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    2030 तक संकटग्रस्त भारतीय जीवों और वनस्पतियों की जारी होगी राष्ट्रीय रेड डेटा बुक

    Updated: Thu, 09 Oct 2025 08:38 PM (IST)

    भारत ने वन्यजीवों और पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को वैश्विक मंच पर रखा। केंद्रीय मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने आइयूसीएन कांग्रेस में भारत की भूमिका बताई। भारत 2030 तक संकटग्रस्त जीवों की रेड लिस्ट जारी करेगा और विजन डॉक्यूमेंट 2025-2030 भी जारी किया गया। भारत जैव विविधता के मामले में अग्रणी है, जहाँ जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की अनेक प्रजातियाँ पाई जाती हैं।

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    भारत की वन्यजीव संरक्षण पहल। जागरण फाइल फोटो

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में वन्यजीवों सहित पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चल रहे प्रयासों को भारत ने वैश्विक मंच से न सिर्फ दुनिया को अवगत कराया है बल्कि यह भी बताया उसने देश से विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से बसाने में एक बड़ी सफलता हासिल की है।

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    केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने गुरुवार को अबूधाबी में अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आइयूसीएन) के विश्व संरक्षण कांग्रेस में संकटग्रस्त वन्यजीवों और वनस्पतियों के संरक्षण की दिशा में भारत के प्रयासों को साझा किया और कहा कि 2030 तक भारत संकटग्रस्त वन्यजीवों व वनस्पतियों की रेडलिस्टडेटा बुक भी जारी कर देगी। जिसके मूल्यांकन की दिशा में तेजी का काम चल रहा है।

    आइयूसीएन जारी करता है वैश्विक रेडलिस्ट 

    केंद्रीय वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री ने इस मौके पर भारतीय रेटलिस्ट मूल्यांकन के लिए विजनडाक्यूमेंट 2025- 2030 भी जारी किया। मौजूदा समय में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अग्रणी संगठन आइयूसीएन ही जीवों और वनस्पतियों की ब्यौरा जुटाती है। साथ ही संकटग्रस्त वन्यजीवों व वनस्पतियों को लेकर वैश्विक रेडलिस्ट भी जारी करती है। जिसमें मौजूदा में 1.63 लाख से अधिक प्रजातियों का मूल्यांकन शामिल है।

    28 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां को संकटग्रस्त

    इनमें करीब 28 प्रतिशत से अधिक प्रजातियां को संकटग्रस्त पाया गया है। इस संगठन से दुनिया के 160 से अधिक जुड़े है। इस सम्मेलन में भारत का यह दृष्टिकोण इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि जैव- विविधता के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष के 17 देशों में शामिल है।

    देश में जीव-जंतुओं और वनस्पतियों की कितनी हैं प्रजातियां?

    देश में जीव-जंतुओं की 1.04 लाख से अधिक और वनस्पतियों की 18 हजार से अधिक प्रजातियां पायी जाती है। गौरतलब है कि वैश्विक क्षेत्रफल का 2.4 प्रतिशत भूभाग होने के बावजूद दुनिया की आठ प्रतिशत वनस्पति और साढ़े सात प्रतिशत जीवों भारत में पाए जाते है।