सात साल बाद भी सक्रिय है छह माह के मिशन पर गया मंगलयान, जानें और कितने वर्षों तक करता रहेगा काम
मंगलयान ने अपनी कक्षा में सात साल पूरे कर लिए हैं। बड़ी बात यह कि मंगलयान को केवल छह महीने के मिशन पर भेजा गया था। मालूम हो कि मंगलयान दूसरे ग्रह पर भेजा जाने वाला इसरो का पहला अभियान था।
बेंगलुरु, पीटीआइ। मंगलयान ने अपनी कक्षा में सात साल पूरे कर लिए हैं, जबकि उसे सिर्फ छह महीने के मिशन पर भेजा गया था। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के तत्कालीन अध्यक्ष के रूप में मंगलयान अभियान का नेतृत्व करने वाले के. राधाकृष्णन ने इस उपलब्धि पर खास बातचीत में कहा, 'निश्चित रूप से यह संतोषजनक है।' मंगलयान दूसरे ग्रह पर भेजा जाने वाला इसरो का पहला अभियान था। उसे पांच नवंबर, 2013 को आरंभ किया गया था।
मंगलयान 24 सितंबर, 2014 को अपनी कक्षा में पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक पहुंचा था। इसरो के अधिकारियों ने बताया कि इस अभियान के सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया। इससे जो कुछ भी सीखने को मिला, उससे संगठन के विज्ञानियों के आत्मविश्वास में काफी इजाफा हुआ है। अधिकारियों ने कहा कि मंगलयान से जो भी जानकारी मिली, उनके वैज्ञानिक विश्लेषण की प्रक्रिया चल रही है।
मिशन के कार्यक्रम निदेशक रहे एम. अन्नादुराई ने कहा, 'मंगलयान का यह सातवां वर्ष है। यान अब भी काफी बेहतर स्थिति में है।' उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरिक्ष यान कम से कम एक और वर्ष काम करेगा। मिशन की लंबी आयु के कारणों के बारे में अन्नादुराई ने कहा कि चंद्रयान-1 से सीख लेते हुए इसरो ने मंगलयान में कई सुधार किए थे। विमान में किए गए बदलाव व ईंधन प्रबंधन को अनुकूल बनाने जैसे पहलू विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।
इसरो के अधिकारियों ने कहा कि यान मंगल ग्रह पर वहां के तीन वर्ष का समय बीता चुका है। उन्होंने कहा, 'हमने देखा कि मंगल पर एक मौसम से दूसरे मौसम में बदलाव किस तरह होते हैं। हमने साल दर साल बदलाव भी देखे।' मंगल ग्रह का एक वर्ष धरती के लगभग दो साल के बराबर होता है।