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    ISRO ने आज ही के दिन साल 2011 में लॉन्च किया था GSAT-12, 53 घंटे की उलटी गिनती के बाद हुआ था प्रक्षेपण

    By Sonu GuptaEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sat, 15 Jul 2023 01:07 AM (IST)

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO ने 15 जुलाई 2011 को संचार उपग्रह जीसैट-12 (GSAT-12) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से घरेलू ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी 17 के शक्तिशाली अंतरिक्ष यान से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था। इस संचार उपग्रह जीसैट-12 को इसरो ने खुद ही बनाया था। इस मिशन पर 200 करोड़ रुपये का खर्च आया था। फाइल फोटो।

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    इसरो ने संचार उपग्रह जीसैट-12 को पीएसएलवी सी-17 से किया था लॉन्च। फाइल फोटो।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी ISRO और इसको वैज्ञानिक समय-समय पर देशवासियों को गौरवान्वित करते रहते हैं। इसरो ने 15 जुलाई, 2011 को ऐसे ही अपने एक मिशन के माध्यम से पूरे देशवासियों को गौरवान्वित किया था। इस दौरान इसरो और इसके वैज्ञानिकों ने संचार उपग्रह जीसैट-12 (GSAT-12) को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से घरेलू ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान पीएसएलवी-सी 17 के शक्तिशाली अंतरिक्ष यान से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था।

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    1410 किलोग्राम भारी है जीसैट-12

    मालूम हो कि इसरो ने इस संचार उपग्रह जीसैट-12 को खुद से ही बनाया था, जिसका कुल वजन 1410 किलोग्राम था। इसरो द्वारा प्रक्षेपित इस उपग्रह पर पीएसएलवी के साथ करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च आया था। उस समय इसरो ने अपने सबसे पावरफुल पीएसएलवी-सी 17 से 53 घंटे की उलटी गिनती के बाद शाम चार बजकर 48 मिनट पर सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से प्रक्षेपित किया गया था। PSLV C-17 ने इस दौरान प्रक्षेपण के बाद आकाश के सीने को चीरते हुए सिर्फ 20 मिनट के बाद ही इस उपग्रह को अपने कक्षा में स्थापित कर दिया था।

    आठ वर्ष का था उपग्रह जीसैट-12 का कार्यकाल

    संचार उपग्रह जीसैट-12 का कार्यकाल आठ वर्ष का था। इस उपग्रह ने 12 विस्तारित सी-बैंड ट्रांसपोंडर से सुसज्जित जीसैट-12 के लॉन्च से कम समय में देश की ट्रांसपोंडर की बढ़ती मांग को आंशिक रूप से पूरा करने की उम्मीद जताई गई थी। इस उपग्रह को पृथ्वी से निकटतम बिंदु 284 किमी और सबसे दूर के बिन्दु  21,000 किमी के दीर्घवृत्ताकार कक्षा में स्थापित किया गया है। इस उपग्रह को 12 विस्तारित सी-बैंड दूर शिक्षा, और चिकित्सा, तथा ग्रामीण संसाधन केंद्र (वीआरसी) जैसी विभिन्न संचार सेवाओं के लिए इन्सैट प्रणाली की क्षमता में वृद्धि के लिए स्थापित किया गया था।

    GSAT-12 मिशन पर क्या बोले थे उस समय के इसरो अध्यक्ष?

    इस उपग्रह के सफलतापूर्वक प्रक्षेपण के बाद इसरो के उस समय के अध्यक्ष रहे राधाकृष्णन ने कहा था कि मुझे यह बताते हुए बेहद खुशी हो रही है कि GSAT-12 मिशन सफल रहा है। उन्होंने कहा कि पीएसवीएल-सी17 प्रक्षेपण यान ने उपग्रह को बहुत सटीकता से कक्षा में स्थापित किया। मालूम हो कि इसरो ने अप्रैल और दिसंबर 2010 में जीएसएलवी की उड़ानों की विफलताओं के कारण अपने सबसे भरोसेमंद प्रक्षेपण यान पीएसएलवी को चुना था। उस समय जीसैट-5 और जीसैट-5पी को कक्षा में स्थापित करने के मिशन को झटका लगा था, जिससे देश में ट्रांसपोंडर की कमी आ गई थी।