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23 साल का यह युवक कभी बेचता था सिम कार्ड, अाज है करोड़ों की कंपनी का मालिक

रितेश ने जब स्‍कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई से इंकार किया तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह जल्‍द ही अरबपति बन जाएगा।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 22 Jun 2018 12:07 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 03:08 PM (IST)
23 साल का यह युवक कभी बेचता था सिम कार्ड, अाज है करोड़ों की कंपनी का मालिक
23 साल का यह युवक कभी बेचता था सिम कार्ड, अाज है करोड़ों की कंपनी का मालिक

नई दिल्ली [ एजेंसी ]।  23 वर्षीय रितेश अग्रवाल की सफलता की कहानी सुनने में किसी फ‍िल्‍मी स्‍टोरी की तरह ही लगती है। किशोर रितेश ने जब स्‍कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कॉलेज की पढ़ाई  से इंकार किया तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वह जल्‍द ही अरबपति बन जाएगा। शुरुआत में वह सिम बेंचकर जीवन का भरण पोषण करने लगे। जल्‍द ही रितेश ने एक कंपनी की स्‍थापना की और उसका सीईओ बन गए। यहीं से उनके जीवन में नाटकीय मोड़ आया। आइए जानते हैं रितेश का पूरा सच।

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योयो रूम्स कंपनी के संस्थापक 23 वर्षीय रितेश अग्रवाल चीन में झंडा गाड़ने जा रहे हैं। 6.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश फंड के मालिक मासायोशी सन ने चीन में कारोबार शुरू करने में अग्रवाल की मदद की है। 

बहरहाल, किसी भारतीय कंज्यूमर टेक्नोलॉजी कंपनी का चीन में पहुंच बनाना बड़ी बात है। कंपनी ने शेनजेन में ऑपरेशन शुरू किया है। इसके बाद इसे 25 और शहरों में विस्तार करेगी। चीन में उनके कर्मचारियों की तादाद एक हजार होगी। रितेश अग्रवाल सफलता का एक ऐसा उदाहरण हैं, जो साबित करते हैं कि ऊंचाइयां को हासिल करने के लिए औपचारिक शिक्षा ही सब कुछ नहीं होती।

कुछ वर्ष पहले रितेश ओडिशा में एक छोटे से कस्बे में सिम कार्ड बेचते थे, लेकिन आज दुनिया से सबसे बड़े निवेशकों में शुमार सॉफ्टबैंक के मासायोशी सन चीन में ओयो रूम्स की एंट्री के साथ इसका पार्टनर बनना चाहते हैं।

करोड़पति अग्रवाल स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के कुछ दिन बाद ही मात्र 23 साल की उम्र में करोड़ों डॉलर के मालिक बन गए। सन ने उनकी जमकर तारीफ की है। सन ने बुधवार को टोक्यो मुख्यालय में स्ट्रैटजिक होल्डिंग कंपनी की 38वीं सालाना आम बैठक में कहा कि मैं आप लोगों को इस कंपनी के बारे में बताने को लेकर काफी उत्साहित हूं। इसके संस्थापक अभी मात्र 23 साल के हैं। उन्होंने मात्र 19 साल की उम्र में कंपनी की स्थापना की।

मात्र चार साल बीते हैं और यह कंपनी बहुत तेजी से बढ़ रही है। रितेश अग्रवाल दक्षिणी ओडिशा के एक छोटे से कस्बे विषम कटक के रहने वाले हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिसे नक्सली गतिविधियों के लिए जाना जाता है।

वे टीवी के रिमोट पर अपना कंट्रोल रखने की इच्छा की वजह से कंपनी की शुरुआत करने के लिए प्रेरित हुए। यह तब संभव नहीं था, जब वह बच्चे थे और रिश्तेदारों के साथ रहते थे। 2015 में एक इंटरव्यू में अग्रवाल ने बताया था कि योयो का फुल फॉर्म है 'ऑन योर ऑन' है। ऐसा इस वजह से हुआ क्योंकि रिश्तेदारों के घर टीवी के रिमोट पर मेरा कंट्रोल नहीं होता था।

इसी वजह से मैंने ओयो रूम्स की शुरुआत करने के बारे में सोचा। रिश्तेदार डेली सोप देखना चाहते थे और मैं कार्टून नेटवर्क देखना चाहता था।

स्कूल ड्रॉपआउट हैं रितेश

जब अग्रवाल की कंपनी बड़ी हो गई, तब वे एक मात्र ड्रॉपआउट थे, जो आईआईएम के 10-12 लोगों और आईआईटी, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के करीब 200 लोगों की टीम को लीड कर रहे थे।

उन्होंने कहा क‍ि भारत में यह मजाक है, मैं स्मार्ट और हाई क्वालिटी वाले किसी भी ड्रॉपआउट में नहीं आया हूं। उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में हमारे पास हाई-क्वालिटी वाले ड्रॉपआउट होंगे। मैं जब बातचीत के लिए कॉलेज में जाता हूं, तो छात्रों को ड्रॉप आउट के लिए प्रोत्साहित करता हूं। रितेश अग्रवाल ने बिल गेट्स और ओला कैब्स के सह-संस्थापक व साथी ड्रॉपआउट 32 वर्षीय भाविश अग्रवाल से प्रेरणा ली।


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