कल सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष में रवाना होगा इसरो का 'बाहुबली', 10 पॉइंट में पढ़ें इसकी खासियत
इसरो कल अपने सबसे भारी बाहुबली रॉकेट को लॉन्च करेगा, जो भारतीय नौसेना के लिए एक सैटेलाइट ले जाएगा। LVM-3 नामक यह रॉकेट 43.5 मीटर ऊंचा है और इसका वजन 642 टन है। इस रॉकेट का उपयोग चंद्रयान-3 मिशन में भी किया गया था। यह सैटेलाइट समुद्री रक्षा संचार में मदद करेगा और नौसेना की संपत्तियों को सुरक्षित संचार प्रदान करेगा।

भारतीय नौसेना के लिए समर्पित एक सैटेलाइट ले जाएगा (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इसरो कल अपने सबसे भारी बाहुबली रॉकेट का प्रक्षेपण करने जा रहा है। इस रॉकेट के जरिए भारतीय नौसेना के लिए समर्पित एक सैटेलाइट ले जाया जाएगा। यह इस बाहुबली रॉकेट का आठवां प्रक्षेपण होगा।
10 पॉइंट में जानिए क्यों खास है यह लॉन्चिंग:
- इस विशाल बाहुबली रॉकेट का टेक्निकल नाम लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) है। यह स्वदेशी लॉन्चर 43.5 मीटर ऊंचा है। इसे आप 15 मंजिला इमारत के बराबर समझ सकते हैं।
- इसका वजह 642 टन है, जिसे 150 वयस्क एशियाई हाथियों के वजन के बराबर माना जा सकता है।
- 2023 में LVM-3 की मदद से ही चंद्रयान-3 मिशन को लॉन्च किया गया था।
- यह इस रॉकेट मॉडल का यह आठवां प्रक्षेपण होगा। अब तक के सभी 7 प्रक्षेपणों का सक्सेस रिकॉर्ड 100 प्रतिशत रहा है।
- इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया जाएगा।
- इसरो का यह बाहुबली रॉकेट अपने साथ नौसेना के लिए एक सैटेलाइट ले जाएगा, जिसे सीएमएस-03 कहा जाता है। यह समुद्री रक्षा संचार के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
- LVM-3 रॉकेट की कीमत 500 करोड़ रुपये हैं। इसकी 16 मिनट की उड़ान में स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग किया जाएगा।
- इस सैटेलाइट की मदद से भारत के समुद्र तट के 2,000 किलोमीटर के दायरे में भारतीय नौसैनिक संपत्तियों को सुरक्षित संचार किया जा सकेगा। यह कई बैंडों में भी संचार कर सकता है।
- 2013 से नेवी की मदद के लिए जीसैट-7 या रुक्मिणी उपग्रह तैनात है। सीएमएस-03 सैटेलाइट इसकी जगह लेगा।
- भारत के गगनयान मिशन में भी इसरो के बाहुबली रॉकेट की अहम भूमिका होने वाली है।

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