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    KM Cariappa: आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल थे केएम करियप्पा, पाक जनरल भी करते थे सम्मान

    By Sonu GuptaEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sun, 14 May 2023 08:43 PM (IST)

    केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल थे जिन्हें 15 जनवरी 1949 को सेना का प्रमुख बनाया गया था। कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा ने अपनी नौकरी की शुरुआत भारतीय-ब्रिटिश फौज की राजपूत रेजीमेंट में सेकेंड लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति के साथ की थी। फोटो- जागरण।

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    आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल थे केएम करियप्पा। फोटो- जागरण।

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। केएम करियप्पा आजाद भारत के पहले फील्ड मार्शल थे, जिन्हें 15 जनवरी 1949 को सेना का प्रमुख बनाया गया था। पहले सेना प्रमुख होने के साथ-साथ वह भारतीय सेना के पहले फाइव स्टार रैंक के अधिकारी थे। भारतीय सेना में तीस साल रहकर उन्होंने देश की सेवा की और साल 1953 में रिटायर हो गए। हालांकि, रिटायर होने के बाद भी फील्ड मार्शल करियप्पा भारतीय सेना में किसी न किसी रूप में अपना योगदान देते रहे। 94 साल की उम्र में 15 मई 1993 को बेंगलुरू में करियप्पा का निधन हो गया।

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    सेकेंड लेफ्टिनेंट के तौर पर हुई थी पहली तैयारी

    कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा ने अपनी नौकरी की शुरुआत भारतीय-ब्रिटिश फौज की राजपूत रेजीमेंट में सेकेंड लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्ति के साथ की थी। केएम करियप्पा का जन्म 28 जनवरी 1899 को कर्नाटक में हुआ था। उनकी शुरुआती शिक्षा माडिकेरी सेंट्रल हाई स्कूल से हुई थी। हालांकि, उन्होंने अपनी पढ़ाई मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज से पूरी की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह इंदौर स्थित आर्मी ट्रेनिंग स्कूल के लिए सेलेक्ट हो गए। आर्मी ट्रेनिंग स्कूल से ट्रेनिंग पूरा होने के बाद साल 1919 में उन्हें सेना में कमीशन मिला और भारतीय सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट के तौर पर उनकी तैनाती कर दी गई।  

    सेना दिवस और करियप्पा का यह है खास कनेक्शन

    फील्ड मार्शल करियप्पा को 15 जनवरी 1949 को भारत का सेना प्रमुख नियुक्त किया गया। इसी दिन भारतीय अधिकारी को कमांडर इन चीफ का पद मिला था। इससे पहले इस पद पर अंग्रेजों की नियुक्ति होती थी। 15 जनवरी 1949 को ब्रिटिश शासन ने पहली बार भारतीय सेना को कमान सौंपी थी और इस दौरान करियप्पा सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे थे। उन्होंने जनरल सर फ्रांसिस बुचर का स्थान लिया और भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ के रूप में पदभार ग्रहण किया। इसी दिन भारत में हर साल जवानों और भारतीय सेना की याद में सेना दिवस (Army Day) मनाया जाता है।

    1986 में दिया गया फील्ड मार्शल का पद

    केएम करियप्पा साल 1953 में सेना से रिटायर हो गए, जिसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में राजदूत बनाया गया। करियप्पा ने अपने अनुभव के कारण कई देशों की सेनाओं के पुनर्गठन में भी मदद की। भारत सरकार ने सन 1986 में उन्हें "फील्ड मार्शल" का पद दिया। सेवानिवृत्ति के बाद केएम करियप्पा कर्नाटक के कोडागू जिले के मदिकेरी में बस गए थे। करिअप्पा को ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश एम्पायर, मेन्शंड इन डिस्पैचेस और लीजियन ऑफ मेरिट जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया था।

    पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अयूब खान के बॉस थे करियप्पा

    फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा बंटवारे से पहले पाकिस्तान के पूर्व सेना प्रमुख और राष्ट्रपति जनरल अयूब खान के भी बॉस रह चुके थे। अयूब खान सेना में रहते हुए जनरल करियप्पा के साथ काम किया था। साल 1965 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जनरल करियप्पा सेना से रिटायर हो चुके थे। हालांकि, उनके बेटे केसी नंदा करियप्पा इसी दौरान एयरफोर्स में सेवा देते हुए पाकिस्तानी सेना पर कहर बरपा रहे थे। पाकिस्तानी सेना पर गोले बरसाते हुए वह गलती से दुश्मन देश की सीमा में प्रवेश कर गए और उनका विमान पाकिस्तानी सेना की गोलियों का शिकार हो गया।

    सभी भारतीय जवान मेरे बेटे के सामान

    दुश्मन की सीमा में किसी भी तरह सुरक्षित नीचे उतरने के बाद  पाकिस्तानी सेना ने उन्हें अपने कब्जे में ले लिया। हालांकि, पाकिस्तानी सेना को जब पता चला कि केसी नंदा रिटायर्ड जनरल केएम करियप्पा के बेटे हैं तो पाक सेना में खलबली मच गई। इसकी जानकारी जब उस समय के पाक राष्ट्रपति अयूब खान को दी गई तो उन्होंने पाक उच्चायुक्त को पूर्व सेना प्रमुख करियप्पा से बात करने के लिए कहा। पाक उच्चायुक्त ने पूर्व सेना प्रमुख करियप्पा से बात की और उनके बेटे को छोड़ने की पेशकश की, जिसमें करियप्पा ने कहा कि पाकिस्तान में बंद सभी भारतीय जवान मेरे बेटे हैं और छोड़ना है तो सबको छोड़ो। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।