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    ईरान-इजरायल तनाव का भारत पर भी होगा असर? एक्सपर्ट्स ने बताया कैसे देश को हो सकता है करोड़ों का नुकसान

    ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव से भारत के व्यापार पर गंभीर असर पड़ रहा है। पहले से ही इजरायल-हमास युद्ध और हूती विद्रोहियों के कारण शिपिंग मार्ग बाधित थे, अब होरमुज जलडमरूमध्य भी प्रभावित हो रहा है। इससे पश्चिम एशियाई देशों के साथ भारत का आयात-निर्यात मुश्किल हो गया है, खासकर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। यह स्थिति वैश्विक व्यापार के लिए भी चिंताजनक है।

    By Sakshi Pandey Edited By: Sakshi Pandey Updated: Sun, 22 Jun 2025 04:16 PM (IST)
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    ईरान और इजरायल के तनाव का भारत पर असर। फाइल फोटो

    पीटीआई, नई दिल्ली। ईरान और इजरायल के बीच शुरू हुए हालिया तनाव को 10 दिन पूरे हो चुके हैं। दोनों देशों के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसका भारत समेत कई देशों पर बुरा असर हो सकता है। खासकर पश्चिम एशियाई देश ईरान, जॉर्डन, लेबनान, सीरिया और यमन के साथ भारत के व्यापार पर इसका दुष्प्रभाव देखने को मिल सकता है।

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    विशेषज्ञों की मानें तो इजरायल और ईरान के साथ भारत का व्यापार पहले ही प्रभावित हो रहा है। वहीं, ईरान पर अमेरिकी हमला मिडिल-ईस्ट को युद्ध के करीब ले जा सकता है। आइए जानते हैं इसका भारत पर क्या असर होगा?

    क्या है समस्या?

    मुंबई आधारिक टेक्नोक्राफ्ट इंडस्ट्री के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ का कहना है कि इजरायल और हमास युद्ध के कारण पहले से ही भारतीय बाजार मुसीबतों का सामना कर रहे हैं। ईरान का साथ देने वाले यमन के हूती विद्रोही भी काफी एक्टिव हैं, जिससे शिपिंग कंटेनर्स का लाल सागर से होकर गुजरना मुश्किल हो जाता है। कई जहाजों पर हमले के पीछे हूती विद्रोहियों का हाथ होता है। ऐसे में ज्यादातर सामान को 'केप ऑफ गुड होप' (दक्षिण अफ्रीका) के रास्ते भारत लाना पड़ता है।

    सराफ के अनुसार,

    अब ईरान-इजरायल तनाव के कारण होरमुज (Strait of Hormuz) के रास्ते भारत आना भी मुश्किल हो गया है। इस रास्ते पर तेल के कंटेनर्स की मूवमेंट खतरे में है। ऐसे में तेल लाने के लिए नए रास्ते की तलाश की जा रही है। इससे भारत में कच्चे तेल के साथ-साथ पेट्रोल और डीजल के दामों में भी उछाल देखने को मिल सकता है।

    पश्चिम एशिया के साथ व्यापार पर पड़ेगा असर

    थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार मिडिल ईस्ट में बढ़ता तनाव इराक, जॉर्डन, सीरिया, लेबनान और यमन समेत पश्चिम एशिया के साथ भारत के व्यापार पर बुरा असर डाल सकता है। इन देशों से भारत 33.1 बिलियन डॉलर (2.75 लाख करोड़) का आयात और 8.6 बिलियन डॉलर (74.5 हजार करोड़) का निर्यात करता है।

    ईरान से भारत के निर्यात और आयात

    • ईरान में भारत का निर्यात- 1.24 बिलियन डॉलर (1.07 लाख करोड़ रुपए)
    • ईरान से भारत के आयात - 441.8 बिलियन डॉलर (38.25 लाख करोड़ रुपए)

    भारत के द्वारा ईरान को निर्यात की जाने वाली चीजें

    निर्यात की जाने वाली वस्तु  व्यापार (मिलियन डॉलर)  कीमत (रुपयों में)
    बासमती चावल 753.2 6.52 हजार करोड़
    केले  53.2  461 करोड़
    सोया मील  70.6  611.59 करोड़
    काबुली चना 27.9  241.56 करोड़
    चायपत्ती  25.5  220.93 करोड़

    भारत और इजरायल के बीच व्यापार

    इजरायल में भारत के निर्यात - 2.1 बिलियन डॉलर (1.82 लाख करोड़ रुपए)
    इजरायल से भारत के आयात - 1.6 बिलियन डॉलर (1.39 लाख करोड़ रुपए)

    ट्रेड वॉर से वैश्विक व्यापार में गिरावट

    बता दें कि व्यापार के लिहाज से लाल सागर बेहद अहम माना जाता है। दुनिया का 12 फीसदी व्यापार लाल सागर से होता है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के अनुसार, ट्रेड वॉर के कारण पहले ही वैश्विक व्यापार में 0.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी। वहीं, अब मिडिल ईस्ट के तनाव का भी भारत समेत दुनिया के कई देशों के व्यापार पर खराब असर पड़ सकता है।

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