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    जबलपुर में अंग्रेजों की 'दासता' की निशानी मिटाने की मुहिम, अब तक बदले 15 से ज्यादा सड़क-चौराहों के नाम

    Updated: Mon, 15 Dec 2025 11:44 PM (IST)

    जबलपुर में अंग्रेजों के शासनकाल के स्थानों के नाम बदलने की मुहिम जारी है। राइट टाउन, नेपियर टाउन और रसल चौक सहित 15 से ज्यादा सड़क-चौराहों के नाम बदले ...और पढ़ें

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    जबलपुर में अंग्रेजों की दासता की निशानी मिटाने की मुहिम (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वैसे तो देश के कई शहरों में अग्रेजों के शासन काल में रखे गए स्थानों के नाम बदले गए हैं, लेकिन जबलपुर में इन नामों को बदलने की खासतौर पर मुहिम चलाई जा रही है। पिछले दो साल से जबलपुर में अंग्रेजों की 'दासता' की निशानी राइट टाउन, नेपियर टाउन और रसल चौक सहित अन्य क्षेत्रों के नाम बदलने की प्रक्रिया जारी है।

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    इसी कड़ी में 15 से ज्यादा प्रमुख मार्ग व सड़क-तिराहों के नाम बदले जा चुके हैं। ब्रिटिश काल में शहर के इन क्षेत्रों के नाम अंग्रेजी शासन के अधिकारियों के नाम पर रखे गए थे। नगर निगम महापुरुषों, बलिदानियों के नाम पर अब इन मार्गों, तिराहों, चौराहों का नामकरण कर रहा है।

    मेयर इन काउंसिल में प्रस्ताव पास होने के बाद ये नाम बदले गए हैं। इनमें ब्लूम चौक को नाम अब राजनारायण गुप्ता मार्ग कर दिया गया है। जबलपुर में एक मिस्टर ब्लूम नाम के इंजीनियर हुआ करते थे, जिन्होंने शहर की कई सड़कों के नक्शे बनाए थे। शहर की आम जनता उस चौराहे को ब्लूम के नाम से संबोधित करती थी। इसी तरह रसल चौक का नाम हाल ही में महर्षि दयानंद चौक कर दिया गया है।

    अंग्रेज अफसर के नाम पर था चौराहे का नाम

    रसल चौक का नाम अंग्रेज अफसर ई एल रसल के नाम से पड़ा था। वह कमिश्नर आफिस में अधीक्षक थे। जबलपुर अस्पताल से भंवरताल पार्क की तरफ जाने वाले मार्ग नेपियर टाउन में आता है। इस मार्ग का नामकरण आचार्य रजनीश ओशो के नाम पर ओशो साधना पथ कर दिया गया है।

    नेपियर टाउन का नाम एलन बर्टर नेपियर के नाम पर पड़ा था। वह 17 नवंबर 1912 से 22 फरवरी 1913 तक डिप्टी कमिश्नर रहे। नगर निगम के अध्यक्ष रिंकुज विज का कहना है कि ब्रिटिश काल के नामों का अब कोई औचित्य नहीं है, इसलिए अंग्रेजों के नामों वाले स्थानों को अब महापुरुषों का नाम दिया गया है।

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