Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ISRO Cartosat-2: 17 साल बाद अपने अंजाम तक पहुंची 680 किलो भारी सैटेलाइट, इसरो ने सफलतापूर्वक वायुमंडल में कराई एंट्री

    By Agency Edited By: Anurag Gupta
    Updated: Fri, 16 Feb 2024 05:32 PM (IST)

    17 साल पहले लॉन्च की गई इसरो की कार्टोसैट-2 सैटेलाइट नष्ट हो गई। इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि सैटेलाइट को 14 फरवरी को अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में लाया गया। ऐसे में या तो सैटेलाइट जल गई होगी या सेटलाइट का बचा हुआ हिस्सा समुद्र में गिर गया होगा जिसको हम ढूंढ नहीं पाएंगे। इसरो के मुताबिक कार्टोसैट-2 सैटेलाइट को 2007 में लॉन्च किया गया था।

    Hero Image
    कार्टोसैट-2 सैटेलाइट को किया गया नष्ट (फाइल फोटो)

    पीटीआई, बेंगलुरु। 17 साल पहले लॉन्च की गई भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की कार्टोसैट-2 सैटेलाइट नष्ट हो गई। इसरो के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि कार्टोसैट-2 सैटेलाइट को 14 फरवरी को अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में लाया गया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बकौल अधिकारी, सैटेलाइट ने 14 फरवरी को तीन बजकर 48 मिनट पर हिंद महासागर के ऊपर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया। ऐसे में या तो सैटेलाइट जल गई होगी या सेटलाइट का बचा हुआ हिस्सा समुद्र में गिर गया होगा, जिसको हम ढूंढ नहीं पाएंगे।

    कब लॉन्च हुई थी सैटेलाइट

    इसरो के मुताबिक, कार्टोसैट-2 सैटेलाइट को 10 जनवरी, 2007 को लॉन्च किया गया था। लॉन्च के समय इसका वजन 680 किलोग्राम था और यह 635 किमी की ऊंचाई पर सन-सिंनक्रोनस पोलर ऑर्बिट में तैनात किया गया था। साल 2019 तक यह शहरी नियोजन के लिए हाई-रेजोल्यूशन तस्वीरें मुहैया कराता था।

    यह भी पढ़ें: इसरो ने की युवा विज्ञानी कार्यक्रम की शुरुआत, रजिस्ट्रेशन 20 फरवरी से, जानें योग्यता

    बकौल रिपोर्ट, शुरुआत में यह उम्मीद थी कि कार्टोसैट-2 सैटेलाइट प्राकृतिक तौर पर 30 साल में गिरेगी। हालांकि, इसरो ने अंतरिक्ष मलबे को कम करने पर अंतरराष्ट्रीय गाइडलाइन्स का पालन करने के लिए बचे हुए ईंधन का इस्तेमाल कर इसे जमीन पर गिराने का विकल्प चुना।

    अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि इसरो टेलीमेट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) के सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस ऑपरेशंस (IS4OM) टीम ने 14 फरवरी को कार्टोसैट-2 के वायुमंडलीय पुन: प्रवेश की भविष्यवाणी की। 14 फरवरी को इलेक्ट्रिकल पैसिवेशन पूरा हो गया।  उस वक्त सैटेलाइट पृथ्वी से 130 किमी की ऊंचाई पर था। 

    यह भी पढ़ें: इसरो के पोलिक्स उपकरण ने शुरू किया वैज्ञानिक अवलोकन, एजेंसी ने बताया मील का पत्थर