'IndiGo एकलौती प्रॉफिट कमाने वाली एयरलाइन...' एविएशन सेक्टर में क्यों नहीं उतर रहें नए खिलाड़ी? सरकार ने बताई वजह
लोकसभा में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारतीय एविएशन सेक्टर में इंडिगो एकमात्र ऐसी बड़ी एयरलाइन है जिसने वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग 7,253 ...और पढ़ें
-1765464063944.webp)
इंडिगो ने 2024-25 में 7,253 करोड़ रुपये का लाभ कमाया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। एक तरफ जहां इंडिगो की ऑपरेशनल दिक्कतों की वजह से बड़ी संख्या में फ्लाइट कैंसिलेशन से लोग परेशान हैं वहीं दूसरी ओर लोकसभा में पेश एक सरकारी डेटा ने भारतीय एविएशन सेक्ट की पोल खोल दी है।
गुरुवार को लोकसभा में पेश सरकारी आंकड़ों में सामने आया है कि भारत का एविएशन सेक्टर अभी बड़े पैमाने पर घाटे का बिजनेस है।
इंडिगो ने 2024-25 में 7,253 करोड़ रुपये का लाभ कमाया
नागरिक उड्डयन मंत्रालय के लिखित जवाब के अनुसार, इंडिगो एकमात्र बड़ी एयरलाइन थी जिसने फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में प्रॉफिट कमाया है। ये प्रॉफिट लगभग 7,253 करोड़ रुपये का था।
इसके उलट, एयर इंडिया को 3,976 करोड़ रुपये, एयर इंडिया एक्सप्रेस को 5,832 करोड़ रुपये, अकासा एयर को 1,986 करोड़ रुपये और एलायंस एयर को 691 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।
आंकड़ों के अनुसार स्पाइसजेट भी 56 करोड़ रुपये के घाटे में रही। इंडिगो के साथ ही एक छोटी एयर कंपनी स्टार एयर ने इस साल अपवाद स्वरुप 68 करोड़ रुपये का मामूली प्रॉफिट कमाया।
एयर इंडिया को 4,444 करोड़ रुपये का घाटा हुआ
2022-23 में, भारत में एयरलाइंस को कुल मिलाकर 18,600 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ था, जिसमें अकेले एयर इंडिया को 11,387 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इसी क्रम में इंडिगो ने 316 करोड़ रुपये के घाटे की रिपोर्ट सबमिट की थी। हालांकि, अगले वित्तीय वर्ष में इंडिगो के लिए स्थिति में तेजी से सुधार हुआ।
इस साल इंडिगो ने 8,167 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया, जबकि ज्यादातर दूसरी एयरलाइंस को होता नुकसान जारी रहा। 2023-24 में एयर इंडिया को 4,444 करोड़ रुपये और स्पाइसजेट को 404 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
मांग तो बढ़ी लेकिन कम नहीं हुआ घाटा
सरकारी आंकडें बताते हैं कि बढ़ती मांग के बावजूद नए खिलाड़ी बाजार में आने से क्यों हिचकिचाते हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 में घरेलू यात्री यातायात 7।7% बढ़कर 16।55 करोड़ हो गया, फिर भी ज्यादातर एयरलाइंस पर भारी कर्ज है। अभी वे ज्यादा ऑपरेटिंग लागत से जूझ रही हैं।
एविएशन सेक्टर में इंडिगो का दबदबा
घरेलू बाजार में 65% हिस्सेदारी ने इंडिगो के हालिया संकटको और बढ़ा दिया है। जहां क्रू की कमी और नए ड्यूटी-टाइम नियमों के कारण हजारों उड़ानें रद कर दी गईं।
प्रतिद्वंद्वी एयरलाइंस की वित्तीय हालत खराब होने के चलते यात्रियों के पास बहुत कम विकल्प हैं, जिससे हवाई अड्डों पर भीड़ बढ़ रही है, किराया आसमान छू रहा है, और निराशा बढ़ रही है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।