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    इंश्योरेंस सेक्टर में खत्म होगी धोखाधड़ी, निगरानी फ्रेमवर्क बनाना होगा अनिवार्य; इन दिन से होगा लागू

    By RAJEEV KUMAREdited By: Swaraj Srivastava
    Updated: Mon, 13 Oct 2025 11:49 PM (IST)

    इंश्योरेंस सेक्टर में धोखाधड़ी रोकने के लिए इरडा ने सभी कंपनियों को नियंत्रण फ्रेमवर्क बनाने का निर्देश दिया है, जो अगले साल 1 अप्रैल से लागू होगा। धोखाधड़ी के कारण ईमानदार ग्राहकों को नुकसान होता है। इरडा का मानना है कि इससे ग्राहकों का हित सुरक्षित होगा और कंपनियों की वित्तीय स्थिति सुधरेगी। कंपनियों को निगरानी समिति और फ्रॉड मोनिटरिंग यूनिट बनानी होगी, और फ्रॉड की जानकारी पुलिस को देनी होगी।

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    इंश्योरेंस कंपनियों के लिए धोखाधड़ी फ्रेमवर्क बनाना अनिवार्य (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंश्योरेंस सेक्टर में होने वाली धोखाधड़ी पर लगाम के लिए सभी इंश्योरेंस कंपनियों को धोखाधड़ी नियंत्रण नीति या फ्रेमवर्क बनाने के लिए कहा गया है। भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) के निर्देश के मुताबिक सभी इंश्योरेंस कंपनियों के लिए धोखाधड़ी फ्रेमवर्क बनाना अनिवार्य होगा जो अगले साल एक अप्रैल से लागू किया जाएगा।

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    इरडा को इंश्योरेंस की खरीदारी से लेकर दावे व उसके निपटान में धोखाधड़ी की शिकायत मिलती रहती है। कई बार ईमानदार ग्राहकों को इस धोखाधड़ी की वजह से इंश्योरेंस खरीदने के बदले अधिक कीमत चुकानी पड़ती है तो कई बार अस्पताल या फिर ग्राहक की तरफ से इंश्योरेंस दावे में धोखाधड़ी के मामले सामने आते हैं।

    धोखाधड़ी का औसत 20-25 प्रतिशत

    इंश्योरेंस सेक्टर के जानकारों का मानना है कि इंश्योरेंस से जुड़े 10-15 दावे या तो गलत होते हैं या फिर बढ़ा-चढ़ा कर पेश किए जाते हैं। देश के कुछ हिस्सों में हेल्थ और मोटर इंश्योरेंस के दावों में धोखाधड़ी का औसत 20-25 प्रतिशत तक है। इरडा का मानना है कि इंश्योरेंस से जुड़ी धोखाधड़ी पर लगाम से ईमानदार ग्राहकों के हित की रक्षा होगी तो कंपनियों की वित्तीय स्थिति भी मजबूत होगी।

    हेल्थ इंश्योरेंस की कई कंपनियां अस्पतालों पर इलाज के खर्च को काफी अधिक बढ़ाकर पेश करने का आरोप लगाती रहती है। इस कारण कंपनी आए दिन कैशलेस इलाज की सुविधा बंद करने की धमकी देती रहती है। इरडा ने कहा है कि सभी इंश्योरेंस कंपनियों को किसी वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में धोखाधड़ी निगरानी समिति का गठन करना होगा।

    इसके अलावा स्वतंत्र रूप से फ्राड मोनिटरिंग यूनिट का गठन होगा जो रियल टाइम में फ्रॉड के बारे में सूचित करेगा। सभी फ्रॉड की जानकारी इंश्योरेंस कंपनियां पुलिस को देंगी और उसकी सालाना रिपोर्ट इरडा को सौंपना अनिवार्य होगा।