Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    India Population: भारत की होगी 21वीं सदी, विकास का आधार है युवा जनसंख्या; चुनौतियां भी कम नहीं

    By TilakrajEdited By:
    Updated: Mon, 06 Jun 2022 11:16 AM (IST)

    क्या आप इस बात से सहमत हैं कि देश की बड़ी जनसंख्या हमारे लिए वरदान है? क्या देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून आज वक्त की जरूरत बन चुका है? 25 साल थी 2010 में भारतीय जनसंख्या की औसत उम्र उस समय चीन की औसत आयु 35 थी।

    Hero Image
    जैसे-जैसे जनसंख्या का आकार बढ़ता है, अधिक खाद्य उत्पादों की आवश्यकता होती है

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। जन कल्याण, सुविधाओं और सहूलियतों के वैश्विक सूचकांकों में कई बार भारत इसलिए मात खा जाता है कि उसके पास बड़ी आबादी है। भले ही हम कुल डाक्टरों, कालेजों जैसी सुविधाओं में ब्रिटेन जैसे तमाम विकसित देशों से गुणात्मक रूप में आगे हों, लेकिन जैसे ही बात प्रति लाख, प्रति हजार या प्रति व्यक्ति की आती है, भारत सूची में निचले पायदान पर पहुंच जाता है। भारत की बड़ी आबादी का दूसरा पहलू यह है कि दुनिया के तमाम देश हमारे बहुमूल्य मानव संसाधन से पुष्पित-पल्लवित हो रहे हैं। कई देश इस युवा संसाधन से बहुत उम्मीदें लगाए हैं। दुनिया के कई देशों की तमाम जरूरी सेवाओं का यह आधार है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विशेषज्ञ मानते हैं कि कुल प्रजनन दर देश की बदलाव दर (रिप्लेसमेंट रेट) से कम हो चुकी है, लिहाजा भविष्य में देश की जनसंख्या स्वत: ही स्थिर हो जाएगी। यह बात और है कि कुछ समूहों की प्रजनन दर लंबे समय से कम बनी हुई है लेकिन कुछ में यह अभी परिलक्षित नहीं हो पा रही है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के कहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने जा रही है। दरअसल किसी चीज का क्रियान्वयन दो तरीके से होता है। लोगों को जागरूक करके या फिर सख्त कानूनों से बाध्य करके। देश भर में समग्र रूप से प्रजनन दर में एकरूपता की अपरिहार्य जरूरत के बीच इस बात की पड़ताल करना आज बड़ा मुद्दा है कि इसके लिए अब और जागरूकता की जरूरत है या फिर इसके लिए कड़े कानून की दरकार।

    जनसांख्यिकी लाभांश

    किसी भी अर्थव्यवस्था में वहां की आबादी का बड़ा योगदान रहता है। युवा आबादी ही वह कार्यबल है, जिसके दम पर आर्थिक गतिविधियां आगे बढ़ती हैं। भारत की युवा आबादी भी यहां की ताकत है। अर्थव्यवस्था में जनसंख्या की भूमिका की चर्चा होती है, तो एक शब्द सामने आता है ‘जनसांख्यिकी लाभांश’। जनसांख्यिकीय लाभांश अर्थव्यवस्था में मानव संसाधन के सकारात्मक और सतत विकास को दर्शाता है। इससे पता चलता है कि युवा और कार्यशील जनसंख्या (15 से 59 वर्ष) की तुलना में आश्रित वर्ग (14 से कम और 60 से अधिक उम्र के लोग) कम है।

    भारत की होगी 21वीं सदी

    आइएलओ के अनुसार, 21 वीं शताब्दी भारत की होगी क्योंकि इसके पास सशक्त लोकतंत्र, मांग और जनसांख्यिकीय लाभांश जैसी तीन संपत्तियां हैं जो विश्व के किसी भी देश के पास नहीं। जनसंख्या में कामकाजी वर्ग की हिस्सेदारी ज्यादा होने से अर्थव्यवस्था में बचत और निवेश अधिक होता है। कर्मचारियों की उचित भर्ती, चयन, प्रशिक्षण, प्रदर्शन, क्षतिपूर्ति, स्वास्थ्य और सुरक्षा उपायों पर कदम बढ़ाना जरूरी है। युवा कार्यबल का हिस्सा बने, जिससे जनसंख्या दबाव न बन जाए।

    बढ़ती जनसंख्या के कारण चुनौतियां भी कम नहीं

    किसी देश में बड़ी जनसंख्या को यदि सही तरह से नियोजित न किया जाए तो उसे कई क्षेत्रों में गंभीर चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।

    प्राकृतिक संसाधनों की कमी: यह बढ़ती जनसंख्या का सबसे गंभीर प्रभाव है। पृथ्वी की उत्पादन की एक सीमा है। यदि संसाधनों का सजगता से प्रयोग न किया जाए और जनसंख्या का दबाव बढ़ता रहे, तो अंतत: संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ता है। वनों की कटाई, वन्यजीव शिकार, प्रदूषण और कई अन्य समस्याएं इसी का हिस्सा हैं।

    सघन खेती में वृद्धि: जैसे-जैसे जनसंख्या का आकार बढ़ता है, अधिक खाद्य उत्पादों की आवश्यकता होती है। अधिक खाद्य उत्पादों के लिए अधिक अनाज और नई कृषि तकनीकों के साथ अधिक किसानों की आवश्यकता भी होती है। इसलिए इस दिशा में सतत प्रयास आवश्यक है।

    वन्यजीवों की विलुप्ति: जैसे-जैसे बढ़ती जनसंख्या के कारण भूमि की मांग बढ़ती है, यह वनों जैसे प्राकृतिक संसाधनों का विनाश करती है। विज्ञानियों की चेतावनी है कि अगर मौजूदा प्रवृत्ति जारी रही, तो दुनिया की कुल वन्यजीव प्रजातियों के 50 प्रतिशत के विलुप्त होने का खतरा होगा।

    निवेश में समस्या: आर्थिक विकास निवेश पर निर्भर करता है। बढ़ती जनसंख्या की सामाजिक चुनौतियों के लिए भी खर्च की आवश्यकता होती है। ऐसे में निवेश और खर्च के बीच चुनाव मुश्किल होता है।

    बेरोजगारी से निपटना भी जरूरी: तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी का संकट बढ़ता है। कामकाजी जनसंख्या बढ़ जाती है, लेकिन उनके लिए उचित रोजगार की व्यवस्था नहीं हो पाती है।

    भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की कितनी संभावनाएं...?

    25 साल थी 2010 में भारतीय जनसंख्या की औसत उम्र, उस समय चीन की औसत आयु 35, अमेरिका की 37, जर्मनी की 44 और जापान की 45 वर्ष थी। 37 साल होगी भारतीयों की औसत आयु 2050 में, उस समय चीन की 49, अमेरिका की 40, जर्मनी की 49 और जापान की 52 वर्ष होगी। वहीं, 2030 में भारतीय जनसंख्या में 28 वर्ष से कम उम्र के लोगों की संख्या होगी। अन्य देशों की तुलना में भारतीय जनसंख्या की कम औसत आयु यह दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास की कितनी संभावनाएं हैं।