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    ISS में शुभांशु शुक्ला ने हड्डियों पर किया शोध, ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज में उम्मीद की किरण; जानिए स्पेस में कैसे हुई स्टडी

    Updated: Sat, 05 Jul 2025 11:30 PM (IST)

    भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर हड्डियों से संबंधित अध्ययन किया है जो ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार में सहायक हो सकता है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत आईएसएस पर उन्होंने माइक्रोग्रैविटी में हड्डियों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया। वे डिजिटल ट्विन का निर्माण कर रहे हैं जो अंतरिक्षयात्रियों के स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन करने में मददगार होगा।

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    एक्सिओम-4 मिशन के तहत 26 जून से शुभांशु आईएसएस पर हैं (फोटो: @JonnyKimUSA)

    पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्षयात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएएस) पर हड्डियों से संबंधित अध्ययन किया। यह शोध हड्डियों की बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस के बेहतर उपचार की दिशा में उम्मीद की किरण है। एक्सिओम-4 मिशन के तहत 26 जून से शुभांशु आईएसएस पर हैं।

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    आईएसएस पर एक सप्ताह का समय पूरा करने के बाद मिली एक दिन की छुट्टी के बाद शनिवार को शुभांशु और एक्सिओम-4 मिशन के अन्य अंतरिक्षयात्रियों ने पता लगाने का प्रयास किया कि न के बराबर गुरुत्वकर्षण या माइक्रोग्रैविटी में हड्डियों पर किस तरह प्रभाव पड़ता है। अंतरिक्ष में हड्डियां किस प्रकार खराब होती हैं और पृथ्वी पर वापस आने पर वे किस प्रकार ठीक हो जाती हैं।

    'डिजिटल ट्विन' का निर्माण कर रहे

    हड्डियों से संबंधित जैविक मार्कर का विश्लेषण करके, शोधकर्ता 'डिजिटल ट्विन' का निर्माण कर रहे हैं। 'डिजिटल ट्विन' वर्चुअल मॉडल है। यह मॉडल डाटा के जरिये यह पता लगाने में मददगार हो सकता है कि अंतरिक्षयात्री की हड्डियां अंतरिक्ष में कैसे प्रतिक्रिया देती हैं और कैसे ठीक होती हैं। यह तरीका भविष्य में मिशन की योजना बनाते समय अंतरिक्षयात्रियों के स्वास्थ्य जोखिमों का आकलन करने और उपयुक्त समाधान तैयार करने में मदद करेगा।

    इसका लाभ हड्डियों से जुड़ी बीमारियों के इलाज में भी हो सकता है। शुभांशु और तीन अन्य अंतरिक्षयात्री- अमेरिका की पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोस्ज उजनांस्की-विस्नीवस्की, हंगरी के टिबोर कापू 14 दिनों के मिशन पर आईएसएस पर पहुंचे थे।

    अंतरिक्ष में जीवन को बनाए रखने पर शोध

    विकिरण जोखिम की निगरानी संबंधी प्रयोग भी किया मिशन के 10वें दिन शुभांशु ने आईएसएस पर विकिरण जोखिम की निगरानी के लिए प्रयोग में भी भाग लिया। यह प्रयोग लंबी अवधि के अंतरिक्ष मिशनों पर अंतरिक्षयात्रियों को विकिरण से बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। एक्सिओम स्पेस ने कहा, शुभांशु ने अंतरिक्ष में माइक्रोएल्गी या सूक्ष्म शैवाल का अध्ययन किया। ये सूक्ष्म जीव भविष्य में अंतरिक्ष में जीवन को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। यह पता लगाया जा रहा है कि ये सूक्ष्म जीव अंतरिक्ष में कैसे बढ़ते और खुद को ढालते हैं।

    सफल रहा टार्डिग्रेड्स' से संबंधित प्रयोगभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बयान में कहा कि शुभांशु ने आईएसएस पर 'टार्डिग्रेड्स' से जुड़े सूक्ष्मगुरुत्व प्रयोग को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। टार्डिग्रेड्स या वाटर बियर छोटे जीव हैं और चरम स्थितियों में जीवित रहने की अपनी क्षमता के लिए जाने जाते हैं। शुभांशु ने यह पता लगाने का प्रयास किया कि टार्डिग्रेड्स अंतरिक्ष में कैसे जीवित रहते हैं।

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