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आत्मनिर्भर भारत की पहचान INS Mormugao से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण, दुश्मनों के ऐसे छुड़ाएगा छक्के

INS मोरमुगाओ ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फायरिंग के दौरान बुल्स आई पर सफलतापूर्वक अपना पहला निशाना साधा है। NS मोरमुगाओ परमाणु जैविक और रासायनिक युद्ध लड़ने में सक्षम है। इससे समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और चाकचौबंद होगी।

By Gurpreet CheemaEdited By: Gurpreet CheemaPublished: Sun, 14 May 2023 11:34 AM (IST)Updated: Sun, 14 May 2023 11:34 AM (IST)
INS मोरमुगाओ ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फायरिंग में सफलतापूर्वक टारगेट पूरा किया।

नई दिल्ली, एजेंसी। नवीनतम गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर INS मोरमुगाओ ने अपनी पहली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल फायरिंग के दौरान 'बुल्स आई' पर सफलतापूर्वक निशाना साधा है। बता दें कि INS मोरमुगाओ का डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार किया है। इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड मुंबई ने किया है।

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आत्मनिर्भर भारत की पहचान है INS मोरमुगाओ

INS मोरमुगाओ भारत में निर्मित सबसे शक्तिशाली युद्धपोत में से एक है। इसे केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में 18 दिसंबर को मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में नौसेना में कमीशन किया गया था। इस दौरान रक्षा मंत्री ने कहा था कि MDSL द्वारा तैयार यह युद्धपोत स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमता का बड़ा उदाहरण प्रस्तुत करता है।

INS मोरमुगाओ भारतीय नौसेना के लिए है काफी खास

खास बात ये है कि INS मोरमुगाओ परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध लड़ने में सक्षम है। इसे शक्तिशाली चार गैस टर्बाइन से गति मिलती है, जो सीओजीएजी पैमाने के हैं। इस शानदार पोत की की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर व इसका वजन 7400 टन है। इसके साथ ही इसे भारत द्वारा निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है। पलक झपकते ही ये 30 समुद्री मील तक की गति पकड़ सकता है।

गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह पर रखा गया नाम

इस युद्धपोत को गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह मोरमुगाओ का नाम दिया गया है। 2021 में 19 दिसंबर को इसे समुद्र में उतारा गया था। ये वहीं दिन था, जब गोवा को पुर्तगाली शासन से आजादी मिली थी और इसे 60 साल पूरे हुए थे। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, INS Mormugao ब्रह्मोस और बराक-8 जैसी मिसाइलों से लैस है। इससे हिंद सागर में भारतीय नौसेना की पहुंच बढ़ेगी, साथ ही समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और चाकचौबंद होगी।


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