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    PROBA-3 Spacecraft: इसरो ने श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया प्रोबा-3 मिशन, होगी सूर्य स्टडी; मिलेगी अंतरिक्ष मौसम की जानकारी

    Updated: Thu, 05 Dec 2024 05:30 PM (IST)

    इसरो ने प्रोबा 3 मिशन को लॉन्च कर दिया है। गुरुवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से इसकी लॉन्चिंग हुई। इस मिशन के तहत कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर नाम के दो सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। मिशन को इसरो के PSLV C59 रॉकेट की मदद से लॉन्च किया गया। ये मिशन यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के साथ साझेदारी में हो रहा है।

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    प्रोबा-3 मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ (फोटो: पीटीआई)

    पीटीआई, नई दिल्ली। इसरो ने आखिरकार इतिहास रच दिया है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी के प्रोबा-3 मिशन की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग हो गई है। इसके पहले बुधवार को कुछ तकनीकी खामी के कारण भारतीय स्पेस एजेंसी ने लॉन्चिंग को टाल दिया था। लॉन्चिग के लिए इसरो ने PSLV-C59 रॉकेट का इस्तेमाल किया गया।

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    आपको बता दें कि प्रोबा-3 दुनिया का पहला प्रेसिशन फॉर्मेशन फ्लाइंट सैटेलाइट है। प्रोबा-3 मिशन के तहत कोरोनाग्राफ और ऑकुल्टर सैटेलाइट को स्पेस में भेजा गया है। ये सैटेलाइट सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेंगे।

    प्रोबा-3 मिशल की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग

    (फोटो: पीटीआई)

    कोरोना पर करेंगे स्टडी

    कोरोनाग्राफ का वजन 310 किलो और ऑकुल्टर का वजह 240 किलो है। दोनों सैटेलाइट एक-दूसरे से 150 मीटर की दूरी पर रहकरे पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगाएंगे और सूर्य के बाहरी वातावरण कोरोना पर स्टडी करेंगे।

    यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने कहा, 'कोरोना सूर्य के मुकाबले ज्यादा गर्म है और यहीं से स्पेस के वातावरण की शुरुआत होती है। यह वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विषय है।'

    इसरो के लिए महत्वपूर्ण पल

    आदित्य एल-1 के बाद प्रोबा-3 की लॉन्चिंग भी इसरो के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव है। इसरो के भरोसेमंद लॉन्चर पीएसएलवी का लोहा अब दुनिया भी मानती है। यह मिशन इसरो को सूर्य से जुड़े वैज्ञानिक प्रयोगों में मदद करेगा।

    सूर्य पर स्टडी करेंगे दोनों सैटेलाइट

    (फोटो: पीटीआई)

    दोनों सैटेलाइट पर लगे उपकरण सूर्य के बाहरी वातावरण का गहनता से विश्लेषण करेंगे और सैटेलाइट पृथ्वी का एक चक्कर 19 घंटे में पूरा करेगा। प्रोबा दरअसल एस लैटिन शब्द है, जिसका मतलब होता है- चलो कोशिश करते हैं।

    ऑकुल्टर सैटेलाइट में एक उपकरण लगा है, जो सूर्य की चमकदार डिस्क को ब्लॉक कर देगा। यह प्रक्रिया सैटेलाइट के लिए किसी सूर्यग्रहण की तरह होगी। इसके बाद कोरोनाग्राफ में लगे टेलीस्कोप से कोरोना का विश्लेषण किया जा सकेगा।