भारतीय संस्कृति में गहरी आस्था थी, जो उनके लोकप्रिय स्तंभ विचार प्रवाह में परिलक्षित होती थी। संपादक होने के नाते राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक विषयों पर उनकी पैनी नजर रहती थी। उनकी रचनात्मकता का एक और आयाम उनके गद्य और पद्य में देखा जा सकता है। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की जिनमें भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व, धर्म और सांप्रदायिकता, आज की राजनीति और भ्रष्टाचार प्रमुख हैं।
नरेन्द्र मोहन जी ने किया था आपातकाल का विरोध
जब देश में आपातकाल लगा, तब एक संपादक के रूप में नरेन्द्र मोहन जी ने दैनिक जागरण के 27 जून, 1975 के अंक में संपादकीय में 'नया लोकतंत्र ? सेंसर लागू, शांत रहें!' लिखकर कालम को खाली छोड़ दिया था। यह आपातकाल का प्रतिकार था। इसकी कीमत उनको चुकानी पड़ी थी। 28 जून की रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था।
नरेन्द्र मोहन जी ने पत्रकारिता के मानदंड निर्धारित किए
नरेन्द्र मोहन जी ने 37 वर्ष तक दैनिक जागरण के संपादक और प्रधान संपादक के रूप में पत्रकारिता के उन मानदंडों की स्थापना की, जिन पर चलकर दैनिक जागरण आज भी नई सफलताएं अर्जित कर रहा है। उन्होंने बड़ी संख्या में संपादकों पत्रकारों को उनको भविष्य की भूमिका के लिए तैयार किया।
जागरण साहित्य सृजन सम्मान 500 से अधिक प्रविष्टियां आईं
जागरण साहित्य सृजन सम्मान के लिए वर्ष 2024 में प्रकाशित कृतियों के लेखकों/प्रकाशकों से प्रविष्टियां आमंत्रित की गईं थीं। इस सम्मान के लिए 500 से अधिक प्रविष्टियां आईं जिनमें साहित्य अकादमी से पुरस्कृत कई लेखकों की कृतियां शामिल थीं। इसके अलावा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से अलंकृत लेखक की पुस्तक भी जूरी के समक्ष रखी गई थी।
पहले चरण में एक चयन समिति ने आधार सूची तैयार की और उसको मुख्य जूरी के समक्ष प्रस्तुत किया। नई दिल्ली में आयोजित जूरी की बैठक में तीनों सदस्यों ने गहन मंथन किया और सर्वसम्मति से एक लेखक का चयन किया गया। चयनित लेखक को शुक्रवार की शाम गृह मंत्री के हाथों सम्मानित किया जाएगा।
दैनिक जागरण साहित्य सृजन सम्मान
जागरण साहित्य सृजन सम्मान प्रतिवर्ष एक हिंदी लेखक को दिया जाना तय किया गया है। यह इसका पहला वर्ष है । जागरण साहित्य सृजन सम्मान के लिए इस वर्ष के रचनाकार का चयन एक विशिष्ट चयन समिति ने किया है। इस चयन समिति में कवि और गीतकार प्रसून जोशी, मराठी और हिंदी में समान रूप से प्रतिष्ठित लेखक शरण कुमार लिंबाले और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव और वरिष्ठ लेखक डॉ. सच्चिदानंद जोशी शामिल हैं।