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    आर्थिक संबंधों को मजबूती देने पर जोर, 23वें भारत-रूस सम्मेलन में किन-किन मुद्दों पर होगी चर्चा?

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 11:50 PM (IST)

    प्रधानमंत्री मोदी और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में 23वें भारत-रूस सम्मेलन से पहले, आर्थिक सहयोग को संतुलित करने पर जोर दिया गया। वित्त मंत्री न ...और पढ़ें

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    भारत-रूस सम्मेलन में आर्थिक सहयोग पर जोर

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अगुआई में पांच दिसंबर को होने वाले 23वें भारत-रूस सालाना सम्मेलन से एक दिन पहले दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक सहयोग को संतुलित एवं विस्तारित बनाने की जोरदार तैयारी दिखी।

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    गुरुवार को दो अवसरों पर भारत ने व्यापार असंतुलन दूर करने, निवेश बढ़ाने और रूस के बाजार में भारतीय उत्पादों की मजबूत पैठ बनाने पर जोर दिया। सुबह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रूसी प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मांतुरोव के नेतृत्व में आए उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की।

    भारत-रूस सम्मेलन में आर्थिक सहयोग पर जोर

    इस बैठक में रूस के आर्थिक विकास मंत्री मैक्सिम रेशेतनिकोव, वित्त मंत्री एंटोन सिलुआनोव और सेंट्रल बैंक की गवर्नर एल्विरा नबीउल्लिना भी मौजूद थीं। दोनों पक्षों ने निवेश, बैकिंग, वित्तीय सहयोग और आपसी हित के अन्य मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की। रूसी पक्ष ने भारत की आगामी ब्रिक्स अध्यक्षता को पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया। दोनों देशों ने शुक्रवार को होने वाले शिखर सम्मेलन से मजबूत परिणामों की उम्मीद जताई।

    दूसरी ओर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने फिक्की द्वारा आयोजित भारत-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित करते हुए रूस के साथ अधिक संतुलित और व्यापक व्यापारिक संबंध बनाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन द्वारा 2025 के लिए रखा गया लक्ष्य पहले ही पार हो चुका है।

    2030 तक 100 अरब डॉलर व्यापार का लक्ष्य

    वित्त वर्ष 2024-25 में द्विपक्षीय व्यापार 68.7 अरब डालर तक पहुंच गया है। लेकिन, यह रूस के पक्ष में बहुत ज्यादा असंतुलित है। भारत का निर्यात मात्र 4.88 अरब डालर है, जबकि आयात 63.84 अरब डालर है।

    गोयल ने भारतीय उद्योग जगत से रूसी बाजार में मिल रहे अभूतपूर्व अवसर को भुनाने की अपील की। उन्होंने कहा, रूस में आटोमोबाइल, ट्रैक्टर, भारी वाहन, इलेक्ट्रानिक्स, स्मार्टफोन, हैवी मशीनरी, टेक्सटाइल और खाद्य उत्पादों की भारी मांग है।

    साथ ही रूस में लगभग 30 लाख कुशल कर्मचारियों की कमी है, जिसे भारत के 24 लाख वार्षिक एसटीईएम (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) स्नातक आसानी से पूरा कर सकते हैं।

    100 अरब डालर द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य

    रूसी राष्ट्रपति के आर्थिक सलाहकार मैक्सिम ओरेश्किन ने कहा कि उनकी टीम का स्पष्ट लक्ष्य है कि भारत से आयात काफी बढ़ाया जाए, क्योंकि वर्तमान में भारत का हिस्सा रूस के कुल आयात में दो प्रतिशत से भी कम है। दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डालर तक ले जाने का नया लक्ष्य रखा है।

    हम इसी लक्ष्य पर काम कर रहे हैं। गुरुवार की इन बैठकों से साफ है कि कल होने वाला मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन न सिर्फ रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देगा, बल्कि आर्थिक और व्यापारिक संबंधों में संतुलन व गहराई लाने की दिशा में ठोस कदम भी उठाए जाएंगे।