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    धनखड़ के इस्तीफे पर पीएम मोदी के संदेश का क्या है संकेत, सत्ता खेमे ने क्यों साधी चुप्पी; क्या कहती है ये खामोशी?

    Updated: Tue, 22 Jul 2025 11:30 PM (IST)

    जगदीप धनखड़ ने उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया। विपक्ष इस अप्रत्याशित घटना की असल कहानी जानने के लिए उत्सुक है जबकि सत्ताधारी खेमे की खामोशी कुछ संकेत दे रही है। प्रधानमंत्री मोदी के संक्षिप्त संदेश में धनखड़ को दिए गए अवसरों का उल्लेख है लेकिन संदेश अधूरा सा लग रहा है मानो कुछ अपेक्षाएं अधूरी रह गईं।

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    उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति के पद से जगदीप धनखड़ ने सोमवार शाम को अचानक इस्तीफा दिया और मंगलवार को उसे राष्ट्रपति ने स्वीकार भी कर लिया। यह आखिर क्यों हुआ? इस जिज्ञासा के साथ विपक्ष बेशक असल कहानी कुरेदने के लिए बेताब है, लेकिन अप्रत्याशित घटना के बाद सत्ताधारी खेमे की खामोशी कुछ इशारा जरूर करती है।

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संक्षिप्त संदेश के भी यही निहितार्थ निकाले जा रहे हैं कि जिस व्यक्ति को भाजपा ने सफलता और सम्मान के शीर्ष आसन तक पहुंचाया, शायद उनके किसी कार्य-व्यवहार ने आखिर में मन को कोई टीस पहुंचा दी है।

    पीएम मोदी ने कही ये बात 

    प्रधानमंत्री मोदी ने जरूर मंगलवार को एक्स् पर पोस्ट किया, लेकिन उसके संदेश का आकार और शब्द, उनके भाव को काफी कुछ बयां करने का प्रयास कर रहे हैं। मोदी ने लिखा- ''श्री जगदीप धनखड़ जी को भारत के उपराष्ट्रपति सहित कई भूमिकाओं में देश की सेवा करने का अवसर मिला है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं।''

    इस संदेश में जो अवसर मिलने की बात कही है, उसे उन्हीं अवसरों से जोड़कर देखा जा रहा है, जो धनखड़ को भाजपा ने उपलब्ध कराते हुए सफलता के इस शीर्ष पर पहुंचाया और अधूरा-अधूरा सा संदेश अधूरी रह गई अपेक्षाओं का भी संकेत देता है।

    जनता दल से शुरू की थी राजनीतिक यात्रा

    जगदीप धनखड़ ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जो अन्य दलों से होते हुए भाजपा में आए और यहां भी उनकी क्षमताओं को देखते हुए हाथों-हाथ लिया गया। मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनू जिले के निवासी धनखड़ ने अपनी राजनीतिक यात्रा जनता दल से शुरू की थी।

    1991 में कांग्रेस में शामिल होने के बाद लोकसभा का चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके थे। हालांकि, तब उन्होंने राज्य की राजनीति में सक्रियता जारी रखी। इसके बाद वह 2003 में भाजपा में शामिल हो गए।

    2019 में बनाए गए थे बंगाल के राज्यपाल

    राजस्थान से ही भाजपा में और भी कद्दावर नेता रहे हैं और वर्तमान में भी हैं, लेकिन भाजपा ने धनखड़ को आगे बढ़ने का पूरा अवसर दिया। उनके राजनीतिक करियर ने सफलता की ऊंचाइयों को तब छुआ, जब भाजपा ने उन पर भरोसा जताते हुए वर्ष 2019 में पश्चिम बंगाल जैसे महत्वपूर्ण राज्य का राज्यपाल बनाया।

    निस्संदेह वहां उन्होंने अपने कर्तव्यों का अपेक्षा अनुरूप निर्वहन किया, जिसके परिणाम स्वरूप राजग सरकार ने वर्ष 2022 में जगदीप धनखड़ को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी बनाया और वह चुनाव जीतकर देश के दूसरे सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन हुए।

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