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कश्मीर में लहरा रहे आइएसआइएस के बैनर

श्रीनगर [नवीन नवाज]। पश्चिमी एशिया में अतिवादी और ¨हसक धार्मिक कट्टरवाद के बढ़ते प्रभाव का असर अब कश्मीर में नजर आने लगा है। स्थानीय युवाओं के बीच अबु-बकर अल बगदादी नया हीरो बन रहा है। उससे प्रेरित होकर नौजवान अब न सिर्फ बगदादी के संगठन आइएसआइएस बल्कि आइएस-जेके और इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू-कश्मीर के बैनर लेकर भी

By Edited By: Published: Wed, 16 Jul 2014 03:54 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jul 2014 12:48 PM (IST)
कश्मीर में लहरा रहे आइएसआइएस के बैनर

श्रीनगर [नवीन नवाज]। पश्चिमी एशिया में अतिवादी और ¨हसक धार्मिक कट्टरवाद के बढ़ते प्रभाव का असर अब कश्मीर में नजर आने लगा है। स्थानीय युवाओं के बीच अबु-बकर अल बगदादी नया हीरो बन रहा है। उससे प्रेरित होकर नौजवान अब न सिर्फ बगदादी के संगठन आइएसआइएस बल्कि आइएस-जेके और इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू-कश्मीर के बैनर लेकर भी वादी के गली-बाजारों में घूम रहे हैं।

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गाजा में इजरायली हमलों के खिलाफ पिछले दिनों हुए प्रदर्शनों के दौरान ऐसा ही दिखा। फिलहाल पुलिस ने आइएस-जेके का बैनर लहराने वाले युवकों में से किसी को भी हिरासत में नहीं लिया है। गृह मंत्रालय ने भी कश्मीर में आने वाले संकट को भांपते हुए उससे निपटने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

आइएस-जेके के बैनर को लेकर नौजवानों द्वारा निकाले गए जुलूस के बाद सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सकते में आ गई हैं। उन्होंने जांच भी शुरू कर दी है, लेकिन औपचारिक तौर पर पुलिस अधिकारी इस मामले में कुछ भी बोलने से बचते हुए इसे नजरअंदाज करने का प्रयास कर रहे हैं।

कश्मीर में बगदादी के संगठन आइएसआइएस के समर्थकों की उपस्थिति का संकेत लगभग एक माह पहले सोशल साइटों पर मिला था, जब कुछ लोगों ने डल झील की तस्वीर के साथ आइएसआइएस का पोस्टर भी अपलोड कर किया था। पिछले हफ्ते भी हुए इजरायल विरोधी प्रदर्शनों के दौरान नौजवानों ने आइएसआइएस के बैनर लहराए थे। नौजवानों का कहना था कि अबु बकर बगदादी उनका हीरो है। वे उसके समर्थक हैं। जिस तरह से आज इराक में बगदादी ने इस्लाम को बहाल किया है, उसी तरह जल्द ही इजरायल का भी खात्मा होगा। यहां भी इस्लामिक स्टेट ऑफ जम्मू-कश्मीर बनेगी।

अल बगदादी में मुस्लिमों की दिलचस्पी गलतइराक के आतंकी संगठन आइएसआइएस के प्रमुख अल बगदादी में ¨हदुस्तानी मुसलमानों की दिलचस्पी को बरेलवी उलेमा ने गलत ठहराया है। उलेमा का कहना है कि इराक में इस्लामी नहीं सत्ता की लड़ाई लड़ी जा रही है। उधर देवबंदी उलेमा ने अल बगदादी को इराक का मुकामी लीडर बताते हुए कहा है कि उसका ¨हदुस्तान से कोई लेना देना नहीं। जमात रजा-ए-मुस्तफा के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने कहा है कि अल बगदादी इस्लामी हुकूमत के अमीरुल मोमनीन या खलीफा नहीं हैं। वह सुन्नी भी नहीं हैं। उनसे जुड़ने के लिए इराक जाना खुद को हलाकत (मौत के मुंह) में डालना होगा।

पढ़ें: कश्मीरी नौजवानों में हीरो बनने लगा बगदादी

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