अब पता चलेगा राम सेतु का रहस्य? इसरो ने नासा के साथ मिलकर तैयार किया समुद्र के नीचे का पहला नक्शा
Ram Setu इसरो ने राम सेतु या एडम्स ब्रिज का पहला नक्शा तैयार किया है। इसके लिए इसरो ने नासा के ICESat-2 सैटेलाइट की मदद ली है। इसमें पहली बार समुद्र के नीचे का भी मानचित्र तैयार किया गया है जो पहले संभव नहीं था। इसरो के जोधपुर और हैदराबाद नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिकों ने इसे लेकर एक जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित की है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राम सेतु से जुड़े रहस्यों का पता लगाने में भारतीय स्पेस एजेंसी को बड़ी सफलता हाथ लगी है। इसरो ने नासा की सैटेलाइट की मदद से पहली बार राम सेतु, जिसे एडम ब्रिज भी कहा जाता है, का विस्तृत नक्शा तैयार किया है।
रिपोर्ट्स के अनुसार इसरो की ओर से तैयार किए गए 10 मीटर रिजॉल्यूशन के नक्शे में पूरे पुल को देखा जा सकता है। एजेंसी ने इसके लिए अक्तूबर 2018 से अक्तूबर 2023 के बीच 6 साल तक डाटा एकत्र किया।
इसरो के वैज्ञानिकों ने जारी की रिपोर्ट
इसरो के जोधपुर और हैदराबाद नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर के वैज्ञानिकों ने इसे लेकर एक जर्नल में रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें ये जानकारियां दी गई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि नासा सैटेलाइट ICESat-2 जल प्रवेश फोटॉन का उपयोग करके एडम ब्रिज के बारे में जटिल विवरण प्रदान किया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार पुल का मानचित्रण जहाज से करना कठिन है, क्योंकि इस क्षेत्र में पानी बहुत उथला हुआ है। पहले केवल पुल के ऊपरी हिस्सों तक ही रिसर्च कर पाना संभव था, लेकिन ICESat-2 की मदद से शोधकर्ताओं को जल निकाय में गहराई तक प्रवेश करने में मदद मिली।
समुद्र के नीचे का पहला नक्शा
यह अपनी तरह का समुद्र के नीचे का पहला नक्शा है, जो 29 मीटर लंबा है और समुद्र तल से 8 मीटर ऊपर है। सैटेलाइट की तस्वीर इस बात की पुष्टि करती है कि यह मार्ग 99.8% उथले और अति-उथले पानी में डूबा हुआ है। यह प्राचीन पुल भारत के धनुषकोडी को श्रीलंका के तलाईमन्नार द्वीप से जोड़ता है।
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