Gaganyaan Mission: अंतरिक्षयात्रियों को समुद्र के रास्ते सुरक्षित वापस लाने के लिए परीक्षण, इसरो ने किया ट्रायल
देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की तैयारी में जुटे इसरो ने नौसेना के साथ मिलकर गगनयान का वेल डेक रिकवरी परीक्षण किया। इसरो ने मंगलवार को कहा कि यह परीक्षण पूर्वी नौसेना कमान में छह दिसंबर को विशाखापत्तनम तट पर वेल डेक जहाज का उपयोग करके किया गया। इस परीक्षण से मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को बेहतर करने में मदद मिलेगी।

पीटीआई, बेंगलुरु। देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान की तैयारी में जुटे इसरो ने नौसेना के साथ मिलकर गगनयान का वेल डेक रिकवरी परीक्षण किया। इसरो ने मंगलवार को कहा कि यह परीक्षण पूर्वी नौसेना कमान में छह दिसंबर को विशाखापत्तनम तट पर वेल डेक जहाज का उपयोग करके किया गया।
किसे कहते हैं वेल डेक जहाज
वेल डेक जहाज ऐसे जहाज को कहते हैं जिसमें पानी भरा जा सकता है ताकि नावों, लैंडिंग यान, अंतरिक्ष यान को जहाज के भीतर ले जाया जा सके। दरअसल, मिशन के अंत में क्रू माड्यूल के समुद्र में उतरने के बाद चालक दल को जल्द से जल्द रिकवर करना होता है।
Indian Navy and ISRO carried out Well-deck recovery trials of Crew Module for Gaganyaan mission on December 06, 2024. The trials were carried out at Eastern Naval Command using welldeck ship off the coast of Vishakhapatnam.
— ISRO (@isro) December 10, 2024
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ऐसे काम करेगा मॉड्यूल
इसके लिए क्रू मॉड्यूल को चालक दल के साथ जहाज के डेक के अंदर खींचकर ले जाया जाता है ताकि अंतरिक्षयात्री आराम से बाहर आ सके। इस प्रक्रिया में रिकवरी बाय को जोड़ने, क्रू मॉड्यूल को खींचने, वेल डेक जहाज में प्रवेश करने, क्रू माड्यूल की सटीक स्थिति निर्धारित करने तथा वेल डेक से पानी निकालने के परीक्षण शामिल थे।
यह परीक्षण क्रू माड्यूल के रिकवरी मिशन का हिस्सा है। जिसका उपयोग अंतरिक्ष यात्रियों को उनके मिशन के बाद पृथ्वी पर वापस लाने के लिए किया जाएगा। इस परीक्षण से मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को बेहतर करने में मदद मिलेगी।
गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्षयात्रियों को भेजा जाएघा
गगनयान मिशन के तहत तीन अंतरिक्षयात्रियों को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किमी की कक्षा में भेजा जाएगा और उन्हें भारतीय समुद्री क्षेत्र में उतारा जाएगा। इस मिशन के जरिये भारत अंतरिक्षयात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने और उन्हें पृथ्वी पर वापस लाने की अपनी क्षमता प्रदर्शित करेगा।
गगनयान के रॉकेट तैयार
इसरो अध्यक्ष सोमनाथ ने कहा था कि हम पिछले 4 वर्षों से गगनयान मिशन में जुटे हैं। रॉकेट पूरी तरह से तैयार हो चुके हैं। पहली मानवरहित उड़ान अगले साल की शुरुआत में लॉन्च होगी। उन्होंने कहा कि पहले इसे हम दिसंबर में लॉन्च करना चाहते हैं। मगर तकनीकी वजह से इसे थोड़ा आगे बढ़ा दिया गया है।
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