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    गंदे नालों में तब्दील हो चुकी नदियों को पुनर्जीवित कर रहा इंदौर, तीन साल में 500 करोड़ रुपये हुए खर्च

    By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By:
    Updated: Tue, 12 Jan 2021 08:57 PM (IST)

    इन नदियों में मिलने वाले करीब 5500 बड़े तथा 1800 घरेलू व छोटे नालों को बंद करने का कार्य भी पूर्णता की ओर है। इन नदियों में बहने वाला गंदा पानी पाइप ल ...और पढ़ें

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    प्रतिदिन 312 एमएलडी पानी को उपचारित करके इन नदियों में बहाया जा रहा है।

    अमित जलधारी, इंदौर। देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर ने अब सबसे साफ नदी-नालों वाला शहर बनाने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं। कभी शहर की जीवनरेखा मानी जाने वाली सरस्वती नदी, जो वर्षो पहले नाले में तब्दील हो चुकी थी, वह अब लगभग साफ हो गई है। इसी तरह कान्ह (खान) नदी सहित शहर के छह बड़े नालों का कायापलट का काम भी जोर-शोर से हो रहा है।

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    पहले गंदे पानी से बजबजाते नाले अब कहीं सूखने लगे हैं, तो कहीं नालों में गंदे पानी की आवक 80 प्रतिशत तक घट चुकी है। इस महत्वपूर्ण परियोजना पर इंदौर नगर निगम बीते तीन साल में 500 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है।

    बता दें कि एक समय ऐसा था जब कान्ह नदी इंदौर के सबसे बड़े नाले के रूप में पहचानी जाती थी। करीब 21 किमी लंबी कान्ह नदी को जनवरी के अंत तक गंदे पानी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि 15 किमी लंबी सरस्वती नदी को साफ किया जा चुका है। इन नदियों में मिलने वाले करीब 5500 बड़े तथा 1800 घरेलू व छोटे नालों को बंद करने का कार्य भी पूर्णता की ओर है। इन नदियों में बहने वाला गंदा पानी पाइप लाइन के जरिये शहर के सात सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जा रहा है। प्रतिदिन 312 एमएलडी पानी को उपचारित करके इन नदियों में बहाया जा रहा है। निगम ने शहर के करीब 135 किलोमीटर लंबे नदी-नालों में गंदे पानी की आवक रोकने का बीड़ा उठाया है।

    केंद्र की योजना के तहत हो रहा कायाकल्प

    केंद्र सरकार की अमृत योजना के तहत 220 करोड़ रुपये खर्च कर सीवरेज नेटवर्क का विस्तार करने, शहर में सात सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के कार्य हुए हैं। इसके चलते सरस्वती नदी में बदबूरहित उपचारित पानी बहने लगा है। इसी के तहत इंदौर ने सात सीवरेज प्लांट के जरिये 397.50 एमएलडी पानी प्रतिदिन उपचारित करने की क्षमता हासिल कर ली है।

    इंदौर नगर निगम के अपर आयुक्त संदीप सोनी ने बताया कि इंदौर में नदी-नालों की सफाई के लिए 2016 से काम शुरू हो गए थे। बीते दो साल में इन कार्यो में काफी तेजी आई है। भविष्य में सभी नालों में शहर से निकले गंदे पानी के बजाय केवल बरसाती पानी बहेगा।