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    ISRO: चंद्रमा की सतह के नीचे है बर्फ का भंडार, इसरो ने कहा यह मानव उपस्थिति बनाए रखने के लिए उपयोगी

    Updated: Thu, 02 May 2024 06:00 AM (IST)

    चंद्रमा पर पानी की खोज से जुड़े नए तथ्य सामने आए हैं। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि चंद्रमा के ध्रुवीय गड्ढों में पहले के मुकाबले अधिक बर्फ होने की संभावना के सुबूत मिले है। यह अध्ययन स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) व इसरो के वैज्ञानिकों ने आइआइटी कानपुर दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला और आइआइटी (आइएसएम) धनबाद के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया।

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    चंद्रमा की सतह के नीचे है बर्फ का भंडार

     पीटीआई, बेंगलुरु। चंद्रमा पर पानी की खोज से जुड़े नए तथ्य सामने आए हैं। हाल के अध्ययनों से पता चलता है कि चंद्रमा के ध्रुवीय गड्ढों में पहले के मुकाबले अधिक बर्फ होने की संभावना के सुबूत मिले है।

    यह अध्ययन स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) व इसरो के वैज्ञानिकों ने आइआइटी कानपुर, दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला और आइआइटी (आइएसएम) धनबाद के शोधकर्ताओं के सहयोग से किया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि हाल के अध्ययन से पता चलता है कि चंद्रमा की सतह के कुछ मीटर नीचे सतह की तुलना में पांच से आठ गुना अधिक बर्फ मौजूद है।

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    चंद्रमा की सतह के नीचे है बर्फ का भंडार

    एजेंसी ने कहा कि यह चंद्रमा पर लंबे समय तक मानव उपस्थिति बनाए रखने के लिए उपयोगी साबित होगी। अध्ययन से यह भी पता चला है कि चंद्रमा के उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्र में बर्फ की मात्रा दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र की तुलना में दोगुनी है। अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि इस बर्फ की उत्पत्ति का प्राथमिक स्त्रोत ज्वालामुखी से निकलने वाली गैस होगी।

    शोध करने वाले दल ने इन उपकरणों का किया इस्तेमाल

    एजेंसी ने बताया कि शोध करने वाले दल ने चंद्रमा पर बर्फ की उत्पत्ति और वितरण को समझने के लिए नासा के यान 'लूनर रिकानिसेंस आर्बिटर' पर रडार, लेजर, आप्टिकल, न्यूट्रान स्पेक्ट्रोमीटर, अल्ट्रा-वायलेट स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल रेडियोमीटर सहित सात उपकरणों का उपयोग किया।