Heinous Crimes: श्रद्धा-आफताब से पहले भी हुए हैं रिश्तों के कत्ल, इन चर्चित मामलों में अपने ही बने हत्यारे
Famous Murder Cases In India बड़े शहर अक्सर अपराधों को लेकर उदासीन होते हैं ऐसा लगता है जैसे उन्हें परवाह ही नहीं। लेकिन कुछ मामले उनके अंतर्मन को भी झकझोर देते हैं और दशकों तक भरोसा टटोलते रहते हैं। देखें ऐसी ही कुछ घटनाएं जहां कटघरे में खड़े दिखे रिश्ते...

नई दिल्ली, बबली कुमारी। जबसे मनुष्य ने समाज की अवधारणा में ढल कर एक साथ रहना सीखा है, तबसे परिवार की अहमियत सबसे ज्यादा रही है। परिवार समाज की इकाई होता है। जब भरोसे की बात आती है तो किसी और से पहले हम अपने परिवार की ओर मुंह ताकते हैं, क्योंकि वो हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। हालांकि, आजकल उसी परिवार के इतने किस्से सुनने और जानने को मिलते हैं कि परिवार या रिश्तेदार शब्द से भी विश्वास सा उठता जा रहा है। सभी अपवादों को दरकिनार कर यदि हम भरोसा कर भी लेते हैं तो जल्द ही हमारा भरोसा फिर से चकनाचूर हो जाता है और हम फिर एक नई सीख सीखते हैं।
हाल ही में हुए श्रद्धा हत्याकांड की खबर हम सब ने सुनी-देखी और जानी। जहां एक आम समझदार इंसान श्रद्धा ने सभी अपवादों को नजरअंदाज कर अपने प्रेमी आफताब पर भरोसा किया था। जिसके साथ वो पूरी जिंदगी जीने के सपने संजो चुकी थी, उसी प्रेमी ने उसका इतनी बेरहमी से क़त्ल कर दिया कि भरोसा ही नहीं होता कि इनके बीच कभी मोहब्बत भी रही होगी।
और ये पहली बार नहीं है, जब कोई अपना ही हमारे साथ फरेब, कत्ल, दुष्कर्म या कोई और जघन्य अपराध किया हो। आए दिन अखबार में और टीवी में ये सब देखने-सुनने को मिल जाता है। तो कैसे इस परिवार की व्यवस्था पर शक न हो? कैसे न हम ये मान लें कि वो पारिवारिक माहौल वो आदर्श परिवार जिसके किस्से हमें पढ़ाए-सुनाए जातें हैं उस पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिह्न लग चुका है।
आरुषि हत्याकांड हो या विद्या जैन हत्याकांड, कोई न कोई अपना ही हमारा गला दबा रहा होता है या हमारी बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने पर आमादा रहता है। क्या हमें ये नहीं मान लेना चाहिए कि एक आधुनिक समाज में पारिवारिक ढांचे के रूप में हम विफल होते जा रहे हैं? आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ हाई प्रोफाइल हत्याकांड जिनमें अपनों ने ही रिश्तों को सूली पर चढ़ा दिया...
विद्या जैन हत्याकांड
1973 के विद्या जैन हत्याकांड ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया था। यह भारत में कॉन्ट्रैक्ट किलिंग के पहले हाई-प्रोफाइल मामलों में से एक था। विद्या राष्ट्रपति वीवी गिरि के मानद नेत्र सर्जन नरेंद्र सिंह जैन की पत्नी थीं। विद्या जैन की निर्मम हत्या ने 1973 की सर्दियों में दिल्ली को दहला दिया था।
इस घटना को लगभग 50 साल हो गए हैं, लेकिन कुछ बुजुर्ग लोगों की याद में यह मामला आज भी तरोताजा है। 4 दिसंबर 1973 की रात को डॉ. एन एस जैन डिफेंस कॉलोनी थाने पहुंचे और कहा कि उनकी पत्नी की हत्या कर दी गई है।
चूंकि यह एक बेहद हाई-प्रोफाइल मामला था, इसलिए पुलिस बल तुरंत सक्रिय हो गया। जैसे-जैसे इस जघन्य हत्या से जुड़ी जानकारी तेजी से सामने आई, लोगों का ध्यान बरबस इस वारदात की तरफ केंद्रित होता गया। हाई-प्रोफाइल केस होने के चलते समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने भी इस घटना को प्रमुखता से कवरेज दी और विस्तृत रिपोर्ट सुर्खियों का हिस्सा बन गईं।
