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    चीन और पाकिस्‍तान की टेंशन का सबसे बड़ा कारण है समुद्र में INS Vikramaditya की मौजूदगी, जानें- अब क्‍यों बना चर्चा का विषय

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Thu, 21 Jul 2022 10:24 AM (IST)

    INS Vikramaditya समुद्र में भारत की सबसे बड़ी ताकत है। बीती रात इसमें आग लगने की वजह से ये अचानक फिर सुर्खियों में आ गया था। चीन और पाकिस्‍तान के लिए ये सबसे बड़ी परेशानी की भी वजह है।

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    भारत की समुद्र में सबसे बड़ी ताकत है INS Vikramaditya

    नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। भारत का एकमात्र विमान वाहक पोत (Indian Navy Aircraft Carrier INS Vikramaditya) बुधवार रात को अचानक उस वक्‍त सुर्खियों में आ गया जब इंडियन नेवी ने (INS Vikramaditya Caught fire) इसमें आग लगने की जानकारी करते हुए एक ट्वीट किया। ट्वीट में नेवी प्रवक्‍ता ने बताया कि आग पर समय रहते काबू पा लिया गया था और इसमें कोई हताहत भी नहीं हुआ। इस घटना की कोर्ट आफ इन्क्‍वायरी के आदेश में दे दिए गए हैं। प्रवक्‍ता के मुताबिक, ये घटना कारावार में एक आईएनएस विक्रमादित्‍य के समुद्री ट्रायल के दौरान घटी।

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    भारत की समुद्र में मजबूती का नाम है INS Vikramaditya

    इस जानकारी के सामने आते ही सभी को चिंता होना स्‍वाभाविक था, क्‍योंकि भारत का अब तक ये एकमात्र विमानवाहक पोत है। ये न केवल भारत के समुद्री इलाके में भारत की शान है, बल्कि भारत की मजबूती भी है। इसकी वजह से चीन और पाकिस्‍तान हमेशा तनाव में रहते हैं।

    भारत के दूसरे विमान वाहक पोत INS Vikrant का चल रहा ट्रायल

    आपको बता दें कि भारततीय नौसेना को जल्‍द ही देश में निर्मित एक नया विमान वाहक पोत INS Vikrant मिल जाएगा। इसका फिलहाल अरब सागर में ट्रायल चल रहा है। अब तक हुए सभी ट्रायल के दौरान ये पूरे नंबरों से पास हुआ है। इसके भारतीय नेवी में शामिल होने के बाद भारत चीन पर और भारी पड़ जाएगा। इसके बाद अरब सागर और बंगाल की खाड़ी या फिर हिंद महासागर में दुश्‍मन भारत की निगाह से बच नहीं सकेगा। भारत को दूसरा विमान वाहक पोत मिलने के बाद इस समूचे क्षेत्र में भारत ही एकमात्र ऐसा देश होगा, जिसके पास दो विमान वाहक पोत होंगे। हालांकि, चीन भी इस क्षेत्र में बड़ी तेजी से काम कर रहा है। उसके पास भी फिलहाल एक ही विमान वाहक पोत है।

    तीसरे विमान वाहक पोत का निर्माण भी जारी

    भारत में तीसरे विमान वाहक पोत का निर्माण भी जोरशोर के साथ चल रहा है। भारत की समुद्री सुरक्षा को देखते हुए ये काफी खास होगा। इसके आने के बाद अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी के लिए भारत को केवल दो विमान वाहक पोत पर ही निर्भर नहीं रहना होगा। 

    रूस का एडमिरल गोरशोव बना आईएनएस विक्रमादित्‍य

    जहां तक आईएनएस विक्रमादित्‍य की बात है तो ये रूस में बना विमान वाहक पोत है, जिसका पहले नाम एडमिरल गोरशोव हुआ करता था। भारत ने रूस की नौसेना से रिटायर किए जा चुके इस पोत को कुछ जरूरी बदलावों को करने के बाद खरीदा था। भारत के लिए इसको खरीदना इसलिए भी जरूरी था, क्‍योंकि भारत के पास आईएनएस विक्रांत को रिटायर करने के बाद इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी। भारत को अपनी समुद्री सुरक्षा को पुख्‍ता करने के लिए तत्‍काल कुछ करना जरूरी था। यही वजह थी कि भारत ने इसको खरीदा।

    आईएनएस विक्रमादित्‍य की खासियत

    ये एक Kyiv क्‍लास का एयरक्राफ्ट केरियर है। इसका आर्डर भारत ने जनवरी 2004 में किया था। अप्रैल 2012 में ये भारत के लिहाज से तैयार किया गया। नवंबर 2013 में ये इंडियन नेवी में कमीशन हुआ और जून 2014 से ये भारतीय नौसेना की सेवा में है। इसका Motto है Strike Far, Strike Sure। 284 मीटर या 932 फीट लंबा ये पोत 30 नोट्स की गति से समुद्र का सीना चीर कर आगे बढ़ सकता है। इस पर एक बार में 110 अधिकारियों समेत करीब 1500 कर्मचारी रह सकते हैं। इस पर लगे लान्‍ग रेंज सर्विलेंस रडार दुश्‍मन की हर जानकारी को इस तक पहुंचाते हैं। ये बराक-1 और बराक -8 जैसी खतरनाक मिसाइल से लैस है। इस पर एक बार में 36 फाइटर जेट रह सकते हैं। इनमें 26 मिग-29 और 10 Kamov Ka-1 AEW kamov Ka-28 ASW हेलीकाप्‍टर शामिल हैं।

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