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    Justice Nagarathna: तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा भारतीय परिवार, जस्टिस नागरत्ना ने महिलाओं को लेकर कह दी बड़ी बात

    सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने शनिवार को कहा कि भारत में परिवार की संस्था आज तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव कई कारकों से प्रेरित है जिसमें आम शिक्षा तक अधिक पहुंच बढ़ता शहरीकरण व्यक्तिगत आकांक्षाओं से लेकर कार्यबल की अधिक गतिशीलता और शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता शामिल है।

    By Agency Edited By: Jeet Kumar Updated: Sun, 13 Apr 2025 02:00 AM (IST)
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    तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रहा भारतीय परिवार- जस्टिस नागरत्ना (फाइल फोटो)

     पीटीआई, बेंगलुरु। सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बीवी नागरत्ना ने शनिवार को कहा कि भारत में परिवार की संस्था आज तेजी से बदलाव के दौर से गुजर रही है। यह बदलाव न केवल परिवारों की संरचना और कार्यप्रणाली पर, बल्कि कानूनी व्यवस्था पर भी गहरा असर डाल रहे हैं।

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    बदलाव कई कारकों से प्रेरित

    उन्होंने कहा कि यह बदलाव कई कारकों से प्रेरित है, जिसमें आम शिक्षा तक अधिक पहुंच, बढ़ता शहरीकरण, व्यक्तिगत आकांक्षाओं से लेकर कार्यबल की अधिक गतिशीलता और शिक्षा प्राप्त करने वाली महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता शामिल है। कानून ने भी इस बदलाव में मदद की है।

    जस्टिस नागरत्ना ने कही ये बात

    ''परिवार: भारतीय समाज का आधार'' विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में जस्टिस नागरत्ना ने इस बात पर जोर दिया कि हर सभ्यता में परिवार को समाज की मूलभूत संस्था के रूप में मान्यता दी गई है। यह हमारे अतीत से जुड़ने और हमारे भविष्य के लिए सेतु है।

    उन्होंने सुझाव दिया कि शिक्षा और रोजगार के कारण महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक मुक्ति को समाज द्वारा सकारात्मक रूप से देखा जाना चाहिए और प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। ऐसी महिलाएं न केवल परिवार की भलाई में, बल्कि राष्ट्र की भलाई में भी योगदान देती हैं।

    पारिवारिक विवाद इस तरह सुलझ सकते हैं

    जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि भारत में वर्तमान में न्यायालयों में जितने पारिवारिक विवाद लंबित हैं, उनका एक महत्वपूर्ण प्रतिशत हल हो सकता है यदि दोनों पक्ष दो कदम उठाएं।

    दूसरे साथी के हितों को ध्यान में रखना चाहिए

    उन्होंने कहा, ''पहला कदम दूसरे के प्रति समझ और सम्मान रखना है, और दूसरा खुद के प्रति जागरूकता है। यह पति और पत्नी के संदर्भ में है। दूसरे के प्रति सम्मान को समझने से मेरा मतलब है कि एक साथी को हर समय दूसरे साथी के हितों को ध्यान में रखना चाहिए। जब भी पहला साथी कुछ ऐसा करता हुआ दिखाई दे जो दूसरे साथी की राय में समस्याग्रस्त है, तो दूसरे साथी को खुद को पहले साथी के स्थान पर रखकर उस कार्य का कारण बताना चाहिए।''