अब जापान के साथ बड़े मून मिशन की तैयारी में ISRO, इन बड़ी स्पेस योजनाओं पर चल रहा है काम
ईसरो का भले ही विक्रम से संपर्क टूट गया हो लेकिन ISRO की उम्मीदें और हौसला अभी भी बुलंद है। ईसरो और भी कई अहम प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है।
नई दिल्ली,एजेंसी। भले ही चंद्रयान 2 के लैंडर विक्रम से ISRO का संपर्क टूट गया हो लेकिन अभी भी ISRO के हौंसलों में कमी नहीं आई है। इसरो ने अगले मून मिशन पर काम करने की योजना बनाई है। इसरो का अगला मिशन मून पहले के मुकाबले बड़ा होगा।
कहा जा रहा है कि इस मिशन के जरिए चांद के ध्रुवीय क्षेत्र के सैंपल लाने का काम किया जाएगा। इस मिशन के लिए इसरो जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा के साथ मिलकर काम करेगा। दरअसल, इन दोनों देशों की अंतरिक्ष एजेंसी चांद के ध्रुवीय क्षेत्र में रिसर्च करने के लिए मिलकर एक सैटेलाइट बनाने पर काम कर रहे हैं।
चंद्रयान 2 पर रूस के साथ काम करने की योजना थी
चंद्रयान 2 मिशन के लिए पहले रूस की अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉमोस के साथ मिलकर काम करने की योजना थी। हालांकि, ये उस वक्त की बात है जब इसकी मंजूरी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने दी थी। इस मिशन के लिए रूस स्पेस एसेंसी लैंडर उपलब्ध करवाने वाली थी।
कई और प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है इसरो
गगनयान
इस परियोजना का उद्देश्य तीन सदस्यीय चालक दल को कम से कम सात दिनों के लिए अंतरिक्ष में भेजना है और ये वर्ष 2022 के लिए निर्धारित किया गया है। इस परियोजना की घोषणा पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में की थी।
अंतरिक्ष यान, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा विकसित किया जा रहा है, में एक सर्विस मॉड्यूल और एक क्रू मॉड्यूल है, जिसे सामूहिक रूप से ऑर्बिटल मॉड्यूल के रूप में जाना जाता है।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इस साल की शुरुआत में बेंगलुरु स्पेस एक्सपो के 6 वें संस्करण में गगनयान क्रू मॉडल और ऑरेंज स्पेस सूट प्रदर्शित किए। अंतरिक्ष सूट का विकास विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम में किया गया था। गगनयान 10,000 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट था।
शुक्रयान मिशन
इसरो की दूसरी बड़ी योजना शुक्रयान है। ये परियोजना शुक्र ग्रह की खोज के लिए है। इसरो शुक्र के वातावरण का अध्ययन करने के लिए एक ऑर्बिटर मिशन भेजा जाएगा। जो मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड से होगा। मिशन को 2023 में लॉन्च किया जाएगा।
भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाना
इसरो सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर भी काम कर रहा है। प्रस्तावित स्टेशन का वजन 15-20 टन होगा और यह 15-20 दिनों के लिए लोगों की मेजबानी कर सकेगा। इसरो अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की अपनी योजना के बारे में भारत सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, जिसके बाद अनुमान लगाने में पाँच से सात साल तक लग सकते हैं। यह गंगनयान परियोजना का विस्तार है।
मंगलयान 2
भारत ने PSLV-C25 रॉकेट का इस्तेमाल करते हुए 5 नवंबर, 2013 को अपना पहला मार्स ऑर्बिटर मिशन (MOM) लॉन्च किया था। अगले MoM में, मंगलयान 2 लाल ग्रह की सतह, आकृति विज्ञान, खनिज विज्ञान और उसके वातावरण का अध्ययन करने के लिए निर्धारित है। 2024 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा मंगल ग्रह के प्रक्षेपण के लिए दूसरे इंटरप्लेनेटरी मिशन की योजना बनाई गई है।
आदित्या 1 के जरिए सूर्य का अध्ययन
आदित्य या आदित्य-एल 1 सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक अंतरिक्ष यान मिशन है।आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर कक्षा में जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने इस साल जून में घोषणा की कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत अपना पहला मिशन शुरू कर सकता है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को सूर्य के बारे में बहुत कुछ सीखना बाकी है, और आदित्य-एल 1 मिशन के जरिए कुछ सवालों के समाधान की उम्मीद है।
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