ISRO के Astrosat ने ब्लैकहोल के रहस्य से उठाया पर्दा, मैक्सी जे1820+070 एक्स-रे बाइनरी सिस्टम के बारे में मिली जानकारी
इसरो ने कहा कि पृथ्वी से 9800 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित मैक्सी जे1820+070 ने 2018 में अचानक चमकना शुरू कर दिया। इस वजह से दुनिया भर के विज्ञानियों का ध्यान इस ओर गया। विभिन्न विद्युत चुम्बकीय बैंडों में कई अभियान चलाए गए। तीन एक्स-रे पेलोड और एक यूवी टेलीस्कोप से लैस एस्ट्रोसेट ने एक्स-रे उत्सर्जन और पराबैंगनी विकिरण का पता लगाया।

पीटीआई, बेंगलुरु। भारत की पहली अंतरिक्ष खगोल विज्ञान वेधशाला एस्ट्रोसेट ने ब्लैकहोल के रहस्य से पर्दा उठाया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को कहा एस्ट्रोसेट की मदद से वैज्ञानिकों की अंतरराष्ट्रीय टीम मैक्सी जे1820+070 नाम के एक्स-रे बाइनरी सिस्टम के आसपास के रहस्यों को सुलझाने में सफल रही है।
टीम का नेतृत्व इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फार एस्ट्रोनामी एंड एस्ट्रोफिजिक्स, पुणे के शोधकर्ताओं ने किया था। इसमें भारत, ब्रिटेन, पोलैंड के शोधकर्ता शामिल थे। नासा के अनुसार एक्स-रे बाइनरी एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं। ये एक सामान्य तारे और एक मृत तारे से बने होते हैं। यह मृत तारा न्यूट्रान तारा या ब्लैक होल हो सकता है। अध्ययन को द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित किया जाएगा।
इसरो ने कहा कि पृथ्वी से 9,800 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित मैक्सी जे1820+070 ने 2018 में अचानक चमकना शुरू कर दिया। इस वजह से दुनिया भर के विज्ञानियों का ध्यान इस ओर गया। विभिन्न विद्युत चुम्बकीय बैंडों में कई अभियान चलाए गए।
तीन एक्स-रे पेलोड और एक यूवी टेलीस्कोप से लैस एस्ट्रोसेट ने एक्स-रे उत्सर्जन और पराबैंगनी विकिरण का पता लगाया। इससे मैक्सी जे1820+070 में ब्लैक होल के आसपास के निकट और दूर के क्षेत्रों के बारे में विस्तृत जानकारी मिली। पता लगा कि मैक्सी जे1820+070 कठोर अवस्था में अधिक एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं वहीं नरम अवस्था में कम एक्स-रे उत्सर्जित करते हैं।
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