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Isro Gaganyaan Mission: कौन हैं चार एस्ट्रोनॉट्स जो स्पेस में लहराएंगे भारत का झंडा, जानिए इनकी जिंदगी से जुड़ी खास बातें

Isro Gaganyaan Mission पीएम मोदी ने आज (27 फरवरी) गगनयान मिशन में शामिल चारों एस्ट्रोनॉट्स के नाम का एलान कर दिया है। बतौर एस्ट्रोनॉट्स ग्रुप कमांडर प्रशांत बालकृष्णन नायर अंगद प्रताप अजीत कृष्णन विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला स्पेस में जाएंगे। गगनयान मिशन को 2025 में लॉन्च किया जाएगा और इसके तहत दो से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की निम्न कक्षा में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Published: Tue, 27 Feb 2024 03:31 PM (IST)Updated: Tue, 27 Feb 2024 05:29 PM (IST)
गगनयान मिशन में शामिल चार एस्ट्रोनॉट्स की फाइल फोटो।(फोटो सोर्स: जागरण)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Isro Gaganyaan Mission। गगनयान मिशन में शामिल चार एस्ट्रोनॉट्स के नाम का एलान हो गया है। बतौर एस्ट्रोनॉट्स ग्रुप कमांडर प्रशांत बालकृष्णन नायर, अंगद प्रताप, अजीत कृष्णन, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला स्पेस में जाएंगे। ये चारों भारतीय वायु सेना के टेस्ट पायलट हैं। इस मिशन के लिए चारों ने रूस जाकर ट्रेनिंग की है। इस चारों की फिलहाल एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग फैसिलिटी में ट्रेनिंग चल रही है।

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चारों एस्ट्रोनॉट के करियर पर डालें एक नजर:

प्रशांत बालाकृष्णन नायर

ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर केरल से ताल्लुक रखते हैं।  ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर (47) ने अपनी स्कूली शिक्षा कुवैत से पूरी की। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से स्नातक की डिग्री हासिल की है। उन्होंने वहां 'स्वोर्ड ऑफ ऑनर' हासिल करके उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। साल 1999 में एक कमीशन अधिकारी के रूप में वो वायु सेना में शामिल हो गए। बतौर पायलट वो सुखोई युद्धक विमान  भी उड़ा चुके हैं।

शुभांशु शुक्ला

गगनयान मिशन के चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला ने रूस की राजधानी मॉस्को के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग हासिल की है।  उनका जन्म 10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ, यूपी में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त हुए थे।

वह एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाए हैं।

अजीत कृष्णन

ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन उन चार अंतरिक्ष यात्रियों में से हैं जिन्हें मिशन के लिए चुना गया था। उनका जन्म 19 अप्रैल 1982 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और वायु सेना अकादमी में राष्ट्रपति के स्वर्ण पदक और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित हैं।

उन्हें 21 जून 2003 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन दिया गया था। वह फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं और उनके पास लगभग 2900 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-21, Mig-29, जगुआर, डोर्नियर, An-32 आदि सहित विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाए हैं। वह DSSC, वेलिंगटन के पूर्व छात्र भी हैं।

अंगद प्रताप

इसरो के मुताबिक, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप ने ग्रुप के अन्य तीन सदस्यों के साथ रूस में 13 महीने तक ट्रेनिंग की है।  उनका जन्म 17 जुलाई 1982 को प्रयागराज में हुआ था। वह एनडीए के पूर्व छात्र हैं और 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त हुए थे।

वह एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं और उनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 आदि सहित कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं।

क्या है गगनयान मिशन

यह भारत का पहला ऐसा अंतरिक्ष मिशन होगा, जिसमें अंतरिक्ष यात्रियों को कुछ समय के लिए निम्न कक्षा में अंतरिक्ष ले जाया जाएगा।

गगनयान मिशन को 2025 में लॉन्च किया जाएगा और इसके तहत दो से तीन अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की निम्न कक्षा में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।

दो से तीन दिन अंतरिक्ष में बिताने के बाद उन्हें सुरक्षित वापस हिंद महासागर में समुद्र के भीतर उतारा जाएगा।

इसके तहत यह वर्ष काफी महत्वपूर्ण है और मिशन से जुड़ी कई परीक्षण उड़ानें इस वर्ष पूरी कर ली जाएंगी।

पीएम मोदी ने चारों को लेकर क्या कहा? 

इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा,  "मैं चाहता हूं कि हर कोई हमारे अंतरिक्ष यात्रियों का खड़े होकर अभिनंदन करें।"

पीएम मोदी ने आगे कहा,"हम सभी आज एक ऐतिहासिक सफर के साक्षी बन रहे हैं। अब से कुछ देर पहले देश पहली बार अपने 4 गगनयान यात्रियों से परिचित हुआ। ये सिर्फ 4 नाम और 4 इंसान नहीं हैं, ये 140 करोड़ aspirations को स्पेस में ले जाने वाली 4 शक्तियां हैं। 40 वर्ष के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है। लेकिन इस बार टाइम भी हमारा है, काउंटडाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है।"

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