लो चल पड़ी किसान रेल..., अब खराब नहीं होंगी सब्जियां और फल, किसानों को भी होगा फायदा
किसान रेल की शुरुआत के बाद न सिर्फ किसानों को फायदा पहुंचने की उम्मीद की जा रही है बल्कि इससे ग्राहकों को भी फायदा होगा।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। भारतीय रेल ने शुक्रवार से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किसान रेल की शुरुआत की है। यह ट्रेन महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर तक 30 अगस्त तक चलाई जाएगी। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा है कि पीएम मोदी जी ने देश की पहली किसान रेल के लिये अपना अमूल्य मार्गदर्शन और सुझाव दिये। उनकी इस प्रेरणा से रेलवे ने देश के किसानों के हित में अपने दायित्वों को निभाकर उन्हें पूर्ण करना सुनिश्चित किया। मैं इसके लिये उनका आभारी हूं।
अपने ट्वीट में उन्होंने कहा है कि किसान रेल दूध, फल, सब्जी जैसी जल्दी खराब हो जाने वाली चीजों को बाजार तक पहुंचाने के साथ ही नेशनल कोल्ड सप्लाई चेन को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। ये किसान रेल हर शुक्रवार देवलाली से सुबह 11 बजे चलेगी। ये लगभग 1,500 किलोमीटर की यात्रा करीब 32 घंटों में तय करके अगले दिन शाम 6.45 पर दानापुर पहुंचेगी। ये ट्रेन मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश से हो कर गुजरेगी और करीब 14 स्टेशनों पर रुकेगी। इस ट्रेन की खासियत ये है कि हर स्टेशन पर किसान अपना पार्सल चढ़ा सकेंगे और उतार भी सकेंगे। रेलवे मंत्री पीयूष गोयल और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा शुक्रवार को इस ट्रेन को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर महाराष्ट्र के खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री छगन भुजबल भी उपस्थित थे।
अपने एक अन्य ट्वीट में पीयूष गोयल ने कहा है कि पीएम मानते हैं कि देश की प्रगति का इंजन भारतीय रेल को बनना चाहिये। वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान रेलवे और किसानों ने देश के कोने कोने में, किसी को भी, किसी भी वस्तु की कमी ना हो, यह सुनिश्चित किया। इसके लिये रेल और कृषि मंत्रालय के सभी कर्मचारियों को मैं धन्यवाद देता हूं।
इस ट्रेन से जाने वाले पार्सल की बुकिंग स्टेशन पर ही की जा सकेगी। इसमें शुरुआत में 10 डिब्बे लगाए गए हैं बाद में पायलट प्रोजेक्ट से मिली सफलता के आधार पर इसके डिब्बों की संख्या में इजाफा किया जाएगा। इस ट्रेन का भविष्य भी पायलट प्रोजेक्ट पर टिका हुआ है। यदि ये सफल हुआ तो दूसरे मार्गों पर भी ऐसी और ट्रेनें चलाई जा सकेंगी। इस परियोजना की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अपने बजट भाषण में की थी। इस ट्रेन में आगे चलकर कई तरह की चीजें एक राज्य से दूसरे राज्यों में भेजी जा सकेंगी।
किसान रेल में रेफ्रिजरेटेड कोच लगे होंगे। इसे रेलवे ने 17 टन की क्षमता के साथ नए डिजाइन के रूप में निर्मित करवाया है। इसे रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला में बनाया गया है। इस ट्रेन में डिब्बे कंटेनर फ्रीज की तरह होंगे। मतलब यह एक चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज होगा, इसमें किसान खराब होने वाले सब्जी, फल, फिश, मीट, मिल्क रख सकेंगे।
इस परियोजना की जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि भारत में सामान की ढुलाई की व्यवस्था में कई खामियों की वजह से फल, सब्जियां जैसी कई और चीजें खराब हो जाती हैं। हालांकि, कई राज्यों में स्थानीय तौर पर दूध की सप्लाई के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल पहले से ही किया जाता रहा है। सब्जियों को दूसरे राज्यों में भेजने के लिए आज भी सड़कों पर ही निर्भरता बनी हुई है। सड़क से जाने वाले ट्रक कई बार शहरों के ट्रैफिक जाम तो कभी चुंगी चौकियों पर फंस जाते हैं। इसके अलावा भी उनके साथ कई तरह की दूसरी परेशानियां जुड़ी होती हैं। ऐसे में कई बार सामान देर से मंडियों में पहुंचने की वजह से खराब हो जाता है। सरकारी अनुमान के मुताबिक, इस तरह भेजा जाने वाला 20 फीसद सामान रास्ते में ही खराब हो जाता है। ऐसे में बर्फ वाले ट्रेन के डिब्बों में इन उत्पादों की ढुलाई एक बेहतर विकल्प है। यदि ये पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसका असर माल ढुलाई के अलावा सामान की कीमत पर भी पड़ेगा।