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    रेलवे ने किया विस्टाडोम पर्यटक डिब्बों की रफ्तार का सफल परीक्षण, PM बोले- ये रेल यात्रा को बनाएंगे यादगार

    By Shashank PandeyEdited By:
    Updated: Thu, 31 Dec 2020 09:09 AM (IST)

    रेलवे ने अम्मा निर्भार भारत मिशन में मांसपेशियों को जोड़ते हुए बुधवार को इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) द्वारा बनाए गए नए डिजाइन विस्टाडोम टूरिस्ट कोच के सफल स्पीड ट्रायल को पूरा किया। रेल मंत्रालय ने कहा कि इसका उद्देश्य यात्रियों को विश्व स्तरीय आधुनिक यात्रा अनुभव प्रदान करना है।

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    रेलवे ने किया विस्टाडोम पर्यटक डिब्बों की रफ्तार का सफल परीक्षण। (फोटो: प्रेट्र)

    नई दिल्ली, एजेंसियां। आत्म निर्भर भारत अभियान को और मजबूती देते हुए भारतीय रेलवे ने बुधवार को नए डिजाइन विस्टाडोम पर्यटक डिब्बों का सफल स्पीड परीक्षण किया। कोच ने 180 किमी प्रति घंटे दोलन परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) द्वारा निर्मित नए विस्टाडोम डिब्बों की सराहना करते हुए कहा कि इनसे मिलने वाली आरामदायक व्यवस्था से लोगों की यात्राएं यादगार हो जाएंगी।

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    रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इन नए डिब्बों से देश को अवगत कराते हुए ट्वीट किया और उसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, 'आरामदायक और आधुनिक प्रौद्योगिकी से रेल यात्राएं बहुत यादगार होंगी।'रेल मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दिसंबर में ही डिब्बों के दबाव का परीक्षण आइसीएफ में पूरा किया गया था।

    मंत्रालय ने कहा कि इसका मकसद लोगों की यात्रा को आरामदायक और सुविधाजनक बनाना है। विस्टाडोम पर्यटक डिब्बों में बड़े और लंबे शीशे वाली खिड़कियां हैं तथा इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से नियंत्रित की जा सकने वाली कांच की बनी छत भी है। पर्यटन हर प्रकार से नजारों को लुत्फ उठा सकेंगे। हर कोच में 44 पर्यटकों के बैठने की क्षमता है और ये कुर्सियां 180 डिग्री तक घूम सकेंगी। इन डिब्बों में यात्रियों के लिए वाई-फाई आधारित सूचना की व्यवस्था होगी। ये डिब्बे जिन स्थानों के लिए निर्धारित हैं उनमें दादर और मडगांव ,कालका, शिमला,कांगड़ा घाटी,दार्जिलिंग, कश्मीर घाटी आदि शामिल हैं।

    शताब्दी एक्सप्रेस में खानपान की सुविधा बंद, रेलवे ने लोकल वेंडर को दी छूट

    कोरोना संक्रमण के कारण ट्रेनों में खानपान भले ही बंद हो, लेकिन रेलवे ने शताब्दी एक्सप्रेस में खुद ही कोरोना प्रोटोकाल तो़़ड दिया है। अपनी बेस रसोई को बंद कर रखी है। वहीं शताब्दी एक्सप्रेस में लोकल वेंडर्स खानपान, चाय और कॉफी बेच रहे हैं। इसी कारण सही कीमत और क्वालिटी की भी कोई गारंटी नहीं है। शताब्दी के टिकट से भी खानपान हटाकर किराया कम किया गया है, लेकिन चलती ट्रेन में लोकल वेंडर को छूट देकर रेलवे ने दोहरा रवैया अपनाया है। ग्वालियर स्थित शताब्दी की बेस किचन बंद रख, लोकल वेंडरों को क्यों एंट्री दी, इसका जवाब रेलवे के पास भी नहीं है।

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