ISRO spy scandal: इसरो जासूसी कांड में पूर्व डीजीपी की अग्रिम जमानत पर सुनवाई 12 तक टली, 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज है
इसरो जासूसी मामले में अदालत ने बुधवार को केरल के पूर्व डीजीपी सीबी मैथ्यूज की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए टाल दी। सीबीआइ ने पूर्व डीजीपी समेत 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

तिरुअनंतपुरम, एजेंसी। इसरो जासूसी मामले में अदालत ने बुधवार को केरल के पूर्व डीजीपी सीबी मैथ्यूज की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई 12 जुलाई तक के लिए टाल दी। सीबीआइ ने पूर्व डीजीपी समेत 17 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वर्ष 1994 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व विज्ञानी नंबी नारायणन आदि को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसी सिलसिले में अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, अपहरण व साक्ष्यों से छेड़छाड़ के आरोपों में मामला दर्ज किया गया है।
जिला अदालत को जब सूचित किया गया कि मामले में दो अन्य आरोपितों की जमानत याचिकाएं केरल हाई कोर्ट में लंबित हैं और बुधवार को उन पर सुनवाई हो सकती है तो प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी. कृष्णकुमार ने मामले पर सुनवाई अगले हफ्ते तक टाल दी। सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को आदेश दिया था कि नारायणन से जुड़े जासूसी मामले में आरोपित पुलिस अधिकारियों की भूमिका के बारे में उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट सीबीआइ को सौंपी जाए। वर्ष 2018 में शीर्ष अदालत ने जासूसी के आरोपित नारायणन को बरी कर दिया था।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के 15 अप्रैल के आदेश के बाद इसरो जासूसी कांड से जुड़ी यह जांच शुरू हुई है। शीर्ष न्यायालय ने यह आदेश जासूसी कांड में तत्कालीन पुलिस अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका पर उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद दिया। इस जासूसी कांड में इसरो के विज्ञानी नंबी नारायणन को आरोपी बनाया गया था। वह क्रायोजेनिक इंजन के विकास से जुड़ी परियोजना में प्रमुख भूमिका निभा रहे थे। उनके जासूसी कांड में फंसने से यह परियोजना लंबित हो गई थी।
मामले में भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को विदेश भेजने का आरोप दो विज्ञानियों और चार अन्य लोगों पर लगा था। इनमें मालदीव की दो महिलाएं भी शामिल थीं। बाद में नारायणन समेत दोनों विज्ञानी गिरफ्तार कर लिए गए थे। केरल में जब यह सब हुआ, उस समय वहां पर कांग्रेस के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार थी। सीबीआइ की ताजा जांच में पता चला है कि नारायणन की अवैध गिरफ्तारी के लिए उस समय के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जिम्मेदार थे। मामला राजनीतिक कारणों से तैयार किया गया था। कांग्रेस का एक गुट तत्कालीन मुख्यमंत्री के करुणाकरन को बदनाम करना चाहता था, जिससे वह इस्तीफा दे दें। बाद में मामले की जांच में सीबीआइ ने नंबी नारायणन को निर्दोष करार दिया था। कहा था कि नारायणन पर जिस तकनीक की चोरी का आरोप लगा था, वास्तव में वह उस समय अस्तित्व में ही नहीं थी।
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