जांच के दौरान पुलिस को डॉक्टर जैन के बयान में कुछ विसंगतियां मिलीं। उन्हें आश्चर्य हुआ कि हत्यारों का ध्यान श्रीमती जैन को मारने पर ही क्यों केंद्रित था और उनके पति को अकेला क्यों छोड़ दिया? पूरे देश की निगाहें हाई प्रोफाइल मर्डर केस पर टिकी थीं। हर कोई जानना चाहता था कि आखिर किसके इशारे पर हत्या हुई। एक दशक बाद, फांसी दिए जाने से कुछ घंटे पहले, दो हत्यारों ने कुछ पत्रकारों से मुलाकात की और बताया कि अपराध के मास्टरमाइंड फांसी से बच निकले, क्योंकि वे अमीर थे।
जांच के दौरान सामने आई जानकारी के अनुसार इस हत्या को कुछ इस तरह अंजाम दिया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति वी वी गिरि की आंख के इलाज के लिए डॉक्टर जैन को उनका पर्सनल डॉक्टर चुना गया था। 1967 में चंद्रेश शर्मा नाम की एक लड़की ने डॉक्टर जैन के यहां बतौर सेक्रेटरी काम करना शुरू किया और कुछ ही दिनों में दोनों में अफेयर शुरू हो गया।
डॉक्टर जैन की पत्नी विद्या को इसकी भनक लगी तो उन्होंने चंद्रेश को नौकरी से निकलवा दिया। हालांकि, इसके बाद भी अफेयर जारी रहा। डॉक्टर जैन चंद्रेश से शादी करना चाहते थे, लेकिन इसके लिए उनकी वर्तमान शादी आड़े आ रही थी।
राष्ट्रपति के डॉक्टर होने के नाते उन्हें डर था कि अगर यह बात खुल के सामने आती है तो समाज में उनकी बड़ी बदनामी होगी। चंद्रेश ने डॉक्टर जैन से अपनी नजदीकियों के बारे में अपने एक दोस्त राकेश को बताया था और उससे कहा कि वह डॉक्टर जैन की पत्नी विद्या जैन को रास्ते से हटाना चाहती है।
राकेश ने इस काम के लिए भाड़े के दो हत्यारों से बात करना शुरू किया। उजागर सिंह और करतार सिंह नाम के दो हत्यारे विद्या जैन को मारने के लिए तय किए गए। जब इस भयावह हत्याकांड पर फैसला आया तो पूरा देश हैरान था। चंद्रेश, डॉक्टर जैन और राकेश को इस मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई गई। वहीं करतार और उजागर को सजा-ए-मौत दी गई।
सैयद मोदी हत्याकांड
ऐसी ही एक दूसरी घटना में आठ बार राष्ट्रीय बैडमिंटन चैंपियन रह चुके सैयद मोदी की लखनऊ में 28 जुलाई, 1988 को हत्या कर दी गई थी। अपने खेल नायक को इस तरह खोने के बाद पूरा देश हिल उठा था। बाद में साजिश की परतें जैसे-जैसे खुलने लगीं, सब कुछ साफ होता गया। मामले में उनकी पत्नी अमिता मोदी और उस समय राजनीति में रसूख रखने वाले एक नेता का नाम सामने आया था।
नैना साहनी हत्याकांड
तंदूर कांड नाम से यह मामला पूरे देश में चर्चित हुआ था। जिसने सुना उसकी रूह कांप गई थी। दो जुलाई, 1995 को दिल्ली युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सुशील शर्मा ने अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या की। उस दिन जब सुशील अपने घर पहुंचा तो नैना किसी से फोन पर बात कर रही थी। सुशील को देखते ही उसने फोन काट दिया। सुशील ने रीडायल करके पता किया कि नैना अपने दोस्त करीम से बात कर रही थी। सुशील को यह नागवार गुजरा और उसने लाइसेंसी रिवाल्वर से नैना की गोली मारकर हत्या कर दी।
बाद में उसने अपने रेस्तरां मैनेजर की मदद से शव के टुकड़े-टुकड़े कर उसे तंदूर में जलाने की कोशिश की। सुशील ने बेंगलुरु पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया। ट्रायल कोर्ट की मौत की सजा को बाद में सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था।
इन घटनाओं पर एक नजर डालने के बाद आप देख सकते हैं कि कैसे हमारे अपने, सबसे अजीज, हमारे शुभचिंतकों का भी कोई भरोसा नहीं रह गया है, जबकि ये घटनाएं कोई आज की नहीं, दशकों पुरानी है। हमारे अपने रिश्तेदारों या परिवार वाले किसी लालच या द्वेष में हमारे जानी-दुश्मन बन जाते हैं।
हमें अपने समाज और परिवार को नए सिरे से नई सोच और मर्यादा सिखानी होगी। खुद को इतना समझदार और सशक्त बनाना होगा कि इनके फरेब और गंदी नजर को दूर से पहचान सकें। रिश्तों के इस उधड़ते ताने-बाने को हमें खुद ही रफू करना होगा, ताकि समाज बचा रहे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।