Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब पाताल में भी नहीं बच पाएंगे दुश्मन... भारतीय नौसेना में शामिल हुआ स्वदेशी INS निस्तार, जानें खासियत

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 08:18 PM (IST)

    भारत का पहला स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत निस्तार शुक्रवार को नौसेना में शामिल हो गया जो रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने इसे गर्व का क्षण बताया। निस्तार नाम का अर्थ मुक्ति है। यह पोत गहरे पानी में डूबे जहाजों को बचाने की क्षमता रखता है। पुराने निस्तार ने 1971 के भारत-पाक युद्ध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

    Hero Image
    भारतीय नौसेना में शामिल हुआ स्वदेशी INS निस्तार। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, विशाखापत्तनम। भारत का पहला स्वदेशी गोताखोरी सहायता पोत निस्तार शुक्रवार को नौसेना में शामिल हो गया। यह रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि है। रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने इसे गर्व का क्षण बताया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'निस्तार' नाम संस्कृत से लिया गया है और इसका अर्थ है मुक्ति या मोक्ष। इस पोत में अत्याधुनिक गोताखोरी उपकरण लगे हैं। निस्तार को पुराने पोत से बनाया गया है। जलावतरण समारोह में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने कहा, पुराने पोत कभी नष्ट नहीं होते, वे हमेशा उन्नत रूप में लौटते हैं।

    बेहद खास है स्वदेशी गोताखोरी पोत

    उन्होंने कहा कि भारत के पहले स्वदेशी गोताखोरी पोत का जलावतरण हम सभी के लिए गौरव का क्षण है। नया निस्तार पनडुब्बियों सहित गहरे पानी में डूबे जहाजों को बचाने की अपनी उन्नत क्षमता के साथ अपनी विरासत को आगे बढ़ाएगा।

    निस्तार भारत और क्षेत्रीय साझेदारों की पनडुब्बी बचाव क्षमताओं को बढ़ाएगा। भारत वैश्विक स्तर पर पनडुब्बी बचाव में महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में उभरेगा। जलावतण समारोह में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने कहा कि निस्तार भारत की वैश्विक पहचान बढ़ाएगा।

    विकसित भारत के तकनीकी प्रगति का प्रतीक है निस्तार

    निस्तार विकसित भारत के तकनीकी प्रगति का प्रतीक है। इस जहाज का पुराना संस्करण 29 मार्च, 1971 को लांच किया गया था। इसने भारत-पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और पाकिस्तानी पनडुब्बी गाजी की पहचान करने में मदद की थी। पुराने निस्तार को 1989 में इसे नौसेना की सेवा से मुक्त या डीकमीशन कर दिया गया। उस समय निस्तार का वजन 800 टन था, अब इसे पुनर्विकसित कर 10,500 टन वजनी बना दिया गया है। इसकी लंबाई 120 मीटर है।

    एक हजार मीटर की गहराई में भी बचाव अभियान को अंजाम देगा निस्तार

    लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से निर्मित निस्तार समुद्री क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत का उत्कृष्ट उदाहरण है। समुद्र में एक हजार मीटर की गहराई में भी बचाव अभियान को अंजाम देने में सक्षम इस पोत को भारतीय नौवहन के मानकों के अनुरूप डिजाइन किया गया है।

    यह गहरे समुद्र में गोताखोरी तथा बचाव अभियान चला सकता है। यह क्षमता दुनिया भर की चुनिंदा नौसेनाओं के पास ही है। यह जहाज गहरे समुद्र में डूबे बचाव पोत के लिए 'मदर शिप' के रूप में भी काम करेगा ताकि पानी के नीचे किसी पनडुब्बी में आपात स्थिति में कर्मियों को बचाया जा सके।

    यह भी पढ़ें: समुद्र में 1000 मीटर की गहराई में भी बचाव अभियान को अंजाम देगा निस्तार, 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से INS की जानिए खासियत

    comedy show banner
    comedy show banner