'हमारे पास 40 तेजस भी नहीं...', चीन की ओर से बढ़ती चुनौतियों के बीच कितना तैयार है भारत?
वायुसेना प्रमुख ने हाल ही में चिंता जताई कि 2010 में 40 तेजस विमान का आर्डर दिया था। सेना को अभी पूरे 40 विमान नहीं मिले हैं। सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रही हैं। जरूरी है कि अहम रक्षा उपकरणों के उत्पादन में निजी क्षेत्र को शामिल किया जाना चाहिए। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। निजी क्षेत्र की भागीदारी और प्रतिस्पर्धा देश की रक्षा जरूरतों के लिए कितनी अहम साबित हो सकती है...

जागरण टीम, नई दिल्ली। भारत दशकों से अपनी रक्षा जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी हथियार और दूसरे रक्षा उपकरणों के उत्पादन पर जोर दे रहे हैं। इसके सकारात्मक नतीजे भी दिखने लगे हैं और तीनों सेनाओं की जरूरत के काफी हथियार और उपकरण अब देश में ही बन रहे हैं।
निजी क्षेत्र की कंपनियां भी रक्षा क्षेत्र में निवेश कर रही हैं, लेकिन संवेदनशील रक्षा तकनीक क्षेत्र में अब भी सरकारी उपक्रमों जैसे हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड और डीआरडीओ का एकाधिकार है। ये कंपनियां तेजी से बदल रहे सुरक्षा और तकनीक के परिदृश्य के साथ कदम मिलाकर नहीं चल पा रहीं हैं।
वायुसेना प्रमुख ने इस बात पर चिंता जताई है कि 2010 में 40 तेजस विमान का ऑर्डर दिया गया था। वायुसेना को सभी 40 विमान अब तक नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रहीं हैं।
ऐसे में अहम रक्षा उपकरणों के उत्पादन में निजी क्षेत्र को शामिल किया जाना चाहिए। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। निजी क्षेत्र की भागीदारी और प्रतिस्पर्धा देश की रक्षा जरूरतों के लिए कितनी सामयिक और अहम साबित हो सकती है, इसकी पड़ताल अहम मुद्दा है।
चीन से बढ़ रहीं रक्षा चुनौतियां
चीन के एक उड़ते हुए विमान की काफी चर्चा हो रही है। इसे छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान बताया जा रहा है। ऐसे समय में जब चीन अपनी ताकत तेजी से बढ़ा रहा है, भारत अब भी तेजस पर अटका पड़ा है और इसका पांचवीं पीढ़ी के विमान वाला एएमसीए प्रोग्राम अब भी कागजों पर ही है।
अमेरिका से मुकाबला कर रहा चीन
हाल के वर्षों में चीन ने अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने सैन्य उपकरणों को तेजी से विकसित किया है। उदाहरण के लिए- हाई-स्पीड जे-20 को हवाई श्रेष्ठता और लंबी दूरी के हमलों के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें उन्नत स्टील्थ क्षमताएं और अत्याधुनिक एवियोनिक्स हैं।
स्टील्थ फाइटर आधुनिक सैन्य विमानन में चीन की बढ़ती ताकत का नवीनतम अध्याय है और यह एफ-22 और एफ-35 जैसे अमेरिकी जेट विमानों को टक्कर देता है।
चीन के खिलाफ भारत की तैयारियां
भारत निर्विवाद रूप से सैन्य शक्ति के मामले में चीन से काफी पीछे है। इसका सबसे बड़ा कारण रक्षा खर्च में अंतर है। चीन का रक्षा बजट 471 अरब डॉलर है। वहीं, भारत का रक्षा बजट 75 अरब डॉलर है।
इस कारण चीन शोध एवं विकास के साथ हथियारों के निर्माण पर ज्यादा खर्च कर पाता है। वहीं, भारत अपने कम रक्षा बजट के बावजूद चीन को टक्कर देने लायक हथियारों का निर्माण कर रहा है।
भारत के पास विकल्प
चीन के छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के खिलाफ भारत के पास मुख्य रूप से दो विकल्प हैं। भारत फिर से रूस की ओर रुख कर सकता है और उसके पीएके एफए परियोजना से जुड़कर सुखोई एसयू-57 खरीद सकता है। इसके तीसरे विकल्प के रूप में भारत अमेरिका से एफ-35 विमानों के सौदे को अंतिम रूप दे सकता है।
भारत का सबसे ताकतवर विमान कौन-सा है?
अभी तक भारत के हवाई बेड़े में सबसे शक्तिशाली विमान राफेल है। भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदे हैं। सभी विमानों की डिलीवरी हो चुकी है।
इन विमानों को भारत की जरूरत के हिसाब से मॉडिफाई किया गया है। ये विमान 4.5 पीढ़ी के माने जाते हैं।
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