आज भी बरबस आकर्षित करती है 'डाकिया डाक लाया' की गूंज
भले ही मोबाइल, इंटरनेट और कोरियर युग में डाकिया डाक लाया.. की आवाज अब कहीं गुम होती जा रही हो। महानगरों में लाल बक्सों का महत्व नाममात्र का रह गया हो, परंतु आज भी डाक विभाग भारतीय विरासत का एक अभिन्न अंग है। चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है.., सनम को खत लिखा.. जैसे गीत आज भी हमारी पुरानी यादो
भले ही मोबाइल, इंटरनेट और कोरियर युग में डाकिया डाक लाया.. की आवाज अब कहीं गुम होती जा रही हो। महानगरों में लाल बक्सों का महत्व नाममात्र का रह गया हो, परंतु आज भी डाक विभाग भारतीय विरासत का एक अभिन्न अंग है।
चिट्ठी आई है वतन से चिट्ठी आई है.., सनम को खत लिखा.. जैसे गीत आज भी हमारी पुरानी यादों को ताजा कर देते हैं। हर पल तेजी से बदलते इस संचार युग में जहां भारतीय डाक एक मील का पत्थर है वहीं एक अनूठा अहसास भी है।
शुरुआत
आज भारतीय डाक के नाम से प्रसिद्ध इस प्रणाली की शुरूआत पहली अक्टूबर, 1854 को एक महानिदेशक के नियंत्रण वाले 701 डाकघरों के नेटवर्क के साथ हुई। 1854 के डाकघर अधिनियम ने डाकघर प्रबंधन का संपूर्ण एकाधिकार और पत्रों के संवाहन का विशेषाधिकार सरकार को प्रदत्त करते हुए तत्कालीन डाक प्रणाली को संशोधित किया। इसी साल रेल डाक सेवा की भी स्थापना हुई और भारत से ब्रिटेन और चीन के बीच समुद्री डाक सेवा भी शुरू की गई। इसी वर्ष देश भर में पहला वैध डाक-टिकट भी जारी किया गया।
बदलती भूमिका
डाकघरों में पत्रों को संभालने के साथ-साथ लोगों का धन भी जमा किया जाता है। ये कभी-कभी बैंक की भूमिका में भी दिखाई देते हैं। समय के साथ इसमें काफी बदलाव भी देखने को मिले। मनीआर्डर व बचत बैंक के साथ-साथ रजिस्ट्री पोस्ट, स्पीड पोस्ट, बिजनेस पोस्ट और ग्रीटिंग पोस्ट इसकी सेवा के अभिन्न अंग बने। सामाजिक बदलाव को गति प्रदान करने की भूमिका निभाता हुआ वर्तमान भारतीय डाक परंपरा और आधुनिकता के समावेश का प्रतीक बन चुका है।
सबसे बड़ा डाक नेटवर्क
यह विश्व का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है जिसमें एक लाख 54 हजार 846 डाकघरों में कार्यरत 4 लाख 66 हजार 903 कर्मचारी डाकसेवा प्रदान कर रहे हैं। जिनमें बैंकिंग, जीवन बीमा तथा प्रीमियम सेवाएं शामिल हैं। विभाग, डाकघरों के कंप्यूटरीकरण तथा अन्य ई-संभावित सेवाओं में स्पीड पोस्ट, बिल मेल सर्विस, नेशनल बिल मेल सर्विस, ईपोस्ट तथा डॉयरेक्ट-पोस्ट, एक्सप्रेस पार्सल, लॉजिस्टिक, बिजनेस, रिटेल व मीडिया पोस्ट शामिल हैं। इसके अतिरिक्त ई-पेमेंट, वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांस्फर, इंस्टेंट व इलेक्ट्रॉनिक मनीऑर्डर भी ई-सेवाओं में शामिल है।
पहला बचत बैंक
यह देश का पहला बचत बैंक था और आज इसके करोड़ों से भी ज्यादा खातेदार हैं और डाकघरों के खाते में अरबों की राशि जमा है। डाक विभाग का सालाना राजस्व 1000 करोड़ से भी अधिक है।
दूरदराज इलाकों में पहुंच
भारत के दूर-दराज के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की डाक आजकल जल्दी पहुंचने लगी है। ये संभव हो पाया है ईमेल की बदौलत। डाकखानों में हाथ से लिखे पत्रों को कंप्यूटर पर स्कैन कर पहाड़ी इलाकों के डाकखानों को ईमेल किया जाता है। दूसरे छोर पर ईमेल खोला जाता है और उसे प्रिंट कर डाकिया उसे सही पते पर पहुंचा देता है।
हरकारा
पहाड़ों में कई इलाके ऐसे हैं जहां यातायात का कोई साधन नहीं मगर लोग वहां रहते हैं। डाकिए खाकी वर्दी पहने, टोपी लगाए, अपना बैग लेकर और एक घंटी टुनटुनाते हुए अक्सर इन इलाकों में जाकर पत्र बांटा करते हैं। ये डाकिए पैदल ही तराई और हिमालय के बर्फ भरे इलाकों में सफर करते हैं। ये केवल पत्र ही नहीं पहुंचाते बल्कि जरूरत पढ़ने पर चिट्ठी पढ़कर भी सुनाते हैं।
पिन कोड
भारतीय ाक सेवा में एक खास बात यह है कि यहां एक खास तरह का पिन कोड होता है। यह पिन कोड 6 नंबरों का होता है। पिन कोड पोस्ट ऑफिस का नंबर होता है। इसकी मदद से ही तुम तक चिट्ठियां पहुंच पाती हैं।
सबसे ऊंचा डाकघर
दुनिया भर में सबसे ऊंचाई पर बना डाकघर भारत में है। यह हिमाचल प्रदेश में स्थित है।
क्या है प्रोजेक्ट ऐरो..
भारतीय डाक विभाग को पुनर्सज्जित करने तथा एक अलग पहचान बनाने के उद्देश्य और डाकघरों को जीवंत तथा उत्तरदायी संस्था बनाने के क्रम में एक नए ब्रांड का शुभारंभ किया गया है। इस राष्ट्रव्यापी योजना को 'प्रोजेक्ट ऐरो' का नाम दिया गया। इस परियोजना के अंतर्गत देशभर के चयनित डाकघरों को डाकघर कोर ऑपरेशन की परिधि में लाया गया तथा उपडाकघरों का चयन लुक एंड फील के अंतर्गत किया गया।
कैसे शुरू हुआ यह दिवस
सन् 1874 में स्विस राजधानी बर्न में स्थापित यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की वर्षगांठ नौ अक्टूबर को प्रतिवर्ष विश्व डाक दिवस के रूप में मनाई जाती है। वर्ष 1969 में टोक्यो, जापान में हुई यूनिवर्सल यूनियन कांफ्रेंस में इस दिन को विश्व डाक दिवस घोषित करने का निर्णय लिया गया था।
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