'जहरीली बयानबाजी...' चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के तीखे आरोपों के खिलाफ खड़ा हुआ बुद्धिजीवी समूह
चुनाव आयोग और अन्य संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे हमलों के विरोध में 272 प्रबुद्धजनों ने एक खुला पत्र जारी किया है। उन्होंने राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर लगाए गए आरोपों की निंदा की और कहा कि ये आरोप राजनीतिक हताशा को छिपाने का प्रयास है। प्रबुद्धजनों ने मतदाता सूची की पवित्रता को राष्ट्रीय अनिवार्यता बताते हुए चुनाव आयोग से पारदर्शिता बनाए रखने का आग्रह किया है।

चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के तीखे आरोप
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं पर बढ़ते जा रहे राजनीतिक हमलों के बीच तमाम प्रबुद्धजन इन संस्थाओं के समर्थन में आगे आए हैं। 16 पूर्व न्यायाधीशों सहित 272 प्रबुद्धजन ने खुला पत्र जारी करते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं के विरुद्ध जहरीली बयानबाजी हो रही है।
गंभीर आरोप लगाते हुए प्रबुद्धजन ने कहा है कि भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता और उपलब्धियों पर सवाल उठाकर उन्हें कलंकित करने के प्रयासों के बाद न्याय पालिका की निष्पक्षता, संसद और उसके संवैधानिक पदाधिकारियों पर सवाल उठाए गए। अब चुनाव आयोग अपनी ईमानदारी व प्रतिष्ठा पर व्यवस्थित और षड्यंत्रकारी हमलों का सामना कर रहा है।
चुनाव आयोग पर राहुल गांधी के तीखे आरोप
इस पत्र में राहुल गांधी के आरोपों का उल्लेख करते हुए लिखा कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने चुनाव आयोग पर बार-बार हमला करते हुए कहा है कि उनके पास इस बात के खुले और ठोस सुबूत हैं कि चुनाव आयोग वोट चोरी में शामिल है और दावा किया है कि उनके पास 100 प्रतिशत सुबूत हैं।
राहुल ने अशिष्ट बयानबाजी करते हुए कहा है कि उन्हें जो मिला है, वह एक परमाणु बम है और जब यह फटेगा तो चुनाव आयोग के पास छिपने की कोई जगह नहीं होगी। उन्होंने यह भी धमकी दी है कि चुनाव आयोग में ऊपर से नीचे तक जो भी इस कार्यवाही में शामिल हैं, वह उन्हें नहीं बख्शेंगे। उनके अनुसार, चुनाव आयोग देशद्रोह में लिप्त है।
272 प्रबुद्धजनों का चुनाव आयोग को समर्थन
प्रबुद्धजन ने कहा है कि कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के कई वरिष्ठ नेता, वामपंथी गैर सरकारी संगठन आदि एसआइआर के खिलाफ इसी तरह की तीखी बयानबाजी में शामिल हो गए हैं। ऐसी तीखी बयानबाजी जांच के दौरान यह ध्वस्त हो जाती है।
ये आरोप संस्थागत संकट की आड़ में राजनीतिक हताशा को छिपाने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा है कि जब राजनेता आम नागरिकों की आकांक्षाओं से नाता तोड़ लेते हैं तो वे अपनी विश्वसनीयता बनाने के बजाय संस्थाओं पर हमला बोलते हैं। हमारी मतदाता सूची की पवित्रता कोई पक्षपातपूर्ण मुद्दा नहीं है, यह एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है।
मतदाता सूची की पवित्रता राष्ट्रीय अनिवार्यता
हम चुनाव आयोग से पारदर्शिता और कठोरता के अपने मार्ग पर चलते रहने का आह्वान करते हैं। इस पत्र पर सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल, हेमंत गुप्ता, कर्नाटक के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एसके मुखर्जी, पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी, सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारी आरडी कपूर, दीपक सिंघल और 133 सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों समेत 272 प्रबुद्धजन के हस्ताक्षर हैं।

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