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    सरकारी डिस्काम पर चल सकता है दिवालिया कानून का चाबुक, केंद्र ने जारी किया मेमोरेंडम, बैंक उठा सकते हैं कदम

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Wed, 10 Nov 2021 08:22 PM (IST)

    बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) ने अगर समय पर पैसे नहीं लौटाए तो इनके खिलाफ नए दिवालिया कानून यानी इंसाल्वेंसी बैंकरप्सी कोड (आइबीसी) के तहत कार्रवाई भी हो सकती है। इस बारे में सरकार की ओर से आवश्यक मेमोरेंडम भी जारी कर दिया गया है।

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    बिजली वितरण कंपनियों को अब सतर्क हो जाने की जरूरत है।

    जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। बिजली बनाने वाली कंपनियां के अरबों रुपये लेकर बैठीं देश की दर्जनों बिजली वितरण कंपनियों को अब सतर्क हो जाने की जरूरत है। अगर समय पर बिजली वितरण कंपनियों (डिस्काम) ने पैसे नहीं लौटाए तो इनके खिलाफ नए दिवालिया कानून यानी इंसाल्वेंसी बैंकरप्सी कोड (आइबीसी) के तहत कार्रवाई भी हो सकती है। केंद्रीय बिजली मंत्रालय का स्पष्ट तौर पर मानना है कि राज्य सरकारों के तहत काम करने वाली डिस्काम पर आइबीसी, 2016 के तहत कार्रवाई हो सकती है।

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    मेमोरेंडम जारी

    सुप्रीम कोर्ट के संबंधित फैसलों और बिजली कानून की व्यापक तौर पर समीक्षा के बाद बिजली मंत्रालय इस नतीजे पर पहुंचा है। आठ नवंबर, 2021 को इस बारे में एक आवश्यक मेमोरेंडम भी जारी कर दिया गया है। बिजली मंत्रालय की तरफ से इस बारे में कानून और न्याय मंत्रालय के सचिव को एक आधिकारिक मेमोंडेरम भेजा गया है।

    इसलिए लाना पड़ा मेमोरेंडम

    मेमोरेंडम की जरूरत दरअसल तमिनलाडु की जेनरेशन व डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (टेनजेडको) के खिलाफ साउथ इंडिया कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से दायर मामले के चलते लानी पड़ी। मद्रास हाई कोर्ट में दायर मामले में यह दलील दी गई थी टेनजेडको के खिलाफ आइबीसी की धारा नौ के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती क्योंकि वह एक सरकारी निकाय है।

    बिजली मंत्रालय से मांगी थी राय

    वैसे यह मामला सीधे तौर पर बिजली मंत्रालय से जुड़ा नहीं था लेकिन केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने उससे भी राय मांगी थी। बिजली मंत्रालय की तरफ से भेजे गये मेमोरेंडम में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी और भारत सरकार के बीच चले मामले में दिए गए फैसले का उदाहरण दिया गया है।

    सुप्रीम कोर्ट ने दिया है यह फैसला

    बिजली मंत्रालय के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सिर्फ उन्हीं सरकारी निकायों को आइबीसी से अलग रखने की बात कही है जो सरकार के एक वैधानिक अंग के तौर पर काम करते हों क्योंकि ऐसे निकाय एक वैधानिक काम करते हैं और उनके प्रबंधन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। हालांकि ऐसे निकाय जो प्रोफेशनल आधार पर काम करते हैं, उन्हें इसके दायरे में नहीं लाया जा सकता है। सरकारी बिजली वितरण कंपनियों का गठन सरकारी कार्यों के लिए नहीं किया गया है।

    बिजली कानून और आइबीसी दोनों अलग-अलग

    टेनजेडको जैसी दूसरी सरकारी कंपनियों का गठन कंपनी कानून की धारा 2(45) के तहत किया गया है। कंपनी कानून, 2013 के तहत गठित बिजली वितरण कंपनियां पूरी तरह से आइबीसी की धारा 3(7) के तहत शामिल की जाएंगी। साथ ही देश में कई निजी बिजली वितरण कंपनियां भी हैं।

    दूसरी बिजली वितरण कंपनियों पर भी कार्रवाई संभव

    बिजली मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि बिजली कानून और आइबीसी दोनों अलग-अलग हैं और बिजली वितरण कंपनियों को लेकर इनके प्रविधान एक-दूसरे को काटते नहीं हैं। ऐसे में आइबीसी के तहत एनसीएलटी और एनसीएलएटी टेनजेडको जैसे दूसरी बिजली वितरण कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। 

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