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    देश में दोतरफा अस्थिरता फैलाने की थी ISI की साजिश, मुस्लिम अत्याचार का फैला रहा एजेंडा

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 07:35 AM (IST)

    उत्तर भारत में फरीदाबाद बम मॉड्यूल और दक्षिण में राइसिन हमले की साजिश का पर्दाफाश होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ भारत में दो मोर्चों पर अस्थिरता फैलाने में जी जान से जुटी हुई है।

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    फरीदाबाद माड्यूल के पास मिला था 3000 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट (सांकेतिक तस्वीर)

    आइएएनएस, नई दिल्ली। उत्तर भारत में फरीदाबाद बम मॉड्यूल और दक्षिण में राइसिन हमले की साजिश का पर्दाफाश होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ भारत में दो मोर्चों पर अस्थिरता फैलाने में जी जान से जुटी हुई है।

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     फरीदाबाद मॉड्यूल के पास मिला था 3000 किलोग्राम अमोनियम नाइट्रेट

    जांच एजेंसियों के अनुसार, दिल्ली लाल किला कार धमाके में शामिल फरीदाबाद मॉड्यूल के पास करीब 3,000 किलोग्राम अमोनियम मिला था, जिससे संकेत मिलता है कि उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर धमाकों की योजना बनाई गई थी।

    दूसरी ओर, गुजरात एटीएस ने हैदराबाद निवासी अहमद मोहियुद्दीन सैयद (35) को एक बड़ी जैव-आतंकी साजिश के आरोप में गिरफ्तार किया। सैयद पर आरोप है कि उसने इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आइएसकेपी) के निर्देश पर राइसिन जहर तैयार किया और उसे दक्षिण भारत में व्यापक हमले के लिए इस्तेमाल करने की योजना बना रहा था।

    जैश और आइएसकेपी के साथ साजिश कर रही आइएसआइजांच में सामने आया है कि फरीदाबाद माड्यूल का संबंध जहां जैश-ए-मोहम्मद से था, वहीं राइसिन साजिश आइएसकेपी द्वारा रची गई थी। दोनों संगठनों को आइएसआइ से निर्देश मिल रहे थे।

    खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों के अनुसार, आइएसआइ का उद्देश्य एक तरफ उत्तर भारत में “मुस्लिम अत्याचार'' नैरेटिव को भड़काना था, जबकि दक्षिण भारत में “भाषाई विभाजन'' का मुद्दा उभारकर अलगाव की भावना को बढ़ाना था।

    दोनों ऑपरेशन अफगानिस्तान से चल रहे थे

    गुजरात एटीएस की एफआइआर के मुताबिक, सैयद को अफगानिस्तान स्थित हैंडलर अबू खदीजा निर्देश दे रहा था। वह लगातार सैयद को यह संदेश दे रहा था कि दक्षिण भारत को उत्तर से अलग करना आवश्यक है। सैयद ने राइसिन तैयार करने के लिए 10 किलो अरंडी के बीज खरीदे, उससे तेल निकालने के लिए कोल्ड-प्रेस मशीन खरीदी।

    तेल निकालने के बाद उसे एसीटोन में मिलाया और जहरीला पदार्थ एक ड्रम में संग्रहीत किया। आतंकी घटनाओं की छानबीन में पाकिस्तान का नाम न आने पाए, इसके लिए दोनों ही आपरेशन अफगानिस्तान से चलाए जा रहे थे।

    हैंडलर चाहता था कि राइसिन जहर के जरिये कई महीने तक आपरेशन चलाया जाए। पानी में जहर मिलाकर मारने की साजिश एजेंसियों को आशंका है कि आरोपी चल स्त्रोतों, जैसे पीने के पानी में राइसिन मिलाकर बड़े पैमाने पर जनहानि की योजना बना रहा था।

    विशेषज्ञों के अनुसार, राइसिन अत्यंत घातक जैविक जहर है, जिसकी थोड़ी सी मात्रा भी 36 से 72 घंटे में मृत्यु का कारण बन सकती है, और इसका कोई विशेष एंटीडोट उपलब्ध नहीं है।

     भारत में व्यापक स्तर पर दहशत फैलाने की योजना बनाई थी

    जांच अधिकारियों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने की दोनों साजिशें बिना पाकिस्तान के संस्थागत समर्थन के संभव नहीं थीं। प्रारंभिक निष्कर्षों के मुताबिक, आइएसआइ ने उत्तर और दक्षिण- दोनों क्षेत्रों के लिए अलग-अलग मॉड्यूल सक्रिय कर भारत में व्यापक स्तर पर दहशत फैलाने की योजना बनाई थी।