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    ISRO ने लॉन्च किया नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01, 50 नैनोसेकेंड तक की रियल टाइम जानकारी देने में सक्षम

    By AgencyEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Mon, 29 May 2023 11:33 PM (IST)

    NVS-01 20 मीटर तक की सटीक पोजिशनिंग बता सकता है। भारतीय नेविगेशन सिस्टम- 50 नैनोसेकेंड तक की रियल टाइम जानकारी देने में सक्षम है यह प्रणाली- सेटेलाइट में स्वेदशी रुबीडियम क्लाक लगाया गया है। समय मापने की यह तकनीक कुछ चुनिंदा देशों के पास ही है।

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    GSLV F10 ने सेकेंड जनरेशन सेटेलाइट एनवीएस-01 को कक्षा में पहुंचाया-

    श्रीहरिकोटा, पीटीआई। स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बड़ा कदम बढ़ाया है। सोमवार को इसरो ने सेकेंड जनरेशन नेविगेशन सेटेलाइट एनवीएस-01 को सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित किया। यह इस सेकेंड जनरेशन सीरीज का पहला सेटेलाइट है। इससे स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली ज्यादा सटीक हो सकेगी।

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    भारतीय नेविगेशन सिस्टम को सटीक और ज्यादा रियल टाइम बनाएगा यह सेटेलाइट

    एनवीएस-01 की लांचिंग नाविक (नेविगेशन विद इंडियन कान्स्टेलेशन) सर्विस की निरंतरता को सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। यह अमेरिका के जीपीएस की ही तरह भारत का अपना सेटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है, जिससे रियल टाइम और सटीक नेविगेशन संभव होता है। पहले इसे इंडियन रीजनल नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम (आइआरएनएसएस) के नाम से जाना जाता था।

    भारत ने 2007 में इसका एलान किया था। हालांकि पहला सेटेलाइट 2013 में लांच किया जा सका था। पहले चरण में सात सेटेलाइट भेजे गए थे। अब भारत दूसरे चरण के तहत सेकेंड जनरेशन सेटेलाइट लांच कर रहा है। एनवीएस-01 इसी क्रम में पहला सेटेलाइट है। इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने इस सफल प्रक्षेपण के लिए टीम को बधाई दी।

    दो साल पहले प्रक्षेपण में आई थी परेशानी

    इस सेटेलाइट को जीएसएलवी एफ10 राकेट से प्रक्षेपित किया गया। अगस्त, 2021 में इस प्रक्षेपण में परेशानी आई थी। क्रायोजेनिक स्टेज पर समस्या का सामना करना पड़ा था। तभी से विशेषज्ञों और विज्ञानियों की टीम उन खामियों को दूर करने पर काम कर रही थी।

    मिशन डायरेक्टर एनपी गिरि ने कहा, 'जीएसएलवी एफ10 का पिछला प्रक्षेपण फेल रहना हम सभी के लिए निराशा का क्षण था। इसरो प्रमुख की ओर से लगातार उत्साहवर्धन से हम क्रायो-स्टेज को सही करने में सफल हुए। सेंटर डायरेक्टर का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा।'

    भारत के लिए जुलाई होगा खास

    अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में जुलाई भारत के लिए खास होगा। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, 'मुझे पूरा भरोसा है कि जुलाई में हम चंद्रयान-3 को लांच करेंगे।' चंद्रयान-3 में एक लैंडर और एक रोवर होगा। इसके तीन लक्ष्य होंगे- चांद की सतह पर साफ्ट लैं¨डग, चांद पर रोवर चलाना और वहां कुछ प्रयोगों को अंजाम देना। 2019 में भारत ने चंद्रयान-2 लांच किया था, लेकिन चांद की सतह पर लैंडर-रोवर की क्रैश लैं¨डग हो गई थी। इसके अलावा, इसरो जुलाई में ही महत्वाकांक्षी गगनयान के लिए क्रू माड्यूल कीटेस्टिंग की भी तैयारी में है।

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