Move to Jagran APP

Indian Railways के इस कारनामे के नतमस्‍तक हैं इंग्लैंड -अमेरिका के भी इंजीनियर, जानें इसकी खूबियां

नागपुर डिवीजन से कोरबा के लिए शेषनाग ने पहली दौड़ लगाई थी। यह 251 वैगन वाली 2.8 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी थी। जुलाई 2013 में पहली बार दो मालगाड़ि‍यों को जोड़कर एक ही पास व सिग्नल पर 118 वैगन वाली लांग हाल ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ था।

By Arun kumar SinghEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 07:21 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 10:39 PM (IST)
सबसे लंबी मालगाड़ी का तमगा प्राप्त कर चुकी शेषनाग और सुपर एनाकोंडा

 विकास पांडेय, कोरबा। भारत की सबसे लंबी मालगाड़ी का तमगा प्राप्त कर चुकी शेषनाग और सुपर एनाकोंडा की ख्याति देश की सीमाएं लांघकर विदेशों तक जा पहुंची है। पिछले दिनों रेलवे बोर्ड के ऑनलाइन व्याख्यान में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक गौतम बनर्जी ने विद्युत ट्रैक्शन व भारतीय रेलवे में राइट पावरिंग के विषय में अपने विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने चार रैक एक साथ जोड़कर चलाई जा रही मालगाड़ि‍यों की तकनीक भी साझा की। व्याख्यान में भाग लेने वाले अमेरिका और इंग्लैंड के प्रतिष्‍ठि‍त संस्थानों के इंजीनियर और अभियांत्रिकी छात्र भी इस तकनीक के बारे में जानकर चकित रह गए और सराहना की।

loksabha election banner

देश की सबसे लंबी मालगाड़ी की तकनीक जानकर हुए प्रभावित

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन के नागपुर डिवीजन से कोरबा के लिए शेषनाग ने पहली दौड़ लगाई थी। यह 251 वैगन वाली 2.8 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी थी। व्याख्यान में इसकी जानकारी से अमेरिका के इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियर्स संस्थान न्यूयार्क(आइईईई), इंग्लैंड से इंटरनेशनल रेलवे एक्रूमेंट एक्जीविशन(आइआरईई, यूके) व भारत से इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट आफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग नासिक (आइआरआइईईएन) के इंजीनियरिंग विशेषज्ञ काफी प्रभावित हुए। जुलाई 2013 में पहली बार दो मालगाड़ि‍यों को जोड़कर एक ही पास व सिग्नल पर 118 वैगन वाली लांग हाल ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ था। 

इसमें सतत सुधार के साथ रैक की संख्या बढ़ती गई। इसका परिणाम दो जुलाई 2020 को देश की सबसे लंबी मालगाड़ी शेषनाग के रूप में सामने आया। इन मालगाड़ि‍यों को तीन या चार इंजन खींचते हैं। सभी का नियंत्रण आगे चल रहे इंजन में होता है। वायरलेस कंट्रोल सिस्टम से चलने वाले रिमोट इंजनों को खास सेंसर लगाकर बनाया गया है, जो लीड इंजन के कमांड का अनुसरण करते हैं। शेषनाग पर आधारित एक सवाल चर्चित शो कौन बनेगा करोड़पति में शो के होस्ट अमिताभ बच्चन ने भी अपने एक प्रतिभागी से पूछा था। 

समय, बिजली व मेनपावर की बचतक्षेत्रीय रेल प्रबंधक कोरबा मनीष अग्रवाल ने बताया कि तीन या चार रैक वाली इन सबसे लंबी मालगाड़ि‍यों से मैनपावर, बिजली व समय की बचत होती है। एक रैक में लोको पायलट, सहायक लोको पायलट व गार्ड समेत तीन कर्मी होते हैं। चार ट्रेन में कुल 12 कर्मियों से काम लेना होता है। वहीं शेषनाग में तीन से ही हो जाता है। चार अलग मालगाड़ी के बजाय एक साथ गुजरने से नियंत्रण कक्ष से लेकर मैदानी व तकनीक व्यवस्थाओं के दोहराव से भी बचत होती है।

ऐसे नियंत्रित होते हैं पीछे के रिमोट इंजन

32 नोज(गियर) वाले इलेक्ट्रिक इंजन में पांच ऐसे बिंदु होते हैं, जिनसे पूरा इंजन कंट्रोल होता है। इनमें ब्रेक सिलेंडर(बीसी), ब्रेक पाइप(बीपी), मेन रेजर वायर(एमआर), फ्लो पाइप(एफपी) व एयर फ्लो(एफ) शामिल हैं। इनमें पांच अलग सेंसर लगा दिए जाते हैं। इन्हें एक साथ ड्राइव इंटरफेस यूनिट(डीआइयू) कहा जाता है। इसे लीड लोको के कैबिन से दिए गए कंमाड एंटीना की मदद से पीछे लगे रिमोट लोको तक भेजा जाता है। पीछे के लोको में लगे रिसीवर इन कमांड को फालो कर आपरेट होते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.