भारत सरकार भारतीय मूल के शोधार्थियों को वापस बुलाने की कोशिश में, क्या है उद्देश्य?
भारत सरकार विदेशों में बसे भारतीय मूल के शिक्षकों और शोधकर्ताओं को वापस बुलाने की योजना बना रही है। शिक्षा और विज्ञान मंत्रालय मिलकर एक ऐसी योजना बना रहे हैं, जिसका उद्देश्य उन वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करना है जो भारत में एक निश्चित अवधि के लिए शोध या अध्यापन करने के इच्छुक हैं। आईआईटी जैसे संस्थान भी विदेशी संकायों को आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत सरकार की नई पहल (प्रतीकात्मक फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विदेश में बसे भारतीय मूल के शिक्षकों या शोधकर्ताओं को वापस बुलाकर भारतीय संस्थानों में पढ़ाने या शोध करने की सरकार की योजना जोर पकड़ रही है। पहले भी इसी प्रकार की योजना पर विचार किया गया था, लेकिन इसमें प्रक्रियागत विलंब और अनिश्चितताओं सहित कई बाधाएं आईं।
अमेरिका के हालिया घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में इस योजना पर नए सिरे से विचार किया जा रहा है। अमेरिका में इनमें से ज्यादातर संकाय सदस्य या विज्ञानी कार्यरत हैं। सूत्रों के अनुसार, शिक्षा और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालयों के परामर्श से एक योजना तैयार की जा रही है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण शैक्षणिक कार्य करने वाले भारतीय मूल के ऐसे विज्ञानियों और शोधकर्ताओं को वापस बुलाना है, जो शोध या अध्यापन के लिए भारत में एक निश्चित अवधि बिताने के इच्छुक हैं।
विदेशी संकायों को आकर्षित करने का प्रयास
एक सूत्र ने बताया, 'आइआइटी पहले से ही प्रतिष्ठित विदेशी संकायों को आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं, जिनमें भारतीय मूल के वे संकाय सदस्य भी शामिल हैं जो अब विदेश में बस गए हैं या उनका अधिकांश कार्य वहीं है। 'इस महीने की शुरुआत में व्हाइट हाउस ने कम से कम नौ अमेरिकी विश्वविद्यालयों से एक समझौते पर हस्ताक्षर करने को कहा था।
जिसमें डोनल्ड ट्रंप प्रशासन की उच्च शिक्षा से संबंधित प्राथमिकताओं को बनाए रखने अथवा संघीय सरकार से मिलने वाले अनुदान तक प्राथमिक पहुंच गंवाने का जोखिम उठाना शामिल है। साथ ही हार्वर्ड विश्वविद्यालय जैसे शीर्ष विश्वविद्यालयों में प्रवेश, प्रशासन और संकाय नीतियों में सुधार की मांग के तहत अरबों डालर के संघीय अनुदान रोक दिए गए हैं।
योजना का उद्देश्य
वर्तमान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय 'वीएजेआरए' संकाय योजना का संचालन कर रहा है। इस योजना का उद्देश्य विदेश में रहने वाले विज्ञानियों और शिक्षाविदों को कुछ समय के लिए भारत की सरकारी संस्थाओं और विश्वविद्यालयों में काम करने के लिए बुलाना है जिनमें भारतीय मूल के लोग (एनआरआइ और ओसीआइ) भी शामिल हैं। (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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