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    Israel Hamas war: इजरायल-हमास विवाद पर लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग से क्यों दूर रहा भारत? विदेश मंत्रालय ने बताई वजह

    By Jagran NewsEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Sat, 28 Oct 2023 07:50 PM (IST)

    इजरायल-हमास विवाद पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत दूर रहा। इस मामले में अब विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया है। मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि प्रस्ताव में हमास के आतंकी हमले की स्पष्ट निंदा नहीं की गई थी।

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    Israel-Hamas Dispute पर UNGA में लाए गए प्रस्ताव पर वोटिंग से भारत ने बनाई दूरी

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में इजरायल-हमास विवाद पर पारित प्रस्ताव में भारत का वोटिंग से अलग रहना ना सिर्फ घरेइलू राजनीति में काफी गहमा-गहमी बढ़ा दी है, बल्कि उसका असर कुछ देशों के साथ भारत के कूटनीतिक रिश्तों पर पड़ने की आशंकाएं जताई जा रही हैं। ऐसे में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत अपने पुराने रूख पर कायम रहते हुए ही वोटिंग से अलग रहा।

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    वोटिंग से भारत के अलग रहने की क्या है वजह?

    खास तौर पर पारित प्रस्ताव में हमास की तरफ से इजरायल पर किये गये सात अक्टूबर, 2023 के आतंकी हमले का स्पष्ट निंदा नहीं किया जाना एक वजह है, जिससे अंत समय में भारत वोटिंग से अलग रहा। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भी भारतीय प्रतिनिधि ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता।

    विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

    विदेश मंत्रालय से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों ने भारत के फैसले के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। उनका कहना है,

    आतंकवाद को किसी भी तरह से जायज नहीं ठहराया जा सकता। सात अक्टूबर के हमास के हमले का पारित प्रस्ताव में स्पष्ट निंदा नहीं है। इसमें सुधार के लिए संशोधन प्रस्ताव भी पेश किया गया था। तब हमने इसके पक्ष में वोट किया था। भारत समेत 88 देशों ने इसका समर्थन किया था, लेकिन यहां दो तिहाई सदस्यों की जरूरत थी। इन सभी मुद्दों को ध्यान में रखते हुए ही भारत ने अंतिम प्रस्ताव से अलग रहने का फैसला किया था।

    वोटिंग से दूर रहे 44 देश

    सनद रहे कि यह प्रस्ताव जार्डन की तरफ से आया था। इसमें इजरायल-हमास विवाद को तुरंत समाप्त करने और गाजा पट्टी में रहने वालों को तुरंत मदद पहुंचाने की बात है। इजरायल और अमेरिका समेत 14 देशों ने इसका विरोध किया है। चीन, फ्रांस, रूस, पाकिस्तान, बांग्लादेश और मालदीव समेत 121 देशों ने इसका समर्थन किया, जबकि भारत और कनाडा समेत 44 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया।

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    'इस मानवीय संकट का हल निकालना होगा'

    विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि भारत सात अक्टूबर के हमले की कड़ी निंदा करता है और बंदी बनाये गये सभी नागरिकों की सुरक्षित रिहाई की अपील करता है। साथ ही गाजा में जारी विध्वंस से जो बर्बादी हो रही है, वह भी काफी चिंताजनक है। खास तौर पर महिलायें और बच्चे इस लड़ाई की कीमत अपनी जान से चुका रहे हैं। इस मानवीय संकट का हल निकालना होगा।

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    भारत ने कहा कि हम अंतरराष्ट्रीय बिरादरी की तरफ से गाजा में हालात को सुधारने और प्रभावित लोगों को मानवीय आधार पर मदद पहुंचाने की कोशिश का स्वागत करते हैं। हम भी इसमें मदद कर रहा है, लेकिन सुरक्षा हालात के लगातार बिगड़ने और दोनों तरफ से आक्रामकता बढ़ने से वहां मानवीय त्रासदी की स्थिति और बिगड़ेगी।

    विपक्षी दलों ने की सरकार के फैसले की निंदा

    उधर, भारत के विपक्षी दलों ने सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की है। कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने सोशल मीडिया साइट 'एक्स' पर लिखा है कि गाजा में सीजफायर लागू करने के पक्ष में वोट देने से भारत का अनुपस्थित रहना स्तब्धकारी व शर्मसार हैं। उन्होंने महात्मा गांधी के उस कथन को भी उद्धृत किया है कि आंख के बदले आंख से पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी।

    भाजपा ने प्रियंका गांधी को दिया जवाब

    भाजपा नेता व पूर्व मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रियंका गांधी को जवाब दिया है कि इजरायल-फलस्तीन मुद्दे पर भारत अपने पुराने रूख पर ही कायम है। जो लोग आतंकवाद का समर्थन करते हैं, वह स्वयं अपना नुकसान पहुंचाते हैं। उन्होंने तंज भी कसा है कि लगता है प्रियंका गांधी को वैसे लोग सलाह दे रहे हैं, जिन्हें कांग्रेस की नीतियों का अंदाजा नहीं है। एनसीपी नेता शरद पवार ने भी कहा है कि भारत सरकार की इजरायल-फलस्तीन नीति पूरी तरह से दिग्भ्रमित है।