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    ISRO के POEM-4 की 'घर वापसी', अंतरिक्ष में फसल उगाने के बाद हाथ लगी एक और सफलता

    Updated: Sat, 05 Apr 2025 07:29 PM (IST)

    ISRO के प्रायोगिक मिशन POEM-4 ने 4 अप्रैल को सफलतापूर्वक पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश किया। यह मिशन अंतरिक्ष मलबे के नियंत्रण और पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। PSLV-C60 से लॉन्च किए गए इस प्लेटफॉर्म पर कुल 24 पेलोड थे जिनमें ISRO और निजी संस्थानों के प्रयोग शामिल थे। पुनः प्रवेश हिंद महासागर क्षेत्र में हुआ।

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    ISRO का POEM-4 सफलतापूर्वक वायुमंडल में लौटा, विज्ञान और पर्यावरण की दिशा में हात लगी बड़ी उपलब्धि। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, बेंगलुरु। भारत का पीएसएलवी आर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-4 (पीओईएम-4) सफलता का एक और झंडा गाड़कर धरती के वातावरण में लौट गया है। पीओईएम-4 का सुरक्षित पुन:प्रवेश (Re-Entry) अंतरिक्ष में बढ़ते मलबे को रोकने की दिशा में एक और उपलब्धि है। यह अंतरिक्ष पर्यावरण और मलबा मुक्त अंतरिक्ष मिशन में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी की प्रमुख भूमिका की पुष्टि करता है।

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    Re-Entry के बाद हिंद महासागर क्षेत्र में पहुंचा पीओईएम-4

    इसरो ने कहा कि अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग मिशन के लिए इस्तेमाल किए गए ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के ऊपरी चरण पीओईएम-4 पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश कर गया है। इसरो ने एक्स पर पोस्ट किया, पीओईएम-4 मॉड्यूल ने वायुमंडल में पुन: प्रवेश किया। चार अप्रैल 2025 को भारतीय समय अनुसार पूर्वाह्न आठ बजकर तीन मिनट पर हिंद महासागर क्षेत्र में पहुंचा।

    इसरो के पीएसएलवी-सी60 राकेट ने 30 दिसंबर, 2024 को 'स्पैडेक्स' मिशन को लांच किया था। 'स्पैडेक्स' उपग्रहों को 475 किमी की ऊंचाई पर स्थापित करने के बाद पीएसएलवी-सी60 के पीएस4 चरण भी लगभग उसी कक्षा में था। पीएसएलवी-सी60 के पीएस4 चरण का इस्तेमाल कर इस अनोखे और सस्ते अंतरिक्ष प्लेटफार्म को विकसित किया गया।

    • मिशन के दौरान, पीओईएम-4 ने कुल 24 पेलोड ने वैज्ञानिक प्रयोग किए।
    • इनमें 14 विभिन्न इसरो से और 10 प्राइवेट विश्वविद्यालयों और स्टार्ट-अप से संबंधित थे।
    • इस दौरान भारत ने 'स्पैडेक्स'- मिशन के साथ भेजे गए लोबिया के बीज को पहली बार अंतरिक्ष में अंकुरित करने में कामयाबी हासिल की थी।
    • जब तक पीओईएम-4 कक्षा में था, तब इस पर इसरो की रडार केंद्रों और यूनाइटेड स्टेट्स स्पेस कमांड कमान (यूएसएसपीएसीईसीओएम) केंद्रो द्वारा भी लगातार नजर रखी जा रही थी।

    इसरो ने कहा कि ट्रैकिंग डाटा का इस्तेमाल पुन: प्रवेश भविष्यवाणी प्रक्रिया में किया गया। यह देखा गया कि पीओईएम-4 की कक्षा घटकर 174 किमी/3165 किमी रह गई है और इस प्लेटफार्म के चार अप्रैल को पृथ्वी के वायुमंडल में पुन: प्रवेश करने की भविष्यवाणी की गई। इसके बाद इसरो सिस्टम फॉर सेफ एंड सस्टेनेबल स्पेस आपरेशन्स मैनेजमेंट (आइएस4ओएम) द्वारा पीओईएम-4 के वायुमंडल में पुन: प्रवेश की घटना पर बारीकी से नजर रखी गई और पूर्वानुमानों में नियमित रूप से अपडेट किया गया।

    इसरो का प्रायोगिक मिशन है पीओईएमपीओईएम

    पीओईएम या पोएम इसरो का प्रायोगिक मिशन है। इसके तहत कक्षीय प्लेटफॉर्म के रूप में पीएस-4 चरण का उपयोग करके कक्षा में वैज्ञानिक प्रयोग किया जाता है। पीएसएलवी चार चरणों वाला रॉकेट है। इसके पहले तीन चरण प्रयोग होने के बाद समुद्र में गिर जाते हैं और अंतिम चरण उपग्रह को कक्षा में प्रक्षेपित करने के बाद अंतरिक्ष में कबाड़ बन जाता है। इसरो के पीओईएम मिशन से अंतरिक्ष कचरे की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी।

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