दक्षिण चीन सागर से भूमध्य सागर तक नौसेना बढ़ा रही अपनी धमक, दुश्मनों को मिलेगा मुंहतोड़ जवाब
भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अपनी समुद्री पहुंच बढ़ा रही है। भारत और फिलीपींस ने दक्षिणी चीन सागर में संयुक्त गश्त की, जिससे दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ एकता का संदेश गया। ग्रीस के साथ पहला नौसैनिक अभ्यास हुआ। भारत 2036-37 तक 800 किमी रेंज वाली मिसाइलों से लैस दो पनडुब्बियां शामिल करने का लक्ष्य बना रहा है। नौसेना की यह पहल दुश्मनों को करारा जवाब देने की तैयारी है।

दक्षिण पूर्व एशियाई साझेदारों के साथ एकजुटता का संकेत (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हिंद महासागर में बढ़ती उथल पुथल और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बदलते गठबंधनों के बीच, भारतीय नौसेना अपनी समुद्री पहुंच को विस्तार दे रही है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत की नौसैनिक कूटनीति ऐसे समय में सामने आई है, जब बाहरी शक्तियां भारत के समुद्री पड़ोस में अपनी गतिविधियां बढ़ा रही हैं।
कर्नल (सेवानिवृत्त) बीपी काटजू ने इंडिया नैरेटिव में लिखी एक रिपोर्ट में बताया है कि परंपरागत अभ्यास से अलग हाल के महीनों में भारतीय नौसेना की पहुंच काफी बढ़ी है। अगस्त में भारत और फिलीपींस की नौसेनाओं ने दक्षिणी चीन सागर में पहली बार संयुक्त गश्त की। इससे विवादित जलक्षेत्र में बढ़ते तनाव के बीच दक्षिण पूर्व एशियाई साझेदारों के साथ एकजुटता का संकेत दिया।
ग्रीस के साथ पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास
इसके तुरंत बाद, स्वदेशी पोत आइएनएस निस्तार ने सिंगापुर में बहुराष्ट्रीय पनडुब्बी बचाव अभ्यास में हिस्सा लिया। इसमें चीन और जापान समेत 12 देशों की नौसेनाएं शामिल हुईं। पूर्वी समुद्र में आईएनएस सहयाद्री ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चल रही तैनाती के तहत मलेशिया के केमामन में प्रवेश किया। पश्चिम में पीएम नरेन्द्र मोदी की ग्रीस यात्रा के बाद भारत ने ग्रीस के साथ अपना पहला संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया। ग्रीस के साथ भारत की भागीदारी तुर्की और पाकिस्तान के बीच गहरे होते संबंधों के बीच हुई।
तुर्की ने कथित तौर पर आपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का समर्थन किया था। कर्नल काटजू ने लिखा है कि भारतीय नेवी ने भूमध्य सागर से लेकर दक्षिण चीन सागर तक बहुत तेजी से अपनी पहुंच बढ़ाई है। ब्रिटेन के विमान वाहक पोत एचएमएस प्रिंस आफ वेल्स ने भारतीय नौसेना के साथ पश्चिमी हिंद महासागर के कोंकण क्षेत्र में युद्धाभ्यास किया था। इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेना भारत की रक्षा साझेदारी के बढ़ते नेटवर्क को दर्शाता है, लेकिन इसके साथ ही आकस (एयूकेयूएस) गठबंधन के मामले में बहस को भी जन्म देता है।
भारत ने चीनी गतिविधि पर सवाल उठाए
इसे कुछ भारतीय विश्लेषक भारत के अपने रणनीतिक ढांचे से बाहर जाकर काम करनेवाला एक सैन्य ब्लाक मानते हैं। हिंद महासागर में बढ़ रही प्रतिस्पर्धा रिपोर्ट में कहा गया है कि ¨हद महासागर अब प्रतिस्पर्धी वर्चस्व का मंच बनता जा रहा है। चीन का 'रिसर्च वेसल' लगातार श्रीलंका और मालदीव्स में डेरा डाले हुए है और उस पर जासूसी का भी संदेह जताया जाता है।
हाल ही में, अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया ने भी जलविज्ञान अध्ययन के लिए ऐसे ही जहाज भेजे। भारत ने चीनी गतिविधि पर तो सवाल उठाए, लेकिन अब देश के सामने और भी नाजुक सवाल है कि दुश्मन के बजाय अपने सहयोगी ही घुसपैठ करें तो उन्हें कैसे जवाब दिया जाए। ऐसा ही सवाल तुर्की द्वारा पाकिस्तान और मालदीव्स को ड्रोन दिए जाने पर भी उठता है।
बढ़ेगी ताकत, तैयार हो रहीं दो परमाणु पनडुब्बियां
हिंद महासागर में बढ़ती चुनौतियों के बीच भारत प्रोजेक्ट 77 को भी आगे बढ़ा रहा है। इसमें 40 हजार करोड़ की लागत से स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी का निर्माण किया जाएगा। भारतीय नौसेना ने 2036-37 तक 800 किलोमीटर रेंज वाली मिसाइलों से लैस दो पनडुब्बियां बेड़े में शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
काटजू के मुताबिक भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान आगे की चुनौतियों को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं। भूमध्यसागर से लेकर दक्षिण चीन सागर तक भारत की नौसैनिक भागीदारी केवल पहुंच का प्रदर्शन भर नहीं है बल्कि ये इरादे का बयान भी है।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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