बिना हथियार दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब... 14 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सेना की 'अमर' ट्रेनिंग
भारतीय सेना की त्रिशक्ति कोर ने 14 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर 'अमर' युद्ध प्रशिक्षण शुरू किया है। इसका उद्देश्य उत्तरी सीमा पर मुश्किल क्षेत्रों में जवानों को बिना हथियार के खतरे से निपटने के लिए तैयार करना है। यह प्रशिक्षण शून्य से नीचे के तापमान में होता है और सैनिकों को नजदीकी लड़ाई में दुश्मन को जवाब देने की क्षमता देता है। 'अमर' प्रणाली में मार्शल आर्ट और क्लोज-काम्बैट टेक्नीक शामिल हैं।

14 हजार फीट पर सेना का प्रशिक्षण। फोटो- सोशल मीडिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सेना की त्रिशक्ति कोर ने 14 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर आर्मी मार्शल आर्ट्स रूटीन (अमर) युद्ध प्रशिक्षण शुरू किया है। इसका उद्देश्य उत्तरी सीमा पर सबसे मुश्किल पहाड़ी क्षेत्रों में हाथ में हथियार न होने पर भी किसी भी करीबी खतरे को नेस्तनाबूद करने के लिए जवानों की पूरी तरह तैयार करना है।
यह प्रशिक्षण शून्य से नीचे के तापमान और दुर्गम इलाकों में आयोजित किया जाता है जो सैनिकों को पारंपरिक हथियार तुरंत उपलब्ध न होने की स्थिति में नजदीकी लड़ाई में दुश्मन को प्रभावी ढंग से जवाब देने की क्षमता देता है। इससे युद्ध की तैयारी में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
14 हजार फीट पर सेना का प्रशिक्षण
पीआरओ डिफेंस के अनुसार, 'अमर' एक आधुनिक युद्ध प्रणाली है जो पारंपरिक भारतीय मार्शल आर्ट को 'क्लोज-काम्बैट टेक्नीक' के साथ सामंजस्य स्थापित करता है। इसमें नंगे हाथों से मुकाबला, हथियार से लड़ाई, तनाव की स्थिति में नियंत्रित रहना और पूरी फिजिकल और मेंटल कंडीशनिंग शामिल है, जिन्हें हाई-एल्टीट्यूड आपरेशन के लिए बहुत जरूरी माना जाता है।
यह प्रशिक्षण स्फूर्त और हमेशा तैयार रहने की क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ स्वयं को संतुलित रखने, स्टैमिना बढ़ाने और करीबी खतरे को भांपने व जागरुकता बढ़ाने तथा गुस्से को नियंत्रित करने में भी मदद करती है, जिन्हें पहाड़ी इलाकों में नजदीकी लड़ाई में सफलता के लिए जरूरी माना जाता है।
बिना हथियार युद्ध की तैयारी
त्रिशक्ति कोर ने एक्स पोस्ट में कहा, 'अमर प्रशिक्षण 14,000 फीट की ऊंचाई पर किया जा रहा है जहां ठंड, कम आक्सीजन और कठिन पहाड़ी इलाके हर कदम की परीक्षा लेते हैं। यह प्रशिक्षण सैनिकों को नजदीकी लड़ाई में तेज, मजबूत और हमेशा तैयार रहने की क्षमता देता है बिना हथियार के।'
प्रशिक्षण में हिस्सा लेने वाले एक युवा अधिकारी ने अपना अनुभव साझा करते हुए बताया, '14,000 फीट पर पहाड़ आपके स्टैमिना, फोकस और इरादे को चुनौती देते हैं।
इस प्रशिक्षण से हमें दबाव वाली स्थिति में भी शांत रहने में मदद मिलती है और हमें यह भरोसा देता है कि हाथ में हथियार न होने पर भी हम किसी भी करीबी खतरे के लिए पूरी तरह तैयार हैं।'
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